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तमिलनाडु विधानसभा में कर्नाटक के खिलाफ प्रस्ताव पारित, जानें क्या है मामला - तमिलनाडु विधानसभा में कर्नाटक के खिलाफ प्रस्ताव पारित

तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी नदी पर मेकेदातु बांध परियोजना को लेकर विवाद लंबे समय जारी है. इस बीच तमिलनाडु विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसमें कर्नाटक सरकार के कावेरी नदी पर मेकेदातु बांध परियोजना (Mekedatu dam project) के साथ आगे बढ़ने के 'एकतरफा' फैसले की निंदा की गई है.

Mekedatu row
मेकेदातु बांध परियोजना
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Published : Mar 21, 2022, 8:43 PM IST

चेन्नई : तमिलनाडु विधानसभा में सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करके कर्नाटक सरकार के कावेरी नदी पर मेकेदातु बांध परियोजना (Mekedatu dam project) के साथ आगे बढ़ने के 'एकतरफा' फैसले की निंदा की गई और केंद्र से प्रस्ताव को अस्वीकार करने का अनुरोध किया गया. तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने प्रस्ताव पेश किया और पड़ोसी राज्य पर दशकों से तमिलनाडु के लिए समस्याएं खड़ी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कर्नाटक का उच्चतम न्यायालय के फैसले का 'अनादर करते हुए' बांध (संतुलन जलाशय) परियोजना पर आगे बढ़ने का निर्णय निंदनीय है.

उन्होंने कहा, 'संघवाद कहां है? यहां एक राज्य है जो शीर्ष अदालत के आदेश का अनादर कर रहा है और तमिलनाडु को उसके हिस्से के पानी की पूरी मात्रा जारी नहीं की गयी है. अगर हमने एकजुट होकर संघर्ष नहीं किया तो हमें अपने अधिकारों से हाथ धोना पड़ सकता है और आने वाली पीढ़ियां इसके लिए हमें कोसेंगी.'

उन्होंने राजनीतिक दलों से पार्टी मतभेदों से ऊपर उठकर प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की. इस मुद्दे पर केंद्र पर तमिलनाडु के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकारों, चाहे वह कांग्रेस हो या भाजपा, ने कर्नाटक को तमिलनाडु के हितों के विपरीत काम करने से नहीं रोका.

प्रस्ताव, अन्नाद्रमुक और भाजपा सहित सभी दलों के सर्वसम्मत समर्थन से पारित हुआ. इसमें परियोजना पर आगे बढ़ने, धन आवंटित करने के लिए कर्नाटक की निंदा की गई और केंद्र से पर्यावरण मंजूरी के लिए उस राज्य की याचिका पर विचार नहीं करने और इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अस्वीकार करने की अपील की गई. प्रस्ताव में कहा गया कि केंद्र सरकार को कर्नाटक को सलाह देनी चाहिए कि वह तटवर्ती राज्यों की सहमति के बिना कोई भी परियोजना शुरू न करे.

प्रस्ताव में कहा गया है, '5 फरवरी, 2007 को कावेरी प्राधिकरण के अंतिम फैसले और 16 फरवरी, 2018 के उच्चतम न्यायालय के फैसले का अनादर करने की कर्नाटक सरकार की कार्रवाई और संबंधित राज्यों से परामर्श के बिना या केंद्र से आवश्यक मंजूरी के बिना मेकेदातु बांध परियोजना के लिए एकतरफा धन आवंटित करना अस्वीकार्य है और यह सदन इसके लिए कर्नाटक सरकार की कड़ी निंदा करता है.'

प्रस्ताव में कहा गया है कि कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) का गठन उच्चतम न्यायालय के 2018 के फैसले को लागू करने के लिए किया गया है. प्रस्ताव में कहा गया है, 'सदन, इसलिए, सीडब्ल्यूएमए से अनुरोध करता है कि मेकेदातु में बांध के निर्माण के लिए कर्नाटक सरकार की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पर विचार या अनुमोदन न करें, जिसका उल्लेख उच्चतम न्यायालय के आदेश में नहीं है.' इसमें तमिलनाडु सरकार द्वारा तमिलनाडु के किसानों के कल्याण की रक्षा करते हुए एवं कर्नाटक सरकार के प्रयासों को विफल करने के लिए किये जाने वाले उपायों पर पूर्ण समर्थन व्यक्त किया गया.

यह भी पढ़ें- तमिलनाडु में 33 हजार करोड़ का कृषि बजट, जानिए बजट की खास बातें

इससे पहले, विधानसभा में विपक्ष के नेता, अन्नाद्रमुक के पलानीस्वामी ने प्रस्ताव को अपनी पार्टी का समर्थन दिया और कावेरी जल मुद्दे पर राज्य के अधिकारों की रक्षा के लिए अतीत में अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा शुरू किए गए कई उपायों को याद किया. प्रस्ताव को अपना समर्थन देने के लिए नेताओं को धन्यवाद देते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कर्नाटक को जलाशय बनाने से रोकने के लिए कानूनी कदम उठाने का आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री के वक्तव्य के बाद, सदन ने प्रस्ताव को ध्वनि मत के लिए लिया और अध्यक्ष एम अप्पावु ने घोषणा की कि इसे सदन ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है.

