जोधपुर: भारतीय वायुसेना ने देश में विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) को सोमवार को औपचारिक रूप से यहां अपने बेड़े में शामिल कर लिया. इससे वायुसेना की ताकत में और वृद्धि होगी क्योंकि यह बहुपयोगी हेलीकॉप्टर कई तरह की मिसाइल दागने और हथियारों का इस्तेमाल करने में सक्षम है. जोधपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तथा वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी की उपस्थिति में चार हेलीकॉप्टर को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया. ताजा जानकारी के मुताबिक भारत के पहले स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर को 'प्रचंड' नाम दिया गया है.
रक्षा मंत्री ने कहा, यह एक महत्वपूर्ण क्षण है जो रक्षा उत्पादन में भारत की क्षमता को दर्शाता है. उन्होंने ने कहा, भारतीय वायुसेना भारत की संप्रभुता की रक्षा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और मुझे विश्वास है कि एलसीएच के शामिल होने के बाद इसकी समग्र क्षमता में और वृद्धि होगी. सिंह ने कहा, हम कुछ घटनाक्रमों के बाद देश के रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. देश की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है और हमेशा रहेगी.
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#WATCH | Defence Minister Rajnath Singh takes sortie in Light Combat Helicopter (LCH) ‘Prachand’ at Jodhpur airbase pic.twitter.com/0EKr4m6p6x
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उन्होंने स्वदेश निर्मित हेलीकॉप्टर में भरोसा जताने के लिए वायुसेना की सराहना भी की. वहीं, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि इस एलसीएच की क्षमता वैश्विक स्तर पर अपनी श्रेणी के हेलीकॉप्टर के बराबर है. इस मौके पर एक सर्व-धर्म प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया. एलसीएच को सार्वजनिक उपक्रम 'हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (एचएएल) ने विकसित किया है और इसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करने के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किया गया है. 1999 के करगिल युद्ध के बाद ऐसे हेलीकॉप्टर की आवश्यकता महसूस की गई थी.
अधिकारियों ने बताया कि 5.8 टन वजन के और दो इंजन वाले इस हेलीकॉप्टर से पहले ही कई हथियारों के इस्तेमाल का परीक्षण किया जा चुका है. गौरतलब है कि इस साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने स्वदेश में विकसित 15 एलसीएच को 3,887 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए मंजूरी दी थी. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इनमें से 10 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए और पांच थल सेना के लिए होंगे.
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#WATCH | The first indigenously developed Light Combat Helicopters (LCH) inducted into Indian Air Force at Jodhpur, in the presence of Defence minister Rajnath Singh and IAF chief Air Chief Marshal VR Chaudhari pic.twitter.com/sh3fqkTprg
— ANI (@ANI) October 3, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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अधिकारियों ने बताया कि एलसीएच और 'एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर' ध्रुव में कई समानताएं हैं. उन्होंने बताया कि इसमें कई विशेषताएं हैं जिनमें ‘स्टील्थ’ (रडार से बचने की) खूबी के साथ ही बख्तरबंद सुरक्षा प्रणाली से लैस और रात को हमला करने व आपात स्थिति में सुरक्षित उतरने की क्षमता शामिल हैं. हेलिकॉप्टर को ऐसे समय में शामिल किया गया है, जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर सैन्य गतिरोध बरकरार है.
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I would be in Jodhpur, Rajasthan tomorrow, 3rd October, to attend the Induction ceremony of the first indigenously developed Light Comat Helicopters (LCH). The induction of these helicopters will be a big boost to the IAF’s combat prowess. Looking forward to it. pic.twitter.com/L3nTfkJx5A
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 2, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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क्या हैं एलसीएच की खूबियां?
1: लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर यानि एलसीएच हेलीकॉप्टर का वजन करीब 6 टन है, जिसके चलते ये बेहद हल्का है जबकि अमेरिका से लिए गए अपाचे हेलीकॉप्टर का वजन करीब 10 टन है. वजन कम होने के चलते एलसीएच हाई ऑल्टिट्यूड एरिया में भी अपनी मिसाइल और दूसरे हथियारों से लैस होकर टेकऑफ और लैंडिंग कर सकता है.
2: एलसीएच अटैक हेलीकॉप्टर में फ्रांस से खास तौर से ली गई 'मिस्ट्रल' एयर टू एयर यानि हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल और हवा से जमीन पर मार करने वाले मिसाइल से लैस है.
3: एलसीएच में 70 एमएम के 12-12 रॉकेट के दो पॉड लगे हुए हैं.
4: इसके अलावा एलसीएच की नोज़ यानि फ्रंट में एक 20एमएम की गन लगी हुई है जो 110 डिग्री में किसी भी दिशा में घूम सकती है.
5: पायलट के हेलमेट पर ही कॉकपिट के सभी फीचर्स डिस्पले हो जाते हैं.
6: एलसीएच स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर को करगिल युद्ध के बाद से ही भारत ने तैयार करने का मन बना लिया था. क्योंकि उस वक्त भारत के पास ऐसा अटैक हेलीकॉप्टर नहीं था जो 15-16 हजार फीट की उंचाई पर जाकर दुश्मन के बंकर्स को तबाह कर सके. इस प्रोजेक्ट को 2006 में मंजूरी दी गई.
7: पिछले 15 सालों की कड़ी मेहनत के बाद जाकर ये लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर तैयार हुआ है.
पीटीआई-भाषा