हैदराबाद : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अगस्त 2018 के बाद पहली बार की रेपो रेट (key repo rate) में 40 आधार अंकों (bps) की बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही, अब तक उपलब्ध ब्याज दरों में और वृद्धि होने लगी है. फिक्स डिपोजिट करने वाले और छोटे बचतकर्ताओं के लिए यह अच्छी खबर है. ऐसे समय में अन्य निवेशकों और उधारकर्ताओं को क्या करना चाहिए जब, ब्याज दरें बढ़ रही हों. पहले यह बताया गया था कि उम्मीद से अधिक महंगाई होने के कारण आरबीआई ब्याज दरें बढ़ा सकता है.
पहले से ही कई बैंकों ने अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) दरों में थोड़ा संशोधन किया है. अब रेपो-आधारित ब्याज दरें रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) आती हैं. रेपो रेट में बढ़ोतरी के अनुरूप बैंक आरएलएल दरों में बदलाव कर सकते हैं. दूसरी ओर, कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में बढ़ोतरी से बैंकों के लिए नकदी की कमी पैदा हो जाएगी,इसलिए बैंक जमाकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए एफडी की ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं इस हालात में यह जानना जरूरी है कि हमारी फाइनेंशियल प्लानिंग कैसी होनी चाहिए और हमें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.
लॉन्ग टर्म डेट फंड (Long term debt funds) : डेट फंड कई तरह के होते हैं. बाजार की मौजूदा स्थितियों के तहत, लिक्विड फंड या शॉर्ट टर्म फंड का चयन करना उचित है. ये लॉन्ग टर्म फंड की तुलना में थोड़ा कम उतार-चढ़ाव दिखा सकते हैं. ब्याज दर बढ़ने से बॉन्ड दरों में गिरावट की आशंका बनी है, इसलिए, लॉन्ग टर्म बॉन्ड में निवेश करने वाले फंड से दूर रहने की सलाह दी जाती है. यदि आप पहले से ही ऐसी योजनाओं में निवेश कर चुके हैं तो आप उन्हें वापस लेने की कोशिश कर सकते हैं और उन्हें उन्हें शॉर्ट टर्म डेट फंड में बदल सकते हैं.
लो रेटिंग के साथ ( With a low rating) : ब्याज दरें (interest rates ) कम होने पर बहुत से लोगों का झुकाव कॉरपोरेट बॉन्ड और कॉरपोरेट डिपॉजिट की ओर होता है. आम तौर पर, AAA, AA, A, और A + रेटिंग वाले बांड और जमा सुरक्षित होते हैं. लेकिन, ये थोड़े कम ब्याज के साथ आते हैं. B, C, और D रेटिंग वाले बॉन्ड में जोखिम होता हैं, मगर उसमें उच्च ब्याज (High Interest) मिलता है. इस कारण कुछ लोग उच्च ब्याज दरों (High Interest rate) के लिए जोखिम भरे बांडों को चुनते हैं. अब ब्याज दरें बढ़ रही हैं लेकिन हमें सावधान रहने की जरूरत है. आपको अपने निवेश को अब उच्चतम रेटिंग वाले निवेशों (High Rating Investment) की ओर मोड़ना होगा. जितनी जल्दी हो सके, हमें कम रेटिंग वाले बॉन्ड से जमा राशि निकालने की कोशिश करनी होगी.
डेट ट्रांसफर ( Debt transfer) : जो लोग नया घर खरीदने या लोन पर कार लेने वाले हैं, वे मौजूदा ब्याज दरों को देख सकते हैं. अब, बैंक होम लोन पर 7.5 प्रतिशत ब्याज ले रहे हैं जबकि कारों के लिए यह 8.5 प्रतिशत से कम है. कुछ बैंकों ने हाल ही में 7 से 7.5 फीसदी ब्याज दर के साथ ऑटो लोन पर कुछ विशेष ऑफ़र की घोषणा की है. यदि आप पहले ही 9 फीसदी से अधिक ब्याज पर लोन ले चुके हैं, तो उन्हें कम ब्याज पर लोन देने वाले बैंकों में ट्रांसफर करने का प्रयास करें.
फिक्स डिपोजिट ( Fixed deposits) : ब्याज दरों में बढ़ोतरी के साथ फिक्स डिपोजिट में थोड़ा अधिक रिटर्न मिलने की संभावना है. अब नए जमाकर्ताओं को उन बैंकों पर नजर डालनी चाहिए, जो अच्छी ब्याज दर (interest rate) ऑफर कर रहे हैं. जिन्होंने पहले से ही फिक्स डिपोजिट कर रखा है, उन्हें इस बारे में सोचना चाहिए. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि अब आपको अपनी जमा राशि पर 5.5 फीसदी ब्याज मिलता है. ब्याज दरों में 5.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी से भी बहुत बड़ा लाभ नहीं होगा . यदि आप अन्य बैंकों में जमा राशि को बदलना चाहते हैं तो पेनल्टी देनी होगी. जब ब्याज दर में कम से कम 1 से 1.5 प्रतिशत बढ़ोतरी हो तभी इस पर विचार करें. हालांकि, ब्याज दरों में बढ़ोतरी में कुछ समय लगेगा.
छोटी बचत (Small savings) : पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (National Savings Certificates) पूरी तरह से सुरक्षित आय गारंटी स्कीम हैं. इन योजनाओं में निवेश धारा 80 सी के तहत टैक्स सेविंग्स के योग्य हैं. आरबीआई की ओर से रेपो रेट बढ़ाने के बाद इन योजनाओं में ब्याज दरें बढ़ने की संभावना है, इसलिए जो लोग छोटी बचत में रुचि रखते हैं वे इन पर दोबारा विचार कर सकते हैं.
लोन को तेजी से खत्म करें ( Settle your loans faster) : रेपो रेट में बढ़ोतरी का असर काफी हद तक हाउसिंग लोन पर पड़ेगा, इसलिए, इस लॉन्ग टर्म लोन को जल्द से जल्द चुकाने का प्रयास करें. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप 20 साल के लिए 7.25 फीसदी ब्याज पर 25 लाख रुपये का होम लोन लिया है. आप इसके लिए हर साल 2,37,113 रुपये चुकाते हैं. इस हिसाब से आप हर महीने 19,759.41 रुपये का भुगतान करते हैं. लोन के पहले वर्ष में ब्याज 1,79,356 रुपये है, तो वास्तविक राशि केवल 57,757 रुपये है. इसलिए, ब्याज के बोझ को कम करने के लिए प्रति वर्ष मूलधन का 5-10 प्रतिशत भुगतान करने में ही समझदारी है. जो लोग दो से तीन साल में कर्ज चुकाने जा रहे हैं, उनके लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कोई बड़ा बोझ नहीं होगा.