नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोर्ट की अवमानना के एक मामले में सोमवार को फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को बरी कर दिया. विवेक को कोर्ट में उपस्थित होकर बिना शर्त माफी मांगने के बाद जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और विकास महाजन की पीठ ने बरी किया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां की.
जस्टिस मृदुल ने कहा कि ट्विटर दुःख का एक बड़ा स्रोत है. उन्होंने पूर्व में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारक एस गुरुमूर्ति की ओर से दायर कमाना मामले का जिक्र करते हुए कहा कि देश की प्रतीक नारी को पता होना चाहिए कि उसे सावधान रहना है. हम न्याय फूल ऑन स्वच्छ आलोचना को आमंत्रित करते हैं. हम इसी तरह कार्य करते हैं.
लोगों के कहने से गरिमा नहीं आतीः जस्टिस ने आगे कहा कि गुरुमूर्ति ने भी इस मामले में बिना शर्त माफी मांगी है. जस्टिस मृदुल ने बताया कि जस्टिस गोगोई ने अवमानना के मामले में कहा था कि अदालतें अपनी गरिमा की रक्षा के लिए किसी को सजा नहीं सुनाती हैं. लोगों के कहने से हमारी गरिमा नहीं आती है. यह उन कर्तव्यों से आती है जिनका हम निर्वहन करते हैं.
इन सभी टिप्पणियों के बाद फिल्म निर्देशक अग्निहोत्री को कोर्ट ने अवमानना का नोटिस वापस लेते हुए बरी कर दिया. साथ ही आगे भी अपनी टिप्पणियों के लिए सावधान रहने की हिदायत दी. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी रिकॉर्ड किया कि बिना शर्त माफी मांगने के लिए अग्निहोत्री कोर्ट में उपस्थित हैं.
2018 का है मामलाः 2018 में विवेक अग्निहोत्री ने जस्टिस एस मुरलीधर (अभी ओडिशा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश) पर भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को राहत देने और पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए ट्विटर कर टिप्पणी की थी.