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खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट लगाने से बढ़ेगा भ्रष्टाचार : पूर्व केंद्रीय खाद्य सचिव

पूर्व केंद्रीय खाद्य सचिव एनसी सक्सेना का कहना है कि खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए आयात को बढ़ाना होगा. उन्होंने मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे देशों से तेल के आयात के साथ-साथ देश में तेलों का उत्पादन बढ़ाने का भी सुझाव दिया. दिल्ली में ईटीवी भारत के संवाददाता शशांक कुमार ने एनसी सक्सेना से खास बातचीत की.

एनसी सक्सेना
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Published : Oct 11, 2021, 4:10 PM IST

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय खाद्य सचिव एवं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फूड कमिश्नर एनसी सक्सेना ने कहा कि खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट का नियम लागू करने से बढ़ती कीमतों पर लगाम नहीं लगेगा बल्कि भ्रष्टाचार बढ़ेगा क्योंकि खाद्य विभाग के निरीक्षक दुकानदारों को परेशान करेंगे. केंद्र सरकार का यह नियम कारगर साबित नहीं हो पाएगा. ऐसा मुझे लगता है.

उन्होंने सुझाव दिया कि बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए आयात बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जिस तरह खाद्यान्न जैसे गेहूं-चावल के सप्लाई पर सब्सिडी दी जाती है. उसी तरह तेलों पर भी सब्सिडी दी जाए. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए तेल बांटने की जरूरत है. तब जाकर सस्ती कीमत पर राशन कार्ड धारकों एवं जरूरतमंद परिवारों (Priority household) को तेल मिल पाएगा.

पूर्व केंद्रीय खाद्य सचिव एनसी सक्सेना से बातचीत

उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों की कीमत पिछले एक साल में 50 फीसदी तक बढ़ी है. सबसे ज्यादा सरसों तेल के दाम बढ़े हैं. क्योंकि उसकी खपत ज्यादा है. मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे देशों से तेल के आयात को तुरंत पढ़ाया जाए. मेरा सुझाव रहेगा कि तेलों के उत्पादन को भी बढ़ाने पर देश में जोड़ दिया जाए. किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) तेलों पर और अधिक दी जाए ताकि देश में तेलों का उत्पादन बढ़े. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ी हुई है इसलिए भी अपने देश में दाम बढ़े हैं. भारत 60% खाद्य तेल जरूरत को आयात से पूरा करता है.

बता दें, खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक मंत्रालय ने तेल और तिलहन पर स्टॉक लिमिट का नियम लागू किया है. केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार, स्टॉक लिमिट का यह नियम 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगा.

राज्यों से कहा गया है कि वह स्टॉक लिमिट के नियम का पालन करें ताकि तेल तिलहन के दाम में गिरावट आ सके. केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की है कि राज्य अपनी खपत के हिसाब से स्टॉक लिमिट को तय करेंगे. खपत से ज्यादा राज्यों में जमाखोरी नहीं की जा सकेगी. केंद्र सरकार के अनुसार इससे डिमांड और सप्लाई का मामला सुधरेगा और कीमतें नीचे आएंगी.

केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए पहले भी कई कदम उठाए थे, जैसे आयात शुल्क में कटौती की गई थी. कई तेलों का आयात को मंजूरी दी गई थी, लेकिन फिर भी कीमत नहीं घटी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची कीमतों से भी देश में दाम बढ़ रहे हैं. सोया तेल का दाम 154.95 रुपये किलो है, जबकि एक साल पहले इसकी कीमत 106 रुपये प्रति किलो थी.

यह भी पढ़ें- खाद्य तेल के खुदरा विक्रेता पर केंद्र सख्त, राज्याें काे दिये ये निर्देश

सरसों तेल का दाम 129.19 रुपये से बढ़कर 184.43 रुपये प्रति किलो हो गया है. वनस्पति का दाम 95.5 रुपये से बढ़ कर 136.74 रुपये किलोग्राम हो गया है. सूरजमुखी का तेल 38.48 प्रतिशत बढ़कर 170.09 रुपए किलो हो गया है. पाम तेल 38 फीसदी बढ़कर 132.06 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है.

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय खाद्य सचिव एवं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फूड कमिश्नर एनसी सक्सेना ने कहा कि खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट का नियम लागू करने से बढ़ती कीमतों पर लगाम नहीं लगेगा बल्कि भ्रष्टाचार बढ़ेगा क्योंकि खाद्य विभाग के निरीक्षक दुकानदारों को परेशान करेंगे. केंद्र सरकार का यह नियम कारगर साबित नहीं हो पाएगा. ऐसा मुझे लगता है.

उन्होंने सुझाव दिया कि बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए आयात बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जिस तरह खाद्यान्न जैसे गेहूं-चावल के सप्लाई पर सब्सिडी दी जाती है. उसी तरह तेलों पर भी सब्सिडी दी जाए. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए तेल बांटने की जरूरत है. तब जाकर सस्ती कीमत पर राशन कार्ड धारकों एवं जरूरतमंद परिवारों (Priority household) को तेल मिल पाएगा.

पूर्व केंद्रीय खाद्य सचिव एनसी सक्सेना से बातचीत

उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों की कीमत पिछले एक साल में 50 फीसदी तक बढ़ी है. सबसे ज्यादा सरसों तेल के दाम बढ़े हैं. क्योंकि उसकी खपत ज्यादा है. मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे देशों से तेल के आयात को तुरंत पढ़ाया जाए. मेरा सुझाव रहेगा कि तेलों के उत्पादन को भी बढ़ाने पर देश में जोड़ दिया जाए. किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) तेलों पर और अधिक दी जाए ताकि देश में तेलों का उत्पादन बढ़े. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ी हुई है इसलिए भी अपने देश में दाम बढ़े हैं. भारत 60% खाद्य तेल जरूरत को आयात से पूरा करता है.

बता दें, खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक मंत्रालय ने तेल और तिलहन पर स्टॉक लिमिट का नियम लागू किया है. केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार, स्टॉक लिमिट का यह नियम 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगा.

राज्यों से कहा गया है कि वह स्टॉक लिमिट के नियम का पालन करें ताकि तेल तिलहन के दाम में गिरावट आ सके. केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की है कि राज्य अपनी खपत के हिसाब से स्टॉक लिमिट को तय करेंगे. खपत से ज्यादा राज्यों में जमाखोरी नहीं की जा सकेगी. केंद्र सरकार के अनुसार इससे डिमांड और सप्लाई का मामला सुधरेगा और कीमतें नीचे आएंगी.

केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए पहले भी कई कदम उठाए थे, जैसे आयात शुल्क में कटौती की गई थी. कई तेलों का आयात को मंजूरी दी गई थी, लेकिन फिर भी कीमत नहीं घटी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची कीमतों से भी देश में दाम बढ़ रहे हैं. सोया तेल का दाम 154.95 रुपये किलो है, जबकि एक साल पहले इसकी कीमत 106 रुपये प्रति किलो थी.

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सरसों तेल का दाम 129.19 रुपये से बढ़कर 184.43 रुपये प्रति किलो हो गया है. वनस्पति का दाम 95.5 रुपये से बढ़ कर 136.74 रुपये किलोग्राम हो गया है. सूरजमुखी का तेल 38.48 प्रतिशत बढ़कर 170.09 रुपए किलो हो गया है. पाम तेल 38 फीसदी बढ़कर 132.06 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है.

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