ETV Bharat / bharat

कोरोना की दूसरी लहर में 400 से ज्यादा चिकित्सकों की मौत, जानें किस राज्य में कितनी गई जान - दिल्ली में कोरोना से डॉक्टर्स की मौत

कोरोना की पहली लहर में दिल्ली में केवल 23 चिकित्सक ही कोरोना संक्रमण से मौत हुई, जबकि दूसरी लहर इतनी खतरनाक है कि केवल डेढ़ महीने के दौरान ही 100 से ज्यादा चिकित्सकों की कोरोना से मृत्यु हो चुकी है और यह सिलसिला अभी भी जारी है. आईएमए ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान जान गंवाने वाले चिकित्सकों की सूची जारी की है.

second-wave
second-wave
author img

By

Published : May 23, 2021, 5:00 PM IST

नई दिल्ली : भारत में कोरोना की दूसरी लहर कितनी खतरनाक है, इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि अभी तक देश में 400 से अधिक डॉक्टरों की जान जा चुकी है. दिल्ली समेत पूरे देशभर में सैकड़ों चिकित्सकों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हो गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसको लेकर चिंता जाहिर की है और एक लिस्ट जारी की है, जिसमें कोरोना संक्रमण से मरने वाले डॉक्टर की संख्या बताई गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक सबसे ज्यादा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डॉक्टरों की इस महामारी से जान गई है. दूसरे नंबर पर बिहार है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस संबंध में आंकड़ा जारी किया है. इसमें बताया गया है कि दूसरी लहर में किस राज्य में कितने-कितने डॉक्टरों की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हुई है. आंकड़ों के अनुसार कोरोना संक्रमण से सबसे अधिक 100 चिकित्सकों की मौत राजधानी दिल्ली में हुई है. इसके बाद बिहार में 96 चिकित्सकों ने कोरोना संक्रमण से अपनी जान गंवाई है.

कोरोना की दूसरी लहर में 400 से ज्यादा चिकित्सकों की मौत.

वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके 12 चिकित्सकों की मौत

आईएमए के मुताबिक दिल्ली में कम से कम 12 ऐसे डॉक्टर थे, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लिए थे, लेकिन वह कोरोना संक्रमित हुए और इनमें से सभी की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल इसके एक उदाहरण हैं.

हालांकि, केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बावजूद जान गंवाने वाले डॉक्टर की बढ़ती संख्या को देखते हुए चिंता जाहिर की है. नीति आयोग ने भी स्पष्ट किया है कि भारत में बनने वाले दोनों टीके को इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी गई है.

जाहिर है इससे संबंधित आंकड़े अभी पूरे नहीं हुए हैं. आंकड़े कलेक्ट किए जा रहे हैं. उनकी स्टडी के बाद वैक्सीन की एफिकेसी बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा.

आईएमए ने जारी की दूसरी लहर की लिस्ट.
आईएमए ने जारी की दूसरी लहर की लिस्ट.

'अधूरी वैक्सीन से फुलप्रूफ सुरक्षा की उम्मीद उचित नहीं'

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा जारी सूची के मुताबिक कोरोना की पहली लहर में दिल्ली में केवल 23 चिकित्सक की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हुई थी. वहीं कोरोना की दूसरी लहर में ज्यादातर चिकित्सक के वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बावजूद 100 चिकित्सक की अब तक मौत हो चुकी है. आईएमए का यह आंकड़ा काफी डराने वाला है. यह आंकड़ा यहीं तक सीमित नहीं है. हर रोज चिकित्सक की मौत का सिलसिला जारी है.

आईएमए ने जारी की पहली लहर की लिस्ट.
आईएमए ने जारी की पहली लहर की लिस्ट.

एक अप्रैल से 15 मई तक अकेले दिल्ली में 100 चिकित्सक की मौत

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. जयेश लेले बताते हैं कि उन्हें यह जानकारी देते हुए बहुत दुख हो रहा है कि 1 अप्रैल से 15 मई के बीच लगभग डेढ़ महीने के दौरान पूरे देशभर में 400 से अधिक चिकित्सक के कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है. कोरोना की पहली लहर में दिसंबर 2020 तक पूरे देश में 740 चिकित्सक की मृत्यु हुई थी. दूसरी लहर इतनी खतरनाक क्यों है?

