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गुजरात की 'नई सरकार' में कोई मंत्री नहीं हुआ रिपीट, बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक या फिर...?

भाजपा ने गुजरात में इस पिछली सरकार के किसी मंत्री को नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी है. यहां तक कि भाजपा ने उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल का पत्ता भी काट दिया है. इस आमूलचूल बदलाव पर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा नए दिखने वाले मंत्रिपरिषद के साथ 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले एक प्रभाव छोड़ना चाहती है. इस पर पढ़ें यह रिपोर्ट...

गुजरात में कायापलट
गुजरात में कायापलट
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Published : Sep 17, 2021, 7:47 PM IST

Updated : Sep 17, 2021, 8:31 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपनी मंत्रिपरिषद में 24 मंत्रियों को शामिल किया, जिसमें 10 को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. पूर्ववर्ती विजय रूपाणी के विपरीत भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली सरकार में नये चेहरों का बोलबाला है. इसे राजनीति के जानकारों ने भाजपा साहसिक कदम बताया है. भाजपा ने पुराने मंत्रियों को न दोहराने का फार्मूला अपनाते हुए रूपाणी मंत्रिपरिषद के किसी सदस्य को नहीं शामिल किया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा नये दिखने वाले मंत्रिपरिषद के साथ 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले एक प्रभाव छोड़ना चाहती है.

भारतीय जनता पार्टी का असामान्य कदम किसी भी सत्ता-विरोधी लहर की आशंका को निर्मूल करने और सभी क्षेत्रीय छत्रपों को यह स्पष्ट संदेश देने की रणनीति को दर्शाता है कि जनता का समर्थन बनाये रखने के पार्टी के प्रयास में किसी पर भी गाज गिर सकती है.

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पहली बार विधायक निर्वाचित हुए. इसके साथ ही प्रदेश में भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की संख्या 25 हो गई है. नई सरकार में 21 सदस्य पहली बार मंत्री बने हैं. मंत्रिपरिषद में नये बनाये गए मंत्रियों में दो महिलाएं हैं.

किसी राज्य में पूरी की पूरी सरकार को बदलने का गुजरात का घटनाक्रम पहली बार देखने को मिला, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल से ही बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों को दरकिनार करने और नये चेहरों को लाने की रणनीति अपनाते रहे हैं ताकि मतदान के समय पार्टी को लेकर लोगों में किसी तरह की नाराजगी हो तो उसे दूर किया जा सके.

जानकारों का मानना है कि भाजपा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी प्रकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसलिए मतदाताओं के बीच जो पार्टी के प्रति गुस्सा भरा हुआ है, उसे बेअसर करने के लिए भाजपा ने मंत्रिमंडल में भारी संख्या में नए चेहरों को जगह दी है. जानकारों का कहना है कि गुजरात के माध्यम से बीजेपी के आलाकमान ने भाजपा शासित अन्य राज्यों को क्षत्रपों को कड़ा संदेश दिया है.

यही रणनीति 2014 और 2019 में केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से दूसरी जगहों पर भी देखी जाती रही है. भाजपा ने 2017 में दिल्ली नगर निगम चुनावों में अपने एक भी मौजूदा पार्षद को नहीं उतारा था और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य के अपने 10 लोकसभा सदस्यों को टिकट नहीं दी.

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मजबूत प्रतिद्वंद्वी के तौर पर उभरने के बावजूद भाजपा ने तीनों नगर निगमों पर अपना नियंत्रण बरकरार रखा. भाजपा की यह रणनीति छत्तीसगढ़ में भी काम आई और पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की 11 में से नौ सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार विजयी हुए.

भाजपा के एक नेता ने कहा कि आपको एक ऐसे नेता की जरूरत है जिसके पास इस तरह के साहसिक कदम उठाने का अधिकार और जनता का समर्थन हो, जबकि इस तरह के कदमों के अपने जोखिम हैं. मोदी उसी तरह के नेता हैं. पार्टी ने गुजरात के लोगों को बिल्कुल नयी सरकार दी है. अगर उन्हें पिछली सरकार से कोई नाराजगी रही होगी तो वह अब निश्चित रूप से समाप्त हो जाएगी.

