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पश्चिम बंगाल के स्थापना दिवस को लेकर राज्यपाल की घोषणा से ममता 'हैरान'

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस को एक पत्र लिखकर मंगलवार को राज्य का स्थापना दिवस मनाने के उनके (राज्यपाल के) फैसले पर हैरानी जताई. मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में बंगाल स्थापना दिवस न मनाने का निवेदन किया है.

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Published : Jun 20, 2023, 8:40 AM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मंगलवार को राजभवन में बंगाल का स्थापना दिवस नहीं मनाने का निवेदन किया है. इस संदर्भ में उन्होंने सोमवार शाम को राज्यपाल को पत्र भी लिखा है. मुख्यमंत्री ने राजभवन के अधिकारियों द्वारा मंगलवार को बंगाल का स्थापना दिवस मनाने की घोषणा पर 'हैरानी' जताई है. ममता ने कहा, "विभाजन का दर्द और सदमा ऐसा था कि राज्य के लोगों ने भारत की आजादी के बाद से कभी भी किसी भी दिन को स्थापना दिवस के रूप में नहीं मनाया. मैं यह जानकर हैरान हूं कि आपने 20 जून (मंगलवार) को राजभवन में एक कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है, जिसे आपने विशेष रूप से राज्य के स्थापना दिवस के रूप में वर्णित करने के लिए चुना है."

मुख्यमंत्री ने दिन में अपने और राज्यपाल के बीच एक कथित टेलीफोनिक चर्चा का भी उल्लेख किया, जहां बाद में कथित तौर पर स्वीकार किया गया कि एक विशेष दिन को पश्चिम बंगाल के स्थापना दिवस के रूप में घोषित करने का 'एकतरफा' और 'गैर-निर्णायक निर्णय' ठीक नहीं है. बनर्जी ने यह भी उल्लेख किया कि पश्चिम बंगाल 1947 में बेहद खौफनाक और दर्दनाक प्रक्रिया के माध्यम से अविभाजित बंगाल राज्य से बना था. इस प्रक्रिया में सीमा पार से लाखों लोगों का विस्थापन हुआ और मौतें हुईं.

पढ़ें : WB Panchayat Election : केंद्रीय बलों की तैनाती के आदेश को SC में चुनौती, एक साथ पहुंची ममता सरकार और EC

ममता के अनुसार, राज्य की स्थापना किसी विशेष दिन पर नहीं हुई थी. इसके विपरीत, राज्य का गठन कुख्यात रेडक्लिफ अवार्ड के माध्यम से किया गया था, जिसे औपनिवेशिक/ शाही सरकार द्वारा वैधता प्रदान की गई थी. उन्होंने यह भी बताया कि स्थापना के बाद से पश्चिम बंगाल के लोगों ने कभी भी किसी भी दिन को स्थापना दिवस के रूप में मनाया या मनाया नहीं है. पत्र में कहा गया है, बल्कि, हमने विभाजन को सांप्रदायिक ताकतों के उकसावे के परिणामस्वरूप देखा है, जिसे उस समय रोका नहीं जा सकता था.

(आईएएनएस)

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मंगलवार को राजभवन में बंगाल का स्थापना दिवस नहीं मनाने का निवेदन किया है. इस संदर्भ में उन्होंने सोमवार शाम को राज्यपाल को पत्र भी लिखा है. मुख्यमंत्री ने राजभवन के अधिकारियों द्वारा मंगलवार को बंगाल का स्थापना दिवस मनाने की घोषणा पर 'हैरानी' जताई है. ममता ने कहा, "विभाजन का दर्द और सदमा ऐसा था कि राज्य के लोगों ने भारत की आजादी के बाद से कभी भी किसी भी दिन को स्थापना दिवस के रूप में नहीं मनाया. मैं यह जानकर हैरान हूं कि आपने 20 जून (मंगलवार) को राजभवन में एक कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है, जिसे आपने विशेष रूप से राज्य के स्थापना दिवस के रूप में वर्णित करने के लिए चुना है."

मुख्यमंत्री ने दिन में अपने और राज्यपाल के बीच एक कथित टेलीफोनिक चर्चा का भी उल्लेख किया, जहां बाद में कथित तौर पर स्वीकार किया गया कि एक विशेष दिन को पश्चिम बंगाल के स्थापना दिवस के रूप में घोषित करने का 'एकतरफा' और 'गैर-निर्णायक निर्णय' ठीक नहीं है. बनर्जी ने यह भी उल्लेख किया कि पश्चिम बंगाल 1947 में बेहद खौफनाक और दर्दनाक प्रक्रिया के माध्यम से अविभाजित बंगाल राज्य से बना था. इस प्रक्रिया में सीमा पार से लाखों लोगों का विस्थापन हुआ और मौतें हुईं.

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ममता के अनुसार, राज्य की स्थापना किसी विशेष दिन पर नहीं हुई थी. इसके विपरीत, राज्य का गठन कुख्यात रेडक्लिफ अवार्ड के माध्यम से किया गया था, जिसे औपनिवेशिक/ शाही सरकार द्वारा वैधता प्रदान की गई थी. उन्होंने यह भी बताया कि स्थापना के बाद से पश्चिम बंगाल के लोगों ने कभी भी किसी भी दिन को स्थापना दिवस के रूप में मनाया या मनाया नहीं है. पत्र में कहा गया है, बल्कि, हमने विभाजन को सांप्रदायिक ताकतों के उकसावे के परिणामस्वरूप देखा है, जिसे उस समय रोका नहीं जा सकता था.

(आईएएनएस)

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