नई दिल्ली : भारतपे के पूर्व सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक अश्नीर ग्रोवर ने हाल ही में कहा था कि उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर ने अग्रिम कर के रूप में 1.15 करोड़ रुपये जमा किए. हालांकि, भारतपे में उनके कार्यकाल के दौरान जारी किए गए उनके गोल्डन दुबई वीजा पर, उनके व्यवसाय को 'हाउस वाइफ' के रूप में लिखा गया है.
माधुरी जैन ग्रोवर को गोल्डन दुबई वीजा, सितंबर 2021 में जारी किया गया. यह भी जानकारी पायी गई है कि माधुरी ग्रोवर सुरेश जैन (जैन माधुरी के पिता हैं) के नाम पर 'हाउस वाइफ' के रूप में उनके व्यवसाय का स्पष्ट उल्लेख है.
वीजा जारी करने के वक्त माधुरी जैन भारतपे में हेड ऑफ कंट्रोल के तौर पर काम कर रही थीं. वह 2000 से एक उद्यमी हैं और 2018 में भारतपे में शामिल होने से पहले उन्होंने वर्षो तक वरिष्ठ फैशन डिजाइनर के रूप में काम किया. भारतपे में, उन्होंने मानव संसाधन, वित्त और अन्य आंतरिक संचालन का प्रबंधन किया.
अब सवाल उठता है कि उन्होंने गोल्डन दुबई कार्ड पर 'हाउस वाइफ' कहलाना क्यों पसंद किया? 10 साल का गोल्डन दुबई वीजा एक लॉन्ग-टर्म रेसिडेंस वीजा है जो लोगों को विशेष लाभों का आनंद लेते हुए संयुक्त अरब अमीरात में रहने, काम करने या अध्ययन करने में सक्षम बनाता है.
15 दिसंबर को अशनीर ने ट्वीट किया था कि 'मेरी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर ने अभी-अभी 1.15 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स जमा किया है.' उन्होंने कहा था, "वह कई वर्षो से भारत की सबसे अधिक व्यक्तिगत महिला कर दाताओं में से एक रही हैं. आपको लगता है कि कितने वीसी भागीदारों ने भारत में अधिक कर का भुगतान किया है? कई नहीं- उनमें से अधिकांश सिंगापुर/दुबई में शून्य कर का भुगतान करते हैं."
इस महीने की शुरुआत में, भारतपे ने कंपनी के धन की भारी हेराफेरी को लेकर अशनीर, माधुरी जैन और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ आपराधिक और नागरिक कार्यवाही शुरू की थी. कंपनी ने ग्रोवर्स से 18 प्रतिशत ब्याज के साथ 88.6 करोड़ रुपये का कंपनी फंड चुकाने को कहा है, जिसे उन्होंने कथित तौर पर फर्जी बिल बनाने, वेंडर भुगतान और व्यक्तिगत उपयोग जैसे विभिन्न तरीकों से ठग लिया.
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(IANS)