इसके बारे में डॉक्टर जयेश बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या 4 गुना बढ़ गई है. जुलाई और सितंबर तक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या पीक टाइम में 94000 तक पहुंच गई थी. 1 अप्रैल 2021 के बाद कोरोना मरीजों की संख्या जो बढ़नी शुरू हुई वह चार लाख के पास तक पहुंच गई.

लगभग 20 दिनों तक 3.50 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज लगातार बने रहे. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पैरामेडिकल स्टाफ और चिकित्सक के ऊपर मरीजों का कितना बड़ा दबाव रहा होगा. 15 घंटे तक लगातार उन्हें काम करना पड़ता है. पर्याप्त आराम उन्हें नहीं मिल पाता है. इस दौरान अगर कोरोना संक्रमित हुए तो कमजोर इम्यूनिटी की वजह से उनका वायरल लोड अधिक होता है. इसीलिए ज्यादा संख्या में चिकित्सकों की कोरोना संक्रमण से मौत हो रही है.

चिकित्सकों को बचाने की अपील

डॉ. जयेश लेले ने सरकार से डॉक्टर से उनके परिवारों की आर्थिक सुरक्षा की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने आगे इस तरह की कंडीशन ना आए इसके लिए अधिक संख्या में चिकित्सक की नियुक्ति करने की मांग की है, ताकि एक डॉक्टर के ऊपर ज्यादा वर्क लोड ना हो.

यूपी में 41 डॉक्टर गंवा चुके हैं जान

देश के सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण से 41 चिकित्सों की मौत हुई है. गुजरात में कोरोना से मरने वाले चिकित्सकों की संख्या 31 है. वहीं, कोरोना का केंद्र बने महाराष्ट्र में दूसरी लहर में संक्रमण से 15 चिकित्सकों के मरने की खबर है. आंध्र प्रदेश में भी 26 डॉक्टर कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं. वहीं बिहार में 96 चिकित्सकों की जान चली गई. दिल्ली के बाद बिहार में सबसे अधिक चिकित्सकों की मौत हुई है.

पहली लहर में 747 चिकित्सकों की गई थी जान

कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान कुल 747 चिकित्सकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. आईएमए के आंकड़ों के अनुसार पहली लहर में तमिलनाडु से सबसे अधिक 91 चिकित्सकों की मौत हुई थी. इसके बाद महाराष्ट्र से 81, पश्चिम बंगाल में 71 और आंध्र प्रदेश से 70 डॉक्टर कोरोना संक्रमण का शिकार हुए थे. गुजरात में 62 और मध्य प्रदेश में 22 चिकित्सकों ने महामारी के कारण अपनी जान गंवाई थी.

पढ़ेंः शहरों में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को कैसे रोकें, जानिए उपाय

नई दिल्ली : भारत में कोरोना की दूसरी लहर कितनी खतरनाक है, इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि अभी तक देश में 400 से अधिक डॉक्टरों की जान जा चुकी है. दिल्ली समेत पूरे देशभर में सैकड़ों चिकित्सकों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हो गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसको लेकर चिंता जाहिर की है और एक लिस्ट जारी की है, जिसमें कोरोना संक्रमण से मरने वाले डॉक्टर की संख्या बताई गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक सबसे ज्यादा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डॉक्टरों की इस महामारी से जान गई है. दूसरे नंबर पर बिहार है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस संबंध में आंकड़ा जारी किया है. इसमें बताया गया है कि दूसरी लहर में किस राज्य में कितने-कितने डॉक्टरों की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हुई है. आंकड़ों के अनुसार कोरोना संक्रमण से सबसे अधिक 100 चिकित्सकों की मौत राजधानी दिल्ली में हुई है. इसके बाद बिहार में 96 चिकित्सकों ने कोरोना संक्रमण से अपनी जान गंवाई है.

कोरोना की दूसरी लहर में 400 से ज्यादा चिकित्सकों की मौत.

वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके 12 चिकित्सकों की मौत

आईएमए के मुताबिक दिल्ली में कम से कम 12 ऐसे डॉक्टर थे, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लिए थे, लेकिन वह कोरोना संक्रमित हुए और इनमें से सभी की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल इसके एक उदाहरण हैं.

हालांकि, केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बावजूद जान गंवाने वाले डॉक्टर की बढ़ती संख्या को देखते हुए चिंता जाहिर की है. नीति आयोग ने भी स्पष्ट किया है कि भारत में बनने वाले दोनों टीके को इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी गई है.

