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गुजरात: मकर सक्रांति की तैयारियां शुरू, पतंग कारोबारी ने बनाई 11 व 15 किलो की दो फिरकी

अहमदाबाद के एक व्यवसायी ने 7 फुट की लकड़ी और स्टील की फिरकी बनाई है. इसका वजन 15 किलो है, जो ग्राहकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. उनके पास आजादी के बाद से प्रत्येक धर्म के प्रतीकों को दर्शाती एक पीतल की फिरकी भी है.

spin of 11 kilos
11 किलो की फिरकी
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Published : Jan 3, 2023, 8:00 PM IST

अहमदाबाद: देश के कई राज्यों में मकर सक्रांति (उत्तरायण पर्व) का त्योहार मनाया जाता है. इसे लेकर राज्यों में तैयारियां शुरू हो गईं हैं. मकर सक्रांति पर पतंगबाजी का भी रिवाज है और यह देश के कई राज्यों में देखने को मिलता है. इसी तरह गुजरात के अहमदाबाद में भी मकर संक्राति की तैयारी की जा रही है. इसे लेकर अहमदाबादवासियों में विशेष उत्साह है. लोगों का उत्साह देख व्यवसायियों ने भी तैयारी कर ली है. बाजार में तरह-तरह की पतंगें, फिरकी बिकनी शुरू हो गई हैं.

अहमदाबाद के एक कारोबारी ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए फिरकियों का एक मेला सा लगा दिया है, जो ग्राहकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस फिरकी को बनाने वाले सलीमभाई ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मैं पिछले 22 सालों से पतंग के कारोबार से जुड़ा हूं. हर साल उत्तरायण पर्व सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाया जाता है. इसलिए मैं हर साल एक नई फिरकी बनाने की कोशिश करता हूं. इस साल भी मैंने 7 फीट की दो फिरकी बनाई हैं.

उन्होंने बताया कि उन्होंने लकड़ी की फिरकी बनाई है, जिसमें एक का वजन करीब 11 किलो है, जबकि दूसरी स्टील व्हील वाली फिरकी का वजन लगभग 15 किलो ग्राम है. आगे उन्होंने बताया कि लकड़ी की फिरकी बनाने में करीब 6 महीने का समय लगता है. जिसमें फिरकी बनाते समय लकड़ी में नक्काशी करते समय लकड़ी फट भी जाती है, जिससे फिरकी बनाने में काफी समय लग जाता है. कई बार एक फिरकी दो महीने में भी बन जाती है, तो कभी-कभी उसी एक फिरकी को बनाने में 6 महीने तक का समय लग जाता है.

पिछले साल उन्होंने 8 फुट की फिरकी बनाई थी, जिसका वजन 100 किलो था. फिलहाल इसके अंदर लाइट लगाई गई है, जो इस समय उन्हीं के पास है. सलीम भाई ने कहा कि मेरे पास पीतल की फिरकी भी है, जो मुझे मेरे दादाजी ने तोहफे के रूप में दी थी.

पढ़ें: मनाली विंटर कार्निवल के दूसरे दिन हुआ महानाटी का आयोजन, वाद्ययंत्रों की धुनों से गूंज उठा माल रोड

वर्तमान में, इस फिरकी को संरक्षित किया गया है, क्योंकि इस फिरकी की खासियत यह है कि यह फिरकी पूरी तरह से पीतल की बनी होती है, जिसमें हर धर्म के प्रतीक नजर आते हैं. जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्मों के प्रतीक नजर आते हैं. उनका मानना है कि यह फिरकी आजादी के बाद की पहली उत्तरायण फिरकी हो सकती है.

अहमदाबाद: देश के कई राज्यों में मकर सक्रांति (उत्तरायण पर्व) का त्योहार मनाया जाता है. इसे लेकर राज्यों में तैयारियां शुरू हो गईं हैं. मकर सक्रांति पर पतंगबाजी का भी रिवाज है और यह देश के कई राज्यों में देखने को मिलता है. इसी तरह गुजरात के अहमदाबाद में भी मकर संक्राति की तैयारी की जा रही है. इसे लेकर अहमदाबादवासियों में विशेष उत्साह है. लोगों का उत्साह देख व्यवसायियों ने भी तैयारी कर ली है. बाजार में तरह-तरह की पतंगें, फिरकी बिकनी शुरू हो गई हैं.

अहमदाबाद के एक कारोबारी ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए फिरकियों का एक मेला सा लगा दिया है, जो ग्राहकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस फिरकी को बनाने वाले सलीमभाई ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मैं पिछले 22 सालों से पतंग के कारोबार से जुड़ा हूं. हर साल उत्तरायण पर्व सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाया जाता है. इसलिए मैं हर साल एक नई फिरकी बनाने की कोशिश करता हूं. इस साल भी मैंने 7 फीट की दो फिरकी बनाई हैं.

उन्होंने बताया कि उन्होंने लकड़ी की फिरकी बनाई है, जिसमें एक का वजन करीब 11 किलो है, जबकि दूसरी स्टील व्हील वाली फिरकी का वजन लगभग 15 किलो ग्राम है. आगे उन्होंने बताया कि लकड़ी की फिरकी बनाने में करीब 6 महीने का समय लगता है. जिसमें फिरकी बनाते समय लकड़ी में नक्काशी करते समय लकड़ी फट भी जाती है, जिससे फिरकी बनाने में काफी समय लग जाता है. कई बार एक फिरकी दो महीने में भी बन जाती है, तो कभी-कभी उसी एक फिरकी को बनाने में 6 महीने तक का समय लग जाता है.

पिछले साल उन्होंने 8 फुट की फिरकी बनाई थी, जिसका वजन 100 किलो था. फिलहाल इसके अंदर लाइट लगाई गई है, जो इस समय उन्हीं के पास है. सलीम भाई ने कहा कि मेरे पास पीतल की फिरकी भी है, जो मुझे मेरे दादाजी ने तोहफे के रूप में दी थी.

पढ़ें: मनाली विंटर कार्निवल के दूसरे दिन हुआ महानाटी का आयोजन, वाद्ययंत्रों की धुनों से गूंज उठा माल रोड

वर्तमान में, इस फिरकी को संरक्षित किया गया है, क्योंकि इस फिरकी की खासियत यह है कि यह फिरकी पूरी तरह से पीतल की बनी होती है, जिसमें हर धर्म के प्रतीक नजर आते हैं. जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्मों के प्रतीक नजर आते हैं. उनका मानना है कि यह फिरकी आजादी के बाद की पहली उत्तरायण फिरकी हो सकती है.

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