चेन्नई : तमिलनाडु विधानसभा में सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करके कर्नाटक सरकार के कावेरी नदी पर मेकेदातु बांध परियोजना (Mekedatu dam project) के साथ आगे बढ़ने के 'एकतरफा' फैसले की निंदा की गई और केंद्र से प्रस्ताव को अस्वीकार करने का अनुरोध किया गया. तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने प्रस्ताव पेश किया और पड़ोसी राज्य पर दशकों से तमिलनाडु के लिए समस्याएं खड़ी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कर्नाटक का उच्चतम न्यायालय के फैसले का 'अनादर करते हुए' बांध (संतुलन जलाशय) परियोजना पर आगे बढ़ने का निर्णय निंदनीय है.

उन्होंने कहा, 'संघवाद कहां है? यहां एक राज्य है जो शीर्ष अदालत के आदेश का अनादर कर रहा है और तमिलनाडु को उसके हिस्से के पानी की पूरी मात्रा जारी नहीं की गयी है. अगर हमने एकजुट होकर संघर्ष नहीं किया तो हमें अपने अधिकारों से हाथ धोना पड़ सकता है और आने वाली पीढ़ियां इसके लिए हमें कोसेंगी.'

उन्होंने राजनीतिक दलों से पार्टी मतभेदों से ऊपर उठकर प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की. इस मुद्दे पर केंद्र पर तमिलनाडु के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकारों, चाहे वह कांग्रेस हो या भाजपा, ने कर्नाटक को तमिलनाडु के हितों के विपरीत काम करने से नहीं रोका.

प्रस्ताव, अन्नाद्रमुक और भाजपा सहित सभी दलों के सर्वसम्मत समर्थन से पारित हुआ. इसमें परियोजना पर आगे बढ़ने, धन आवंटित करने के लिए कर्नाटक की निंदा की गई और केंद्र से पर्यावरण मंजूरी के लिए उस राज्य की याचिका पर विचार नहीं करने और इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अस्वीकार करने की अपील की गई. प्रस्ताव में कहा गया कि केंद्र सरकार को कर्नाटक को सलाह देनी चाहिए कि वह तटवर्ती राज्यों की सहमति के बिना कोई भी परियोजना शुरू न करे.

प्रस्ताव में कहा गया है, '5 फरवरी, 2007 को कावेरी प्राधिकरण के अंतिम फैसले और 16 फरवरी, 2018 के उच्चतम न्यायालय के फैसले का अनादर करने की कर्नाटक सरकार की कार्रवाई और संबंधित राज्यों से परामर्श के बिना या केंद्र से आवश्यक मंजूरी के बिना मेकेदातु बांध परियोजना के लिए एकतरफा धन आवंटित करना अस्वीकार्य है और यह सदन इसके लिए कर्नाटक सरकार की कड़ी निंदा करता है.'

प्रस्ताव में कहा गया है कि कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) का गठन उच्चतम न्यायालय के 2018 के फैसले को लागू करने के लिए किया गया है. प्रस्ताव में कहा गया है, 'सदन, इसलिए, सीडब्ल्यूएमए से अनुरोध करता है कि मेकेदातु में बांध के निर्माण के लिए कर्नाटक सरकार की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पर विचार या अनुमोदन न करें, जिसका उल्लेख उच्चतम न्यायालय के आदेश में नहीं है.' इसमें तमिलनाडु सरकार द्वारा तमिलनाडु के किसानों के कल्याण की रक्षा करते हुए एवं कर्नाटक सरकार के प्रयासों को विफल करने के लिए किये जाने वाले उपायों पर पूर्ण समर्थन व्यक्त किया गया.

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इससे पहले, विधानसभा में विपक्ष के नेता, अन्नाद्रमुक के पलानीस्वामी ने प्रस्ताव को अपनी पार्टी का समर्थन दिया और कावेरी जल मुद्दे पर राज्य के अधिकारों की रक्षा के लिए अतीत में अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा शुरू किए गए कई उपायों को याद किया. प्रस्ताव को अपना समर्थन देने के लिए नेताओं को धन्यवाद देते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कर्नाटक को जलाशय बनाने से रोकने के लिए कानूनी कदम उठाने का आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री के वक्तव्य के बाद, सदन ने प्रस्ताव को ध्वनि मत के लिए लिया और अध्यक्ष एम अप्पावु ने घोषणा की कि इसे सदन ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है.

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