एक अन्य नेता ने कहा कि यह एक लोकतांत्रिक प्रयोग है और किसी सत्तारूढ़ दल ने सरकार में इतने व्यापक स्तर पर फेरबदल पहले कभी नहीं की. उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम के बावजूद किसी तरह के असहमति के स्वर नहीं उठने से स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का दबदबा पार्टी में कायम है.

गुजरात में अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां के हालिया घटनाक्रम से चुनाव से पहले राजनीतिक विमर्श बदलना तय है. अब नयी सरकार को लेकर जनता की सोच अहम होगी. अब लोग इस बात को लेकर चर्चा करने लगे हैं कि क्या भाजपा अन्य राज्यों में भी नये नेताओं को सामने लाएगी जहां वह सत्ता में है.

यह भी पढ़ें- गुजरात : भूपेंद्र पटेल की टीम में 24 मंत्रियों ने ली शपथ

नई सरकार के प्रति लोगों की धारणा कैसी हैं, अब एक महत्वपूर्ण कारण होगा. और बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने पूर्ववर्ती विजय रूपाणी की तुलना में कैसा प्रदर्शन करती है. किसी का अनुमान है कि पार्टी और अधिक राज्यों में नए नेताओं को लाएगी या नहीं. इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. हालांकि गुजरात के माध्यम से बीजेपा के आलाकमान ने भाजपा शासित अन्य राज्यों के क्षत्रपों को स्पष्ट संदेश दिया है.

भाजपा ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से निपटने के तरीकों को लेकर कुछ राज्यों की आलोचनाओं के बाद अपने शासन वाले कुछ प्रदेशों में सांगठनिक और प्रशासनिक कामकाज की व्यापक समीक्षा की है. दूसरी तरफ केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद विस्तार में कुछ बड़े चेहरों को दरकिनार करने और बड़ी संख्या में नये चेहरों पर भरोसा जताने पर विपक्षी दलों ने मोदी पर निशाना साधा है. भाजपा ने हाल में कर्नाटक और उत्तराखंड में भी अपने मुख्यमंत्रियों को बदला था.

(पीटीआई)

अहमदाबाद : गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपनी मंत्रिपरिषद में 24 मंत्रियों को शामिल किया, जिसमें 10 को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. पूर्ववर्ती विजय रूपाणी के विपरीत भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली सरकार में नये चेहरों का बोलबाला है. इसे राजनीति के जानकारों ने भाजपा साहसिक कदम बताया है. भाजपा ने पुराने मंत्रियों को न दोहराने का फार्मूला अपनाते हुए रूपाणी मंत्रिपरिषद के किसी सदस्य को नहीं शामिल किया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा नये दिखने वाले मंत्रिपरिषद के साथ 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले एक प्रभाव छोड़ना चाहती है.

भारतीय जनता पार्टी का असामान्य कदम किसी भी सत्ता-विरोधी लहर की आशंका को निर्मूल करने और सभी क्षेत्रीय छत्रपों को यह स्पष्ट संदेश देने की रणनीति को दर्शाता है कि जनता का समर्थन बनाये रखने के पार्टी के प्रयास में किसी पर भी गाज गिर सकती है.

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पहली बार विधायक निर्वाचित हुए. इसके साथ ही प्रदेश में भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की संख्या 25 हो गई है. नई सरकार में 21 सदस्य पहली बार मंत्री बने हैं. मंत्रिपरिषद में नये बनाये गए मंत्रियों में दो महिलाएं हैं.

किसी राज्य में पूरी की पूरी सरकार को बदलने का गुजरात का घटनाक्रम पहली बार देखने को मिला, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल से ही बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों को दरकिनार करने और नये चेहरों को लाने की रणनीति अपनाते रहे हैं ताकि मतदान के समय पार्टी को लेकर लोगों में किसी तरह की नाराजगी हो तो उसे दूर किया जा सके.

