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आज खीर खाकर शुरू होगा छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास, पहला अर्घ्य कल

नहाय खाय के साथ शुरू हुए छठ (Chhath) महापर्व को बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है. आज खरना है. आज के दिन व्रती रात में खीर खाकर फिर 36 घंटे का कठिन व्रत रखते हैं.

नहाय खाय के साथ शुरू होगा छठ व्रत
नहाय खाय के साथ शुरू होगा छठ व्रत
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Published : Nov 9, 2021, 6:18 AM IST

पटना: छठ पूजा (Chhath Puja 2021) के दौरान सूर्य देवता और उनकी बहन मानी जाने वाली छठी मईया की पूजा की जाती है. छठ पर्व का आरंभ नहाय खाय (Nahay Khay) के साथ हो चुका है. वहीं, पूजा के दूसरे दिन यानी कि आज खरना (kharna 2021) किया जाता है. खरना को लोहंडा भी कहा जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को चूल्हे पर खीर का प्रसाद बनाती हैं.

यह भी पढ़ें- Chhath Geet: छठी मईया के गीतों से गूंजा पटना का गंगा घाट

कई स्थानों पर इस दिन दो तरीके से खीर का प्रसाद बनाया जाता है. एक दूध और चावल से खीर बनाई जाती है जिसमें न तो चीनी और न ही गुड़ मिलाया जाता है. वहीं, दूसरे प्रकार की जो खीर बनाई जाती है उसे गुड़ से बनाया जाता है. इन दोनों के साथ ही रोटी भी बनाई जाती है. शाम को पूजा करने के बाद इन दोनों प्रकार के खीर को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है और ग्रहण किया जाता है.

नहाय खाय के साथ शुरू होगा छठ व्रत

यह भी पढ़ें- Chhath Puja 2021:छठ में चढ़ने वाले इन प्रसादों का है खास महत्व, मईया होती हैं प्रसन्न

खरना के अगले दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन महिलाएं तालाब या नदी में आधा डूबकर सूर्य भगवान की पूजा करती हैं और बांस से बने सूप में तमाम तरह के फल लेकर उनका भोग लगाती हैं. फिर शाम के अर्घ्य के बाद अगले दिन सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का समापन हो जाता है.

यह भी पढ़ें- नदी, तालाब और जल क्षेत्र के आस-पास ही क्यों की जाती है छठ पूजा, जानिए पूरी कहानी

जो लोग इस व्रत को अपने घरों में नहीं कर सकते वे लोग भी सूप में सभी तरह के प्रसाद रखकर छठव्रती के घरों तक ले जाते हैं और पूरे विधि विधान से उनके सुप दौरों की भी घाटों में पूजा होती है. इसलिए इसे लोकआस्था का महापर्व माना जाता है. इसमें सभी की भागीदारी किसी न किसी रूप में होती है. इस दौरान छठव्रती 36 घंटे निर्जला व्रत रखते हैं. यानी इस दौरान वे पानी भी नहीं पीते.

छठ पूजा का दूसरे दिन आज खरना को लेकर व्रती उत्साहित हैं. खरना या लोहंडा छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन व्रत रखा जाता और रात में खीर खाकर फिर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है. इस दिन छठ पूजा के प्रसाद की तैयारी की जाती है और प्रसाद बनाया जाता है. 10 नंवबर बुधवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 11 नवंबर गुरुवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.

पटना: छठ पूजा (Chhath Puja 2021) के दौरान सूर्य देवता और उनकी बहन मानी जाने वाली छठी मईया की पूजा की जाती है. छठ पर्व का आरंभ नहाय खाय (Nahay Khay) के साथ हो चुका है. वहीं, पूजा के दूसरे दिन यानी कि आज खरना (kharna 2021) किया जाता है. खरना को लोहंडा भी कहा जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को चूल्हे पर खीर का प्रसाद बनाती हैं.

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कई स्थानों पर इस दिन दो तरीके से खीर का प्रसाद बनाया जाता है. एक दूध और चावल से खीर बनाई जाती है जिसमें न तो चीनी और न ही गुड़ मिलाया जाता है. वहीं, दूसरे प्रकार की जो खीर बनाई जाती है उसे गुड़ से बनाया जाता है. इन दोनों के साथ ही रोटी भी बनाई जाती है. शाम को पूजा करने के बाद इन दोनों प्रकार के खीर को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है और ग्रहण किया जाता है.

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खरना के अगले दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन महिलाएं तालाब या नदी में आधा डूबकर सूर्य भगवान की पूजा करती हैं और बांस से बने सूप में तमाम तरह के फल लेकर उनका भोग लगाती हैं. फिर शाम के अर्घ्य के बाद अगले दिन सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का समापन हो जाता है.

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जो लोग इस व्रत को अपने घरों में नहीं कर सकते वे लोग भी सूप में सभी तरह के प्रसाद रखकर छठव्रती के घरों तक ले जाते हैं और पूरे विधि विधान से उनके सुप दौरों की भी घाटों में पूजा होती है. इसलिए इसे लोकआस्था का महापर्व माना जाता है. इसमें सभी की भागीदारी किसी न किसी रूप में होती है. इस दौरान छठव्रती 36 घंटे निर्जला व्रत रखते हैं. यानी इस दौरान वे पानी भी नहीं पीते.

छठ पूजा का दूसरे दिन आज खरना को लेकर व्रती उत्साहित हैं. खरना या लोहंडा छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन व्रत रखा जाता और रात में खीर खाकर फिर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है. इस दिन छठ पूजा के प्रसाद की तैयारी की जाती है और प्रसाद बनाया जाता है. 10 नंवबर बुधवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 11 नवंबर गुरुवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.

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