प्रयागराज: संगम नगरी में गंगा यमुना का जल स्तर हर दिन बढ़ रहा है. दिल्ली हरियाणा से छोड़ा गया पानी यमुना नदी के चेतावनी बिंदु के करीब आ चुका है. वहीं, उत्तराखंड से छोड़े गए पानी के कारण गंगा नदी भी खतरे के निशान के करीब पहुंच गई है. दोनों नदियों के खतरे के निशान के पास पहुचंने से जनपद के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी पहुंच चुका है. कई मोहल्लों में गंगा यमुना के पानी से हजारों घरों को जलमग्न कर दिया है. आने वाले एक-दो दिनों में पानी और बढ़ने से इन इलाकों रहने वालों की मुसीबत और बढ़ने वाली है.
प्रयागराज में गंगा-यमुना का चेतावनी बिंदु 84.73 मीटर है, जबकि गंगा 84 मीटर को पार कर चुकी हैं. वहीं, यमुना इस 84 मीटर के लेवल तक पहुंचने वाली हैं. दोनों नदियों में 4 से 5 सेमी प्रति घंटे की गति से पानी बढ़ रहा है. इस गति से बढ़ रहा जलस्तर जल्द ही खतरे के निशान को पार कर सकता है. यदि दोनों नदियां खतरे के निशान को पार करती हैं, तो लोगों के साथ ही जिला प्रशासन की मुसीबतें भी बढ़ जाएंगी. जिला प्रशासन की तरफ से बाढ़ ग्रस्त इलाको में तमाम सुविधाएं दिए जाने की बात कही जा रही है. लेकिन इन इलाकों में फंसे लोगों का आरोप है कि उन्हें घरों तक आने जाने के लिए नाव तक नहीं मिल रही है.
शहर के कई इलाकों में नदियों का पानी घुस चुका है तमाम लोगों के घरों तक आने जाने के लिए बनी गालियां और सड़क पानी मे समा चुके हैं. बहुत से लोगों ने अपने घरों के ग्राउंड फ्लोर को खाली कर दिया है. कुछ लोग छतों पर शरण ले चुके हैं. इन लोगों का आरोप है कि जिनके घरों के पास ज्यादा पानी भर चुका है, वहां तक आने जाने में लोगों को दिक्कत हो रही है. उसके बावजूद इन लोगों के आने जाने के लिए प्रशासन की तरफ से नाव तक कि व्यवस्था नहीं कि गई है. लोगों का आरोप है कि बाढ़ प्रभावित इलाके में सुविधा देने के लिए दावे तो तमाम किये जा रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है.
बाढ़ ग्रस्त इलाकों में फंसे छात्रों को भी हो रही परेशानी
प्रयागराज के छोटा बघाड़ा, सलोरी, दारागंज इलाकों में बड़ी संख्या में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र रहते हैं. लॉज में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले ये छात्र भी बाढ़ के पानी से परेशान हैं. छोटा बघाड़ा इलाके में कई घरों और लॉज में गंगा का पानी घुस चुका है. जिसकी वजह से इन लॉज में रहने वाले छात्रों को कमरा छोड़कर दूसरे स्थानों पर जाना पड़ रहा है. कई छात्र जहां अपना सामान लेकर अपने घरों को वापस चले गए हैं. वहीं, बहुत से छात्र सुरक्षित स्थानों पर रहने वाले अपने साथियों के कमरों में शरण ले रहे हैं. इन छात्रों का कहना है कि हर साल बाढ़ की समस्या होती है, लेकिन इसका कोई स्थाई समाधान नहीं किया जाता है. जिसकी वजह से उन्हें हर साल परेशानी झेलनी पड़ती है.