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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामला, सीएम योगी को मुख्य पक्षकार बनाने की घोषणा - gyanvapi shringar gauri case cm yogi

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले (gyanvapi shringar gauri case) में नया मोड़ आ गया है. विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेन्द्र सिंह बिसेन ने बड़ा फैसला किया है.

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Published : Oct 29, 2022, 12:32 PM IST

Updated : Oct 29, 2022, 1:30 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में नया मोड़ आ गया है. विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेन्द्र सिंह बिसेन ने बड़ा फैसला किया है. ज्ञानवापी केस के पावर ऑफ अटॉर्नी सीएम योगी को सौंपने की तैयारी की जा रही है. जितेन्द्र सिंह बिसेन ने सीएम योगी को ज्ञानवापी से जुड़े सभी केस के मुख्य पक्षकार बनाने की घोषणा की है.

विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेन्द्र सिंह बिसेन ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर से संबंधित वो सभी मुकदमे, जो विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से दायर किए गये हैं. उन सभी मुकदमों की पावर ऑफ अटॉर्नी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी जाएगी. इससे संबंधित कानूनी औपचारिकताएं 15 नवंबर तक (gyanvapi shringar gauri case cm yogi to be litigator) पूरी हो जाएंगी.

ईटीवी भारत से फोन पर जितेंद्र सिंह बिसेन ने यह बताने से इंकार कर दिया कि इसके पीछे उनकी मंशा क्या है. उनका कहना है कि शीघ्र ही इस संदर्भ में वह जानकारी साझा करेंगे. जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर से संबंधित लगभग सभी मुकदमे हमने ही दायर किए थे. वर्तमान समय में केवल 5 मुकदमों का ही हम संचालन कर रहे हैं. इसमें मां श्रृंगार गौरी केस, भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के अलावा तीन अन्य मुकदमे हैं. इन सभी पांचों मुकदमों की पॉवर ऑफ अटॉर्नी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विधि सम्मत तरीके से सौंपी जाएगी.

पावर ऑफ अटॉर्नी सामान्य शब्दों में एक कानूनी व्यवस्था है, जो एक व्यक्ति को दूसरे की ओर से कार्य करने की अनुमति देती है. कानून के अनुसार, यह एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है. यह किसी व्यक्ति को उसकी अनुपस्थिति में उसकी संपत्ति, चिकित्सा मामलों और वित्त का प्रबंधन करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति या संगठन को नियुक्त करने की अनुमति देता है. अधिकृत व्यक्ति को एजेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी एजेंट कहा जाता है. नियमों और शर्तों के आधार पर अधिकृत एजेंट के पास संपत्ति, चिकित्सा मामलों और वित्त से संबंधित कानूनी निर्णय लेने के लिए व्यापक या सीमित अधिकार हो सकते हैं. यह पावर ऑफ अटॉर्नी एक्ट, 1888 द्वारा शासित होता है.

ये भी पढ़ें- सहारनपुर में पेट्रोल डालकर पत्नी और सास को जिंदा जलाया

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में नया मोड़ आ गया है. विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेन्द्र सिंह बिसेन ने बड़ा फैसला किया है. ज्ञानवापी केस के पावर ऑफ अटॉर्नी सीएम योगी को सौंपने की तैयारी की जा रही है. जितेन्द्र सिंह बिसेन ने सीएम योगी को ज्ञानवापी से जुड़े सभी केस के मुख्य पक्षकार बनाने की घोषणा की है.

विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेन्द्र सिंह बिसेन ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर से संबंधित वो सभी मुकदमे, जो विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से दायर किए गये हैं. उन सभी मुकदमों की पावर ऑफ अटॉर्नी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी जाएगी. इससे संबंधित कानूनी औपचारिकताएं 15 नवंबर तक (gyanvapi shringar gauri case cm yogi to be litigator) पूरी हो जाएंगी.

ईटीवी भारत से फोन पर जितेंद्र सिंह बिसेन ने यह बताने से इंकार कर दिया कि इसके पीछे उनकी मंशा क्या है. उनका कहना है कि शीघ्र ही इस संदर्भ में वह जानकारी साझा करेंगे. जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर से संबंधित लगभग सभी मुकदमे हमने ही दायर किए थे. वर्तमान समय में केवल 5 मुकदमों का ही हम संचालन कर रहे हैं. इसमें मां श्रृंगार गौरी केस, भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के अलावा तीन अन्य मुकदमे हैं. इन सभी पांचों मुकदमों की पॉवर ऑफ अटॉर्नी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विधि सम्मत तरीके से सौंपी जाएगी.

पावर ऑफ अटॉर्नी सामान्य शब्दों में एक कानूनी व्यवस्था है, जो एक व्यक्ति को दूसरे की ओर से कार्य करने की अनुमति देती है. कानून के अनुसार, यह एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है. यह किसी व्यक्ति को उसकी अनुपस्थिति में उसकी संपत्ति, चिकित्सा मामलों और वित्त का प्रबंधन करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति या संगठन को नियुक्त करने की अनुमति देता है. अधिकृत व्यक्ति को एजेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी एजेंट कहा जाता है. नियमों और शर्तों के आधार पर अधिकृत एजेंट के पास संपत्ति, चिकित्सा मामलों और वित्त से संबंधित कानूनी निर्णय लेने के लिए व्यापक या सीमित अधिकार हो सकते हैं. यह पावर ऑफ अटॉर्नी एक्ट, 1888 द्वारा शासित होता है.

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Last Updated : Oct 29, 2022, 1:30 PM IST
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