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China-Bhutan border पर चीन की चालबाजी, विवादित क्षेत्र में कर रहा निर्माण, सैटेलाइट तस्वीरें आई सामने

चीन भूटान के साथ लगी हुई सीमा पर निर्माण कार्य (Bhutan border Chinese construction) कर रहा है. इस संबंध में सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भूटान के साथ विवादित बॉर्डर पर चीन (Bhutan border Chinese construction ) दो मंजिला इमारतों सहित 200 से अधिक संरचनाओं का निर्माण कर रहा है. खबरों के मुताबिक भूटान सीमा पर चीन छह स्थानों पर बस्तियों का तेज गति से निर्माण कर रहा है.

china bhutan flag
चीन और भूटान के झंडे
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Published : Jan 12, 2022, 3:59 PM IST

Updated : Jan 12, 2022, 6:25 PM IST

हैदराबाद : भूटान के साथ लगी चीन की विवादित सीमा पर संरचनाओं का विकास (China Bhutan border construction) हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन दो मंजिला इमारतों सहित 200 से अधिक संरचनाओं और बस्तियों का तेज गति से निर्माण कर रहा है. इस संबंध में अमेरिकी डेटा एनालिटिक्स फर्म हॉकआई 360 (data analytics firm HawkEye 360) ने सैटेलाइट इमेज जारी की है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भूटान सीमा पर चीनी निर्माण संबंधी तस्वीरों का कई जानकारों ने विश्लेषण किया है. खबरों के अनुसार सैटेलाइट तस्वीरें जारी करने वाली संस्था हॉकआई 360, जमीनी स्तर की गतिविधियों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करती है. हॉकआई 360 ने उपग्रहों की मदद से भूटान सीमा पर चीनी निर्माण की जो तस्वीरें जारी की हैं, दो अन्य विशेषज्ञों ने इनकी जांच की है. इन तस्वीरों के मुताबिक भूटान के साथ लगी सीमा पर चीन ने हाल के दिनों में निर्माण कार्य तेज किया है.

हॉकआई 360 (HawkEye 360) में मिशन एप्लिकेशन निदेशक क्रिस बिगर्स (Chris Biggers china construction on bhutan border) ने बताया है कि भूटान की पश्चिमी सीमा पर चीन काफी समय से निर्माण कर रहा है. साल 2020 से ही चीन संरचनाओं का विकास कर रहा है. सेटेलाइट इमेजरी फर्म कैपेला स्पेस और प्लैनेट लैब्स (Capella Space and Planet Labs) ने चीनी गतिविधियों के बारे में कुछ तस्वीरें जारी की हैं. इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि चीन ने इलाके में साफ-सफाई करने के बाद रास्ते का निर्माण किया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिगर्स ने कहा, सेटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि 2021 में भूटान सीमा पर चीन के संरचना निर्माण के काम (Bhutan border Chinese construction) में तेजी आई है. उन्होंने कहा कि संभवत: घरेलू उपकरण और आपूर्ति के लिए छोटे ढांचे बनाए गए. उन्होंने कहा कि छोटी संरचनाओं के विकास के बाद नींव रखी गई और फिर इमारतों का भी निर्माण किया गया.

बैठक पर रक्षा विशेषज्ञ मेजर जन. जीडी बख्शी की राय

चीन भूटान सीमा पर संरचना विकास को लेकर ईटीवी भारत ने रक्षा मामलों के जानकार मेजर जनरल जीडी बख्शी से बात की. बख्शी ने कहा कि चीन भारत को भड़काने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि भूटान सीमा के पास गांवों को बसाने की कोशिश सलामी-स्लाइसिंग (salami-slicing) है.

चीन की सलामी-स्लाइसिंग (china salami slicing) के रवैये पर भारत की प्रतिक्रिया के संबंध में जीडी बख्शी ने कहा, भारत ने कैलाश रेंज में चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया और रणनीतिक स्थलों पर कब्जा कर लिया. उन्होंने कहा, हम अब भी ऐसा कर सकते हैं.

