नई दिल्ली : यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने रविवार को युद्धग्रस्त देश में फंसे अपने नागरिकों से एक पंजीकरण फॉर्म भरने को कहा, जिसमें उनकी लोकेशन और कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां हों, जो उन्हें निकालने में मदद कर सकें. दूतावास ने कहा कि भारतीय दूतावास कीव, यूक्रेन में फंसे सभी भारतीय नागरिकों से अनुरोध करता है, जो अभी तक अपने संबंधित पते से प्रस्थान नहीं कर सके हैं और तत्काल वहां से निकलना चाहते हैं, वो तत्काल इस फॉर्म को भरे.
फंसे हुए नागरिकों को अपना ईमेल, नाम, पासपोर्ट नंबर, आयु, लिंग, स्थान (यूक्रेन में क्षेत्र), वर्तमान प्रवास का पता, यूक्रेन में संपर्क नंबर, भारत में संपर्क नंबर और उनके साथ रहने वाले भारतीयों की अतिरिक्त संख्या साझा करने की आवश्यकता होगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक दिन पहले यानी शनिवार को एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान जानकारी दी थी कि सूमी और खारकीव क्षेत्र को छोड़कर बड़ी संख्या में भारतीय, वास्तव में उनमें से लगभग सभी, अब यूक्रेन छोड़ चुके हैं. बाद में पता चला कि खारकीव क्षेत्र से भी प्रत्येक भारतीय नागरिक को निकाल लिया गया है.
बागची ने कहा था कि अब मुख्य फोकस सूमी क्षेत्र पर है. इस बीच, यूक्रेन में भारत के राजदूत पार्थ सत्पथी ने कहा कि भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों ने इन अशांत समय के बीच अत्यधिक परिपक्वता और धैर्य का प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि खारकीव के मामले में, भारी गोलाबारी के साथ एक सक्रिय युद्ध क्षेत्र होने के बावजूद, दूतावास ने प्रत्येक नागरिक को सक्रिय करने के लिए 'लगातार और निरंतर' प्रयास बनाए रखा है.
भारतीय नागरिकों को हंगरिया सिटी सेंटर जाने का निर्देश
वहीं, हंगरी में भारतीय दूतावास ने रविवार को फंसे हुए नागरिकों को हंगरिया सिटी सेंटर पहुंचने के लिए कहा. दूतावास ने ट्वीट कर कहा, 'महत्वपूर्ण घोषणा, भारतीय दूतावास ने आज ऑपरेशन गंगा उड़ानों का अपना अंतिम चरण शुरू किया. उन सभी छात्रों को अपने आवास (दूतावास द्वारा व्यवस्थित के अलावा) में रहने के लिए अनुरोध किया जाता है कि वे हंगारिया सिटी सेंटर, राकोस्जी यूटी 90 बुडापेस्ट में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच पहुंचें.'
बता दें, 24 फरवरी की तड़के रूसी सेना ने यूक्रेन पर बड़ा हमला किया था. तब से, भारत अपने नागरिकों को युद्धग्रस्त क्षेत्र से निकाल रहा है. भारत सरकार ने अपने नागरिकों को घर लाने के लिए 'ऑपरेशन गंगा' नाम से निकासी योजना शुरू की. जिसके अनुसार, यूक्रेन के कई पड़ोसी देशों में भारतीय मिशनों ने संकटग्रस्त देश से भाग रहे भारतीय नागरिकों को प्राप्त करने की व्यवस्था की.
ये भी पढ़ें : रूस-यूक्रेन युद्ध : 'आर्थिक संकट की ओर बढ़ रही दुनिया', रूस को अपने पेमेंट सिस्टम न होने की खल रही कमी