नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस बयान को रिकॉर्ड में लिया है जिसमें उन्होंने इस साल कांवड़ यात्रा को रद्द करने का फैसला किया है. COVID-19 महामारी के बीच कांवड़ यात्रा आयोजित न करने के यूपी के फैसले के बाद कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले को बंद कर दिया है.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों को सभी स्तरों पर COVID-19 मानदंडों का पालन करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी उल्लंघन या यात्रा निकालने का प्रयास करने और नागरिकों के जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली किसी भी कार्रवाई को रोकने के लिए तत्काल एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान
इससे पहले यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा को अनुमति दी थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया यह विचार है कि ये हम सभी से संबंधित है और जीवन के मौलिक अधिकार के केंद्र में है. भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है, अन्य सभी भावनाएं चाहे वे धार्मिक होने के अधीन हों यह मूल मौलिक अधिकार है.
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सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि उत्तर प्रदेश राज्य कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के अपने फैसले पर आगे नहीं बढ़ सकता है. न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य से कहा कि वह यात्रा की अनुमति देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और सोमवार को अदालत में वापस आ जाएं.
सरकार ने स्थगित की कांवड़ यात्रा
इसके बाद कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते यूपी सरकार ने इस साल भी कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी थी. कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार ने कांवड़ संघों से संवाद कर फैसला लिया है कि इस साल भी कोरोना महामारी के कारण कांवड़ यात्रा नहीं होगी.