भूटान बॉर्डर पर चीन की कुटिल चाल को लेकर उन्होंने कहा कि भारत के आक्रामक रुख को देखते हुए चीन ने नया तरीका अपनाया है. उन्होंने कहा कि चीन सीमावर्ती गांव विकसित कर रहा है. यह उसकी एक चाल है, जो उनके लिए पूर्व चेतावनी केंद्र के रूप में कार्य कर सकते हैं.

g d bakshi
रक्षा विशेषज्ञ मेजर जन. जीडी बख्शी (फाइल फोटो)

जीडी बख्शी ने कहा, चीन अपने दावों को प्रमाणित करने के लिए जिस तरह से अपने तटरक्षकों, मछली पकड़ने के बेड़े, निजी मछली पकड़ने के बेड़े का उपयोग कर रहा है, इससे साफ है कि वह इन क्षेत्रों पर दावा ठोक रहा है. उन्होंने कहा कि चीन अब हमारी सीमा पर, अरुणाचल सीमा पर गांवों को बसाने की ताक में है. उन्होंने कहा कि चीन की इस पहल के पीछे कारण यह है कि उनके पास नियमित पैदल सेना की कमी (Chinese are short of regular infantry) है. उन्हें बॉर्डर पर गश्ती करने में परेशानी होती है.

भूटान की ओर से कोई प्रतिक्रिया न आने के सवाल पर जीडी बख्शी ने कहा, भूटान की अपनी मजबूरियां हैं. वे चीन का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं. हालांकि, भारत ने भूटान को आश्वासन दिया है कि हम उनका समर्थन करेंगे. भूटान को भारत का साथ मिले इस संबंध में एक संधि की बाध्यता भी है.

क्या भूटान सीमा पर चीन की गतिविधि सुदूर डोकलाम पठार को नियंत्रित (china Doklam plateau strategy) करने की एक रणनीति है ? यह पूछे जाने पर जीडी बख्शी ने कहा, डोकलाम में भारत ने चीन का बहुत कड़ा विरोध किया था. चीन रिग लाइन से 200-300 मीटर पीछे हटने पर मजबूर हुआ था. बता दें कि कई रक्षा मामलों के जानकार यह कह चुके हैं कि डोकलाम में चीन की गतिविधियों का एक मकसद निकटवर्ती 'चिकन नेक' क्षेत्र (Chicken's Neck area) तक अधिकतम पहुंच हासिल करना था. ऐसा इसलिए क्योंकि डोकलाम 'चिकन नेक' वाले क्षेत्र से काफी करीब है. 'चिकन नेक' भारत को उसके पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने के रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम भूभाग है.

खबरों के मुताबिक चीन ने भूटान सीमा पर जो निर्माण किए हैं, कैपेला स्पेस ने इनकी उपग्रह छवियों को कैप्चर किया है. इनका अध्ययन करने वाले दो अन्य विशेषज्ञों के मुताबिक सभी छह बस्तियां चीन और भूटान के विवादित क्षेत्र में प्रतीत होती हैं. इसमें लगभग 110 वर्ग किलोमीटर का विवादित क्षेत्र भी शामिल है. जानकारों के मुताबिक जिस क्षेत्र में चीन संरचनाओं का विकास कर रहा है, उस रास्ते में संसाधन और स्थानीय मूल आबादी बहुत कम मात्रा में है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भूटान के विदेश मंत्रालय ने चीनी गतिविधियों के बारे में कहा, यह भूटान की नीति है कि वह जनता के बीच सीमा से जुड़े मुद्दों पर बात न करे. मंत्रालय ने इस संबंध में आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार और भारतीय रक्षा सूत्र ने कहा कि भूटान सीमा पर निर्माण से पता चलता है कि चीन अपनी महत्वाकांक्षाओं को ठोस रूप देकर सीमा विवाद को अपने दावों के आधार पर हल करने पर आमादा है.

भूटान सीमा पर चीन द्वारा संरचना विकास के संबंध में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन द्वारा किया जा रहा निर्माण पूरी तरह से स्थानीय लोगों के काम करने और उनके रहने की स्थिति में सुधार करने (improving working and living conditions) के मकसद से किया जा रहा है. मंत्रालय ने कहा, यह चीन की संप्रभुता है कि वह अपने क्षेत्र में सामान्य निर्माण गतिविधियों को अंजाम दे. चीनी मंत्रालय ने भी इस मामले में विस्तृत टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

यह भी पढ़ें- Chinese soldiers in Galwan : विदेश मंत्रालय ने कहा- गलवान पर मीडिया रिपोर्ट गलत, भारत चौकस

बता दें कि चीन की धौंस जमाने की प्रवृत्ति इससे पहले भी सामने आ चुकी है. चीन और भारत के बीच जारी एलएसी विवाद के बीच पिछले दिनों यह खबर आई थी कि चीन पैंगोंग त्सो झील पर पुल का निर्माण कर रहा है. इस संबंध में भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीन की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है.