जाहिर है इससे संबंधित आंकड़े अभी पूरे नहीं हुए हैं. आंकड़े कलेक्ट किए जा रहे हैं. उनकी स्टडी के बाद वैक्सीन की एफिकेसी बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा.

आईएमए ने जारी की दूसरी लहर की लिस्ट.
आईएमए ने जारी की दूसरी लहर की लिस्ट.

'अधूरी वैक्सीन से फुलप्रूफ सुरक्षा की उम्मीद उचित नहीं'

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा जारी सूची के मुताबिक कोरोना की पहली लहर में दिल्ली में केवल 23 चिकित्सक की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हुई थी. वहीं कोरोना की दूसरी लहर में ज्यादातर चिकित्सक के वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बावजूद 100 चिकित्सक की अब तक मौत हो चुकी है. आईएमए का यह आंकड़ा काफी डराने वाला है. यह आंकड़ा यहीं तक सीमित नहीं है. हर रोज चिकित्सक की मौत का सिलसिला जारी है.

आईएमए ने जारी की पहली लहर की लिस्ट.
आईएमए ने जारी की पहली लहर की लिस्ट.

एक अप्रैल से 15 मई तक अकेले दिल्ली में 100 चिकित्सक की मौत

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. जयेश लेले बताते हैं कि उन्हें यह जानकारी देते हुए बहुत दुख हो रहा है कि 1 अप्रैल से 15 मई के बीच लगभग डेढ़ महीने के दौरान पूरे देशभर में 400 से अधिक चिकित्सक के कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है. कोरोना की पहली लहर में दिसंबर 2020 तक पूरे देश में 740 चिकित्सक की मृत्यु हुई थी. दूसरी लहर इतनी खतरनाक क्यों है?

इसके बारे में डॉक्टर जयेश बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या 4 गुना बढ़ गई है. जुलाई और सितंबर तक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या पीक टाइम में 94000 तक पहुंच गई थी. 1 अप्रैल 2021 के बाद कोरोना मरीजों की संख्या जो बढ़नी शुरू हुई वह चार लाख के पास तक पहुंच गई.

लगभग 20 दिनों तक 3.50 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज लगातार बने रहे. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पैरामेडिकल स्टाफ और चिकित्सक के ऊपर मरीजों का कितना बड़ा दबाव रहा होगा. 15 घंटे तक लगातार उन्हें काम करना पड़ता है. पर्याप्त आराम उन्हें नहीं मिल पाता है. इस दौरान अगर कोरोना संक्रमित हुए तो कमजोर इम्यूनिटी की वजह से उनका वायरल लोड अधिक होता है. इसीलिए ज्यादा संख्या में चिकित्सकों की कोरोना संक्रमण से मौत हो रही है.

चिकित्सकों को बचाने की अपील

डॉ. जयेश लेले ने सरकार से डॉक्टर से उनके परिवारों की आर्थिक सुरक्षा की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने आगे इस तरह की कंडीशन ना आए इसके लिए अधिक संख्या में चिकित्सक की नियुक्ति करने की मांग की है, ताकि एक डॉक्टर के ऊपर ज्यादा वर्क लोड ना हो.

यूपी में 41 डॉक्टर गंवा चुके हैं जान

देश के सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण से 41 चिकित्सों की मौत हुई है. गुजरात में कोरोना से मरने वाले चिकित्सकों की संख्या 31 है. वहीं, कोरोना का केंद्र बने महाराष्ट्र में दूसरी लहर में संक्रमण से 15 चिकित्सकों के मरने की खबर है. आंध्र प्रदेश में भी 26 डॉक्टर कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं. वहीं बिहार में 96 चिकित्सकों की जान चली गई. दिल्ली के बाद बिहार में सबसे अधिक चिकित्सकों की मौत हुई है.

पहली लहर में 747 चिकित्सकों की गई थी जान

कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान कुल 747 चिकित्सकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. आईएमए के आंकड़ों के अनुसार पहली लहर में तमिलनाडु से सबसे अधिक 91 चिकित्सकों की मौत हुई थी. इसके बाद महाराष्ट्र से 81, पश्चिम बंगाल में 71 और आंध्र प्रदेश से 70 डॉक्टर कोरोना संक्रमण का शिकार हुए थे. गुजरात में 62 और मध्य प्रदेश में 22 चिकित्सकों ने महामारी के कारण अपनी जान गंवाई थी.

पढ़ेंः शहरों में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को कैसे रोकें, जानिए उपाय

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.