वाराणसी : 18 फरवरी यानी शनिवार को महाशिवरात्रि है. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रुद्राभिषेक का विधान है. श्रद्धालु अपनी राशि के हिसाब से बाबा का रुद्राभिषेक करके समस्त बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं.
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि पर्व पर गुरु एवं शनि की युति मीन राशि पर बन रही है, जो गुरु की राशि है. यह एक अत्यंत शुभ युति होती है और ऐसा संयोग प्राय: 27 वर्षों बाद बन रहा है. चूंकि इस बार महाशिवरात्रि शनिवार को है, इसलिए यह संयोग उन जातकों के लिए खास माना जा रहा है, जिनके ऊपर शनि का प्रकोप है या जिनके कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैया है. महाशिवरात्रि के मौके पर विशेष पूजन करने से भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होगा और तमाम दिक्कतों और परेशानियों से भी निजात मिलेगी. आर्थिक संकट भी दूर होंगे.
आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि हमारे शास्त्रों में वर्णन है कि पूरे वर्ष में 11 मास शिवरात्रि होती है. मगर फाल्गुन कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि महाशिवरात्रि के नाम से विख्यात है. इस दिन बाबा भूत भावन भोलेनाथ का शुभ मंगल विवाह उत्सव पार्वती जी के साथ संपन्न हुआ था. सभी देवता देव है, लेकिन भोलेनाथ देव नहीं अपितु महादेव हैं. उनकी तपस्या एवं पूजा अर्चना करके कठिन से कठिन कार्य सरल हो जाते हैं और समस्त प्रकार के ग्रह आदि बाधाओं से भी मुक्ति पा सकते हैं.
मान्यता है कि भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी नगरी काशी केवल विश्व का एक ऐसा स्थान है, जहां पर चतुर्दश शिवलिंग उपस्थित है. वहां पर पूजन एवं दर्शन करके आप समस्त बाधाओं से मुक्त हो सकते हैं. लोगों को अपनी राशि के हिसाब से रुद्राभिषेक करने के बाद समस्त बाधाओं से मुक्ति मिल सकती है.
जिन लोगों की राशि का ज्ञान नहीं है, वह लोग अपनी कामना के अनुसार भी रुद्राभिषेक करा सकते हैं. इसमें दूध से अभिषेक कराने पर पुत्र की प्राप्ति, गन्ने से अभिषेक कराने पर यश की प्राप्ति, मधु से अभिषेक कराने पर लक्ष्मी की प्राप्ति, दधि से वाहन की प्राप्ति, कुश से पितृ दोष का निवारण, तीर्थ जल से मोक्ष की प्राप्ति, जल से अभिषेक करने पर ज्वर आदि रोगों की शांति होती है.
महाशिवरात्रि व्रत का पारण मुहूर्त -19 फरवरी को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक रहेगा.
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