यह भी पढ़ें- China Pangong Lake Bridge : 'ड्रैगन' ने शुरू किया पुल का निर्माण, सैनिकों को मिलेगी बड़ी मदद

गत तीन जनवरी को सामने आई खबरों के मुताबिक लद्दाख में पैंगोंग लेक के पास चीन ब्रिज का निर्माण (China Pangong Lake Bridge) करा रहा है. चीन ने जो पुल का निर्माण शुरू किया है, इससे चीनी सैनिकों को बड़ी मदद मिलेगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पैंगोंग झील के जिस हिस्से पर चीन पुल बना रहा है, वह सबसे संकरा क्षेत्र है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पुल और सड़कें बनाकर अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रही है. पुल बनने से 200 किलोमीटर की दूरी मात्र 40-50 किलोमीटर रह जाएगी.

भारत से जुड़े इलाकों में भी चीन के निर्माण !
दिसंबर, 2021 में आई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने पैंगोग त्सो इलाके में संभावित हेलीपैड के अलावा स्थायी शिविर जैसे निर्माण किए हैं. तस्वीरों में चीन की जेटी देखी जा सकती है. पैंगोग त्सो के किनारों पर किए गए कथित निर्माण की तस्वीरों को जैक डिट्चो (Jack Detsch) ने ट्वीट किया है. जैक ने ट्विटर बायो में खुद को फॉरेन पॉलिसी मैगजीन का रिपोर्टर बताया है.

यह भी पढ़ें- pangong tso satellite image : चीन की चालबाजी फिर आई सामने, झील के किनारों पर निर्माण !

फॉरेन पॉलिसी मैगजीन से जुड़े जैक ने लिखा था कि सेटेलाइट फोटो से स्पष्ट होता है कि चीन ने पैंगोंग त्सो के किनारे अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है. उन्होंने जुलाई, 2021 के मीडिया रिपोर्ट का जिक्र किया और लिखा कि चीन और भारत के सैन्य टैंक इसी इलाके में एक-दूसरे के काफी करीब तैनात किए गए (tanks wewe stationed within firing distance) थे. पैंगोंग इलाके की सेटेलाइट तस्वीरें मैक्सर (@Maxar) की मदद से जारी की गई थी.

हैदराबाद : भूटान के साथ लगी चीन की विवादित सीमा पर संरचनाओं का विकास (China Bhutan border construction) हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन दो मंजिला इमारतों सहित 200 से अधिक संरचनाओं और बस्तियों का तेज गति से निर्माण कर रहा है. इस संबंध में अमेरिकी डेटा एनालिटिक्स फर्म हॉकआई 360 (data analytics firm HawkEye 360) ने सैटेलाइट इमेज जारी की है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भूटान सीमा पर चीनी निर्माण संबंधी तस्वीरों का कई जानकारों ने विश्लेषण किया है. खबरों के अनुसार सैटेलाइट तस्वीरें जारी करने वाली संस्था हॉकआई 360, जमीनी स्तर की गतिविधियों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करती है. हॉकआई 360 ने उपग्रहों की मदद से भूटान सीमा पर चीनी निर्माण की जो तस्वीरें जारी की हैं, दो अन्य विशेषज्ञों ने इनकी जांच की है. इन तस्वीरों के मुताबिक भूटान के साथ लगी सीमा पर चीन ने हाल के दिनों में निर्माण कार्य तेज किया है.

