हैदराबाद: चार राज्यों में आ रहे विधानसभा चुनाव के नतीजों से तस्वीर साफ हो गई कि फिर कमल खिला है. जबकि तेलंगाना कांग्रेस के लिए लकी साबित हुआ है. जिस तरह से तीन राज्यों में भाजपा को बढ़त मिली है, उसके पीछे संगठन की एकजुटता है. सबसे खास बात ये है कि भाजपा ने चुनाव से पहले किसी भी राज्य के लिए सीएम चेहरा घोषित नहीं किया था. पूरा चुनाव भाजपा ने मोदी मैजिक के सहारे लड़ा, जिसका उसे फायदा भी मिला. यहां तक कि तेलंगाना में भी पार्टी को सीटें मिली हैं.
भाजपा ने किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री पद के चेहरे का नाम बताए बिना विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया था. जहां कुछ चुनौती देने वालों की मौजूदगी के बावजूद चौहान मध्य प्रदेश में सत्ता पर बने रहने के प्रबल दावेदार के रूप में उभरे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नेतृत्व की दौड़ खुली हुई है, ये दो राज्य हैं जहां भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली है.
कौन बनेगा सीएम : अगला बड़ा सवाल तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को लेकर है. पार्टी ने चुनाव से पहले किसी भी सीएम चेहरे को पेश नहीं किया था. राजस्थान में इस बात को लेकर अटकलें तेज हैं कि क्या वसुंधरा राजे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगी. छत्तीसगढ़ में पार्टी में कई लोग मानते हैं कि पूर्व सीएम रमन सिंह को केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास हासिल है.
मध्य प्रदेश में राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के दावे को खारिज करना भी मुश्किल हो जाएगा. हालांकि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. वह भी इस रेस में हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया को लंबे समय से मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के रूप में देखा जाता रहा है. राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की पसंद के रूप में पार्टी आलाकमान एक नए चेहरे की ओर रुख कर सकता है.
छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, राज्य भाजपा अध्यक्ष अरुण कुमार साव, विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक और पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी को राजनीतिक पर्यवेक्षक शीर्ष पद के दावेदारों में से एक के रूप में देखते हैं. तीनों राज्यों में कई केंद्रीय मंत्री भी सीएम पद की दौड़ में हैं.