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दर्द-ए-दास्तां: उसने गोल्ड तो जीता, लेकिन उसे नहीं पता था कि उसकी मां नहीं देख पाएगी - हरियाणा के बॉक्सर आकाश कुमार

हरियाणा के 20 साल के बॉक्सर आकाश कुमार जब नेशनल बॉक्सिंग चैंपिनशिप के लिए कर्नाटक जा रहे थे तो उन्होंने अपनी मां से वादा किया था कि वह उनके लिए गोल्ड मेडल जीतकर लेकर आए. एक हफ्ते तक चली इस चैंपियनशिप में आकाश ने कई बड़े दिग्गजों को मात देकर गोल्ड जीता और अगले महीने होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भी जगह पक्की की. आकाश ने मां का सपना तो पूरा कर दिया, लेकिन वह इसकी खुशी अपनी मां के साथ नहीं मना पाए.

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बॉक्सर आकाश कुमार
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Published : Sep 24, 2021, 6:11 PM IST

भिवानी: हरियाणा में जिला भिवानी के रहने वाले राष्ट्रीय बॉक्सिंग खिलाड़ी आकाश ने कर्नाटक में गोल्ड जीता, लेकिन उनके लिए वो जिंदगी का सबसे बुरा दिन साबित हुआ. आकाश ने नेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड जीतकर अपनी मां सपना तो पूरा किया, लेकिन अपनी मां को खो दिया. अब मजबूरन आकाश को अपना गोल्ड मां के चरणों की बजाय मां की फोटो पर चढ़ाना पड़ा.

बॉक्सर के मां की मौत

बता दें, हाल ही में कर्नाटक में नेशनल बॉक्सिंग सर्विसेज टूर्नामेंट हुए थे, जिनमें भिवानी के गांव पालुवास निवासी बॉक्सर 20 साल के आकाश 13 सितंबर को 54 किलोग्राम भारवर्ग में भाग लेने के लिए अपनी बीमार मां संतोष को अस्पताल में छोड़कर रवाना हुए. 14 सितंबर से ये टूर्नामेंट शुरू हुआ और आकाश ने एक के बाद एक मुकाबला जीत कर 21 सितंबर को गोल्ड मेडल हासिल किया.

यह भी पढ़ें: ओस्ट्रावा ओपन: बेनसिच, मार्टिनकोवा, रयबाकिना, टीचमैन और सकारी अगले दौर में

22 सितंबर की शाम आकाश गांव पहुंचे. घर आते समय आकाश की खुशियों का ठिकाना नहीं था, लेकिन घर पहुंचकर उन्हें जो खबर मिली, उससे आकाश के पैरों तले जमीन खिसक गई. आकाश की मां की मौत 14 सितंबर की रात को ही हो चुकी थी.

यह भी पढ़ें: महिला यूरोपीय चैम्पियनशिप की पुरस्कार राशि दोगुनी तक करने के बावजूद पुरूषों की तुलना में है काफी कम

आकाश का कहना है, उनकी मां ने गोल्ड लाने को लेकर बहुत संघर्ष की थी. अपनी मां के इस संघर्ष के कारण ही वो गोल्ड मेडल जीत पाया. उनकी मां ने कहा था कि वो गोल्ड मेडल देखना चाहती हैं. आकाश ने बताया, अब वो अगले महीने सर्बिया में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे हैं और उसके बाद कॉमनवेल्थ, एशियन और एक दिन ऑलंपिक में गोल्ड जीतकर अपनी मां का सपना पूरा करेंगे.

यह भी पढ़ें: विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप: तीन भारतीय क्वार्टर फाइनल में

वहीं आकाश के चाचा भंवर सिंह ने बताया, आकाश को इसकी मां की मौत की सूचना इसके भविष्य को देखते हुए नहीं दी. वहीं उनके कहने पर कोच ने भी बात मानी और आकाश और उसके साथी बॉक्सरों के फोन जमा कर लिए थे.

उन्होंने बताया कि आकाश के पिता की मौत साल 2008 में हो चुकी है. चाचा ने कहा, आकाश ने अपनी मां के सपने को पूरा किया, लेकिन उसकी मां का गोल्ड देखने का सपना पूरा नहीं हो सका.

भिवानी: हरियाणा में जिला भिवानी के रहने वाले राष्ट्रीय बॉक्सिंग खिलाड़ी आकाश ने कर्नाटक में गोल्ड जीता, लेकिन उनके लिए वो जिंदगी का सबसे बुरा दिन साबित हुआ. आकाश ने नेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड जीतकर अपनी मां सपना तो पूरा किया, लेकिन अपनी मां को खो दिया. अब मजबूरन आकाश को अपना गोल्ड मां के चरणों की बजाय मां की फोटो पर चढ़ाना पड़ा.

बॉक्सर के मां की मौत

बता दें, हाल ही में कर्नाटक में नेशनल बॉक्सिंग सर्विसेज टूर्नामेंट हुए थे, जिनमें भिवानी के गांव पालुवास निवासी बॉक्सर 20 साल के आकाश 13 सितंबर को 54 किलोग्राम भारवर्ग में भाग लेने के लिए अपनी बीमार मां संतोष को अस्पताल में छोड़कर रवाना हुए. 14 सितंबर से ये टूर्नामेंट शुरू हुआ और आकाश ने एक के बाद एक मुकाबला जीत कर 21 सितंबर को गोल्ड मेडल हासिल किया.

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22 सितंबर की शाम आकाश गांव पहुंचे. घर आते समय आकाश की खुशियों का ठिकाना नहीं था, लेकिन घर पहुंचकर उन्हें जो खबर मिली, उससे आकाश के पैरों तले जमीन खिसक गई. आकाश की मां की मौत 14 सितंबर की रात को ही हो चुकी थी.

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आकाश का कहना है, उनकी मां ने गोल्ड लाने को लेकर बहुत संघर्ष की थी. अपनी मां के इस संघर्ष के कारण ही वो गोल्ड मेडल जीत पाया. उनकी मां ने कहा था कि वो गोल्ड मेडल देखना चाहती हैं. आकाश ने बताया, अब वो अगले महीने सर्बिया में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे हैं और उसके बाद कॉमनवेल्थ, एशियन और एक दिन ऑलंपिक में गोल्ड जीतकर अपनी मां का सपना पूरा करेंगे.

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वहीं आकाश के चाचा भंवर सिंह ने बताया, आकाश को इसकी मां की मौत की सूचना इसके भविष्य को देखते हुए नहीं दी. वहीं उनके कहने पर कोच ने भी बात मानी और आकाश और उसके साथी बॉक्सरों के फोन जमा कर लिए थे.

उन्होंने बताया कि आकाश के पिता की मौत साल 2008 में हो चुकी है. चाचा ने कहा, आकाश ने अपनी मां के सपने को पूरा किया, लेकिन उसकी मां का गोल्ड देखने का सपना पूरा नहीं हो सका.

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