हॉकआई 360 (HawkEye 360) में मिशन एप्लिकेशन निदेशक क्रिस बिगर्स (Chris Biggers china construction on bhutan border) ने बताया है कि भूटान की पश्चिमी सीमा पर चीन काफी समय से निर्माण कर रहा है. साल 2020 से ही चीन संरचनाओं का विकास कर रहा है. सेटेलाइट इमेजरी फर्म कैपेला स्पेस और प्लैनेट लैब्स (Capella Space and Planet Labs) ने चीनी गतिविधियों के बारे में कुछ तस्वीरें जारी की हैं. इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि चीन ने इलाके में साफ-सफाई करने के बाद रास्ते का निर्माण किया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिगर्स ने कहा, सेटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि 2021 में भूटान सीमा पर चीन के संरचना निर्माण के काम (Bhutan border Chinese construction) में तेजी आई है. उन्होंने कहा कि संभवत: घरेलू उपकरण और आपूर्ति के लिए छोटे ढांचे बनाए गए. उन्होंने कहा कि छोटी संरचनाओं के विकास के बाद नींव रखी गई और फिर इमारतों का भी निर्माण किया गया.

बैठक पर रक्षा विशेषज्ञ मेजर जन. जीडी बख्शी की राय

चीन भूटान सीमा पर संरचना विकास को लेकर ईटीवी भारत ने रक्षा मामलों के जानकार मेजर जनरल जीडी बख्शी से बात की. बख्शी ने कहा कि चीन भारत को भड़काने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि भूटान सीमा के पास गांवों को बसाने की कोशिश सलामी-स्लाइसिंग (salami-slicing) है.

चीन की सलामी-स्लाइसिंग (china salami slicing) के रवैये पर भारत की प्रतिक्रिया के संबंध में जीडी बख्शी ने कहा, भारत ने कैलाश रेंज में चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया और रणनीतिक स्थलों पर कब्जा कर लिया. उन्होंने कहा, हम अब भी ऐसा कर सकते हैं.

भूटान बॉर्डर पर चीन की कुटिल चाल को लेकर उन्होंने कहा कि भारत के आक्रामक रुख को देखते हुए चीन ने नया तरीका अपनाया है. उन्होंने कहा कि चीन सीमावर्ती गांव विकसित कर रहा है. यह उसकी एक चाल है, जो उनके लिए पूर्व चेतावनी केंद्र के रूप में कार्य कर सकते हैं.

g d bakshi
रक्षा विशेषज्ञ मेजर जन. जीडी बख्शी (फाइल फोटो)

जीडी बख्शी ने कहा, चीन अपने दावों को प्रमाणित करने के लिए जिस तरह से अपने तटरक्षकों, मछली पकड़ने के बेड़े, निजी मछली पकड़ने के बेड़े का उपयोग कर रहा है, इससे साफ है कि वह इन क्षेत्रों पर दावा ठोक रहा है. उन्होंने कहा कि चीन अब हमारी सीमा पर, अरुणाचल सीमा पर गांवों को बसाने की ताक में है. उन्होंने कहा कि चीन की इस पहल के पीछे कारण यह है कि उनके पास नियमित पैदल सेना की कमी (Chinese are short of regular infantry) है. उन्हें बॉर्डर पर गश्ती करने में परेशानी होती है.

भूटान की ओर से कोई प्रतिक्रिया न आने के सवाल पर जीडी बख्शी ने कहा, भूटान की अपनी मजबूरियां हैं. वे चीन का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं. हालांकि, भारत ने भूटान को आश्वासन दिया है कि हम उनका समर्थन करेंगे. भूटान को भारत का साथ मिले इस संबंध में एक संधि की बाध्यता भी है.

क्या भूटान सीमा पर चीन की गतिविधि सुदूर डोकलाम पठार को नियंत्रित (china Doklam plateau strategy) करने की एक रणनीति है ? यह पूछे जाने पर जीडी बख्शी ने कहा, डोकलाम में भारत ने चीन का बहुत कड़ा विरोध किया था. चीन रिग लाइन से 200-300 मीटर पीछे हटने पर मजबूर हुआ था. बता दें कि कई रक्षा मामलों के जानकार यह कह चुके हैं कि डोकलाम में चीन की गतिविधियों का एक मकसद निकटवर्ती 'चिकन नेक' क्षेत्र (Chicken's Neck area) तक अधिकतम पहुंच हासिल करना था. ऐसा इसलिए क्योंकि डोकलाम 'चिकन नेक' वाले क्षेत्र से काफी करीब है. 'चिकन नेक' भारत को उसके पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने के रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम भूभाग है.

