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श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का दुर्लभ नजारा, साल में सिर्फ दो बार ही दिखता है ऐसा - Watch equinox video at Padmanabha swamy temple

केरल स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (PADMANABHASWAMY TEMPLE) में शुक्रवार को सूर्यास्त के समय सूर्य का प्रकाश मंदिर टॉवर की सभी पांच खिड़कियों से होकर गुजरता दिखाई दिया. ये अनोखा नजारा विषुव के दिन (जब दिन और रात की अवधि समान होती है) नजर आता है.

PADMANABHASWAMY TEMPLE
श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का दुर्लभ नजारा
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Published : Sep 24, 2022, 6:56 PM IST

Updated : Sep 24, 2022, 7:01 PM IST

तिरुवनंतपुरम: केरल स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (padmanabhaswamy temple) में शुक्रवार को अनोखा नजारा दिखा. डूबता सूरज मंदिर 'गोपुरम' (टॉवर) की सभी पांच खिड़कियों से होकर गुजरता दिखाई दिया. दरअसल ये नजारा साल में सिर्फ दो बार दिखता है. ऐसा दृश्य विषुव के दिन (जब दिन और रात की अवधि समान होती है) दिखाई देता है, इसलिए इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त उमड़ते हैं. इसके पीछे एक वजह इस मंदिर की निर्माण शैली है जो कि वैज्ञानिक गणना और ज्यामितीय स्थिति का अनूठा नमूना है.

देखिए वीडियो

ऐसा दिखता है नजारा : पहले सूर्य मंदिर की पहली (सबसे ऊपर) की खिड़की में नजर आता है. फिर यह दूसरी खिड़की और फिर तीसरी तक नीचे आता है. सूर्यास्त के तीसरे खिड़की में प्रवेश करने पर दृश्य बिल्कुल जादुई हो जाता है. सूर्य आकाश में गायब होने से पहले चौथी और पांचवीं खिड़की में नजर आता है. इस अद्भुत नजारे को देखने का रोमांच ही कुछ और है.

श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का दुर्लभ नजारा
श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का दुर्लभ नजारा

ये है वैज्ञानिक कारण : विषुव के दिन, सूर्योदय और सूर्यास्त भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण के बजाय पृथ्वी के भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर होते हैं. मंदिर की मीनार का निर्माण सूर्य की इस भूमध्यरेखीय गति के बिल्कुल अनुरूप है ताकि अस्त होते समय सूर्य मंदिर की सभी मीनारों की खिड़कियों से होकर गुजरे. नियमित दिनों में, सूर्यास्त या तो दक्षिण या टॉवर के उत्तर में होता है.

16 शताब्दी में शुरू हुआ था निर्माण : पद्मनाभस्वामी मंदिर (PadmanabhaSwamy temple) का निर्माण 16वीं शताब्दी में शुरू किया गया था. निर्माण कार्य 18वीं शताब्दी में अनिज़म थिरुनल मार्तंडवर्मा (Anizham Thirunal Marthandavarma) के शासनकाल के दौरान पूरा हुआ था, जिन्हें आधुनिक त्रावणकोर के वास्तुकार के रूप में सराहा जाता है. अपने अमूल्य खजाने और स्थापत्य चमत्कारों के साथ, मंदिर दुनिया भर से पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है.

खजाने को लेकर चर्चा में रहा है मंदिर : श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ने जून 2011 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं जब इसकी तिजोरियों में लाखों करोड़ रुपये के खजाने की खोज की गई थी. इससे पहले भी यह प्राचीन मंदिर केरल की राजधानी में एक प्रमुख तीर्थस्थल था. मंदिर वास्तु कला का अनूठा नमूना है.

पढ़ें- यह हैं 'आस्था की संपदा' से मालामाल देश के दस प्रमुख मंदिर

तिरुवनंतपुरम: केरल स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (padmanabhaswamy temple) में शुक्रवार को अनोखा नजारा दिखा. डूबता सूरज मंदिर 'गोपुरम' (टॉवर) की सभी पांच खिड़कियों से होकर गुजरता दिखाई दिया. दरअसल ये नजारा साल में सिर्फ दो बार दिखता है. ऐसा दृश्य विषुव के दिन (जब दिन और रात की अवधि समान होती है) दिखाई देता है, इसलिए इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त उमड़ते हैं. इसके पीछे एक वजह इस मंदिर की निर्माण शैली है जो कि वैज्ञानिक गणना और ज्यामितीय स्थिति का अनूठा नमूना है.

देखिए वीडियो

ऐसा दिखता है नजारा : पहले सूर्य मंदिर की पहली (सबसे ऊपर) की खिड़की में नजर आता है. फिर यह दूसरी खिड़की और फिर तीसरी तक नीचे आता है. सूर्यास्त के तीसरे खिड़की में प्रवेश करने पर दृश्य बिल्कुल जादुई हो जाता है. सूर्य आकाश में गायब होने से पहले चौथी और पांचवीं खिड़की में नजर आता है. इस अद्भुत नजारे को देखने का रोमांच ही कुछ और है.

श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का दुर्लभ नजारा
श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का दुर्लभ नजारा

ये है वैज्ञानिक कारण : विषुव के दिन, सूर्योदय और सूर्यास्त भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण के बजाय पृथ्वी के भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर होते हैं. मंदिर की मीनार का निर्माण सूर्य की इस भूमध्यरेखीय गति के बिल्कुल अनुरूप है ताकि अस्त होते समय सूर्य मंदिर की सभी मीनारों की खिड़कियों से होकर गुजरे. नियमित दिनों में, सूर्यास्त या तो दक्षिण या टॉवर के उत्तर में होता है.

16 शताब्दी में शुरू हुआ था निर्माण : पद्मनाभस्वामी मंदिर (PadmanabhaSwamy temple) का निर्माण 16वीं शताब्दी में शुरू किया गया था. निर्माण कार्य 18वीं शताब्दी में अनिज़म थिरुनल मार्तंडवर्मा (Anizham Thirunal Marthandavarma) के शासनकाल के दौरान पूरा हुआ था, जिन्हें आधुनिक त्रावणकोर के वास्तुकार के रूप में सराहा जाता है. अपने अमूल्य खजाने और स्थापत्य चमत्कारों के साथ, मंदिर दुनिया भर से पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है.

खजाने को लेकर चर्चा में रहा है मंदिर : श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ने जून 2011 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं जब इसकी तिजोरियों में लाखों करोड़ रुपये के खजाने की खोज की गई थी. इससे पहले भी यह प्राचीन मंदिर केरल की राजधानी में एक प्रमुख तीर्थस्थल था. मंदिर वास्तु कला का अनूठा नमूना है.

पढ़ें- यह हैं 'आस्था की संपदा' से मालामाल देश के दस प्रमुख मंदिर

Last Updated : Sep 24, 2022, 7:01 PM IST
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