जानकारों का मानना है कि भाजपा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी प्रकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसलिए मतदाताओं के बीच जो पार्टी के प्रति गुस्सा भरा हुआ है, उसे बेअसर करने के लिए भाजपा ने मंत्रिमंडल में भारी संख्या में नए चेहरों को जगह दी है. जानकारों का कहना है कि गुजरात के माध्यम से बीजेपी के आलाकमान ने भाजपा शासित अन्य राज्यों को क्षत्रपों को कड़ा संदेश दिया है.

यही रणनीति 2014 और 2019 में केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से दूसरी जगहों पर भी देखी जाती रही है. भाजपा ने 2017 में दिल्ली नगर निगम चुनावों में अपने एक भी मौजूदा पार्षद को नहीं उतारा था और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य के अपने 10 लोकसभा सदस्यों को टिकट नहीं दी.

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मजबूत प्रतिद्वंद्वी के तौर पर उभरने के बावजूद भाजपा ने तीनों नगर निगमों पर अपना नियंत्रण बरकरार रखा. भाजपा की यह रणनीति छत्तीसगढ़ में भी काम आई और पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की 11 में से नौ सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार विजयी हुए.

भाजपा के एक नेता ने कहा कि आपको एक ऐसे नेता की जरूरत है जिसके पास इस तरह के साहसिक कदम उठाने का अधिकार और जनता का समर्थन हो, जबकि इस तरह के कदमों के अपने जोखिम हैं. मोदी उसी तरह के नेता हैं. पार्टी ने गुजरात के लोगों को बिल्कुल नयी सरकार दी है. अगर उन्हें पिछली सरकार से कोई नाराजगी रही होगी तो वह अब निश्चित रूप से समाप्त हो जाएगी.

एक अन्य नेता ने कहा कि यह एक लोकतांत्रिक प्रयोग है और किसी सत्तारूढ़ दल ने सरकार में इतने व्यापक स्तर पर फेरबदल पहले कभी नहीं की. उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम के बावजूद किसी तरह के असहमति के स्वर नहीं उठने से स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का दबदबा पार्टी में कायम है.

गुजरात में अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां के हालिया घटनाक्रम से चुनाव से पहले राजनीतिक विमर्श बदलना तय है. अब नयी सरकार को लेकर जनता की सोच अहम होगी. अब लोग इस बात को लेकर चर्चा करने लगे हैं कि क्या भाजपा अन्य राज्यों में भी नये नेताओं को सामने लाएगी जहां वह सत्ता में है.

यह भी पढ़ें- गुजरात : भूपेंद्र पटेल की टीम में 24 मंत्रियों ने ली शपथ

नई सरकार के प्रति लोगों की धारणा कैसी हैं, अब एक महत्वपूर्ण कारण होगा. और बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने पूर्ववर्ती विजय रूपाणी की तुलना में कैसा प्रदर्शन करती है. किसी का अनुमान है कि पार्टी और अधिक राज्यों में नए नेताओं को लाएगी या नहीं. इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. हालांकि गुजरात के माध्यम से बीजेपा के आलाकमान ने भाजपा शासित अन्य राज्यों के क्षत्रपों को स्पष्ट संदेश दिया है.

भाजपा ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से निपटने के तरीकों को लेकर कुछ राज्यों की आलोचनाओं के बाद अपने शासन वाले कुछ प्रदेशों में सांगठनिक और प्रशासनिक कामकाज की व्यापक समीक्षा की है. दूसरी तरफ केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद विस्तार में कुछ बड़े चेहरों को दरकिनार करने और बड़ी संख्या में नये चेहरों पर भरोसा जताने पर विपक्षी दलों ने मोदी पर निशाना साधा है. भाजपा ने हाल में कर्नाटक और उत्तराखंड में भी अपने मुख्यमंत्रियों को बदला था.

(पीटीआई)

Last Updated : Sep 17, 2021, 8:31 PM IST
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