खबरों के मुताबिक चीन ने भूटान सीमा पर जो निर्माण किए हैं, कैपेला स्पेस ने इनकी उपग्रह छवियों को कैप्चर किया है. इनका अध्ययन करने वाले दो अन्य विशेषज्ञों के मुताबिक सभी छह बस्तियां चीन और भूटान के विवादित क्षेत्र में प्रतीत होती हैं. इसमें लगभग 110 वर्ग किलोमीटर का विवादित क्षेत्र भी शामिल है. जानकारों के मुताबिक जिस क्षेत्र में चीन संरचनाओं का विकास कर रहा है, उस रास्ते में संसाधन और स्थानीय मूल आबादी बहुत कम मात्रा में है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भूटान के विदेश मंत्रालय ने चीनी गतिविधियों के बारे में कहा, यह भूटान की नीति है कि वह जनता के बीच सीमा से जुड़े मुद्दों पर बात न करे. मंत्रालय ने इस संबंध में आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार और भारतीय रक्षा सूत्र ने कहा कि भूटान सीमा पर निर्माण से पता चलता है कि चीन अपनी महत्वाकांक्षाओं को ठोस रूप देकर सीमा विवाद को अपने दावों के आधार पर हल करने पर आमादा है.

भूटान सीमा पर चीन द्वारा संरचना विकास के संबंध में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन द्वारा किया जा रहा निर्माण पूरी तरह से स्थानीय लोगों के काम करने और उनके रहने की स्थिति में सुधार करने (improving working and living conditions) के मकसद से किया जा रहा है. मंत्रालय ने कहा, यह चीन की संप्रभुता है कि वह अपने क्षेत्र में सामान्य निर्माण गतिविधियों को अंजाम दे. चीनी मंत्रालय ने भी इस मामले में विस्तृत टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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बता दें कि चीन की धौंस जमाने की प्रवृत्ति इससे पहले भी सामने आ चुकी है. चीन और भारत के बीच जारी एलएसी विवाद के बीच पिछले दिनों यह खबर आई थी कि चीन पैंगोंग त्सो झील पर पुल का निर्माण कर रहा है. इस संबंध में भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीन की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है.

यह भी पढ़ें- China Pangong Lake Bridge : 'ड्रैगन' ने शुरू किया पुल का निर्माण, सैनिकों को मिलेगी बड़ी मदद

गत तीन जनवरी को सामने आई खबरों के मुताबिक लद्दाख में पैंगोंग लेक के पास चीन ब्रिज का निर्माण (China Pangong Lake Bridge) करा रहा है. चीन ने जो पुल का निर्माण शुरू किया है, इससे चीनी सैनिकों को बड़ी मदद मिलेगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पैंगोंग झील के जिस हिस्से पर चीन पुल बना रहा है, वह सबसे संकरा क्षेत्र है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पुल और सड़कें बनाकर अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रही है. पुल बनने से 200 किलोमीटर की दूरी मात्र 40-50 किलोमीटर रह जाएगी.

भारत से जुड़े इलाकों में भी चीन के निर्माण !
दिसंबर, 2021 में आई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने पैंगोग त्सो इलाके में संभावित हेलीपैड के अलावा स्थायी शिविर जैसे निर्माण किए हैं. तस्वीरों में चीन की जेटी देखी जा सकती है. पैंगोग त्सो के किनारों पर किए गए कथित निर्माण की तस्वीरों को जैक डिट्चो (Jack Detsch) ने ट्वीट किया है. जैक ने ट्विटर बायो में खुद को फॉरेन पॉलिसी मैगजीन का रिपोर्टर बताया है.

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फॉरेन पॉलिसी मैगजीन से जुड़े जैक ने लिखा था कि सेटेलाइट फोटो से स्पष्ट होता है कि चीन ने पैंगोंग त्सो के किनारे अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है. उन्होंने जुलाई, 2021 के मीडिया रिपोर्ट का जिक्र किया और लिखा कि चीन और भारत के सैन्य टैंक इसी इलाके में एक-दूसरे के काफी करीब तैनात किए गए (tanks wewe stationed within firing distance) थे. पैंगोंग इलाके की सेटेलाइट तस्वीरें मैक्सर (@Maxar) की मदद से जारी की गई थी.

Last Updated : Jan 12, 2022, 6:25 PM IST
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