ETV Bharat / bharat

गर्भवती को बांस और कपड़े के सहारे बनाई पालकी पर ले गए अस्पताल - एमएम हिल

कर्नाटक के चामराजनगर में एक गर्भवती महिला (Pregnant woman) को आठ किमी दूर स्थित अस्पताल ले जाने के लिए बांस और कपड़े से बनी पालकी का सहारा लेना पड़ा.

Pregnant woman carried through jungle to hospital
पालकी पर ले गए अस्पताल
author img

By

Published : Jul 1, 2022, 3:21 PM IST

चामराजनगर (कर्नाटक): चामराजनगर में ग्रामीण एक गर्भवती महिला को बांस और कपड़े की पालकी के सहारे 8 किमी दूर अस्पताल ले गए. रात के समय घने जंगल के बीच महिला को इस तरह ले जाने का वीडियो सामने आया है. घटना जिले के डोडवानी गांव की है, जो मलाई महादेश्वर हिल (एमएम हिल) वन क्षेत्र के किनारे स्थित है. परिवहन सुविधा न होने के कारण ग्रामीण इलाके के लोगों को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों में इसे लेकर रोष भी है.

देखिए वीडियो

शांताला को नियत तारीख से पहले प्रसव पीड़ा होने लगी. चूंकि किसी ग्रामीण के पास निजी वाहन नहीं था, इसलिए कुछ ग्रामीण और महिलाएं सहित उसके परिवार के सदस्यों ने उसे सुलवाडी में 8 किलोमीटर दूर स्थित निकटतम अस्पताल ले जाने का फैसला किया. उन्होंने जल्दी से कपड़े और लकड़ी के सहारे के साथ एक 'पालकी' बनाई और शांताला को 8 किमी दूर अस्पताल ले गए. उन्हें घने जंगल से होकर गुजरना पड़ा जहां हाथी और अन्य जंगली जानवरों का भी खतरा है. रात एक बजे शुरू की गई यह यात्रा सुबह छह बजे पूरी हुई. शांताला को स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया, जहां उसने एक बच्चे को जन्म दिया.

सरकार ने इस क्षेत्र में एक 'जन-मन' योजना शुरू की है, जहां ग्रामीणों को आपातकालीन उद्देश्यों के लिए 5 जीप उपलब्ध कराई जा रही हैं. किसी भी आपात स्थिति के लिए ये 8 से 10 किमी तक ले जाती हैं. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि सिग्नल की समस्या के कारण वह मोबाइल पर संपर्क नहीं कर सके.

पढ़ें- गर्भवती को कपड़े की पालकी के सहारे ले गए अस्पताल, रास्ते में बच्चे का जन्म

चामराजनगर (कर्नाटक): चामराजनगर में ग्रामीण एक गर्भवती महिला को बांस और कपड़े की पालकी के सहारे 8 किमी दूर अस्पताल ले गए. रात के समय घने जंगल के बीच महिला को इस तरह ले जाने का वीडियो सामने आया है. घटना जिले के डोडवानी गांव की है, जो मलाई महादेश्वर हिल (एमएम हिल) वन क्षेत्र के किनारे स्थित है. परिवहन सुविधा न होने के कारण ग्रामीण इलाके के लोगों को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों में इसे लेकर रोष भी है.

देखिए वीडियो

शांताला को नियत तारीख से पहले प्रसव पीड़ा होने लगी. चूंकि किसी ग्रामीण के पास निजी वाहन नहीं था, इसलिए कुछ ग्रामीण और महिलाएं सहित उसके परिवार के सदस्यों ने उसे सुलवाडी में 8 किलोमीटर दूर स्थित निकटतम अस्पताल ले जाने का फैसला किया. उन्होंने जल्दी से कपड़े और लकड़ी के सहारे के साथ एक 'पालकी' बनाई और शांताला को 8 किमी दूर अस्पताल ले गए. उन्हें घने जंगल से होकर गुजरना पड़ा जहां हाथी और अन्य जंगली जानवरों का भी खतरा है. रात एक बजे शुरू की गई यह यात्रा सुबह छह बजे पूरी हुई. शांताला को स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया, जहां उसने एक बच्चे को जन्म दिया.

सरकार ने इस क्षेत्र में एक 'जन-मन' योजना शुरू की है, जहां ग्रामीणों को आपातकालीन उद्देश्यों के लिए 5 जीप उपलब्ध कराई जा रही हैं. किसी भी आपात स्थिति के लिए ये 8 से 10 किमी तक ले जाती हैं. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि सिग्नल की समस्या के कारण वह मोबाइल पर संपर्क नहीं कर सके.

पढ़ें- गर्भवती को कपड़े की पालकी के सहारे ले गए अस्पताल, रास्ते में बच्चे का जन्म

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.