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पश्चिम बंगाल : अम्फान प्रभावित क्षेत्रों को अगले तीन साल तक मदद की दरकार

स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव और महासचिव अविक साहा ने पश्चिम बंगाल में चक्रवात अम्फान से हुई तबाही को लेकर सरकार से बंगाल की जनता, विशेषकर किसानों की मदद करने का आह्वान किया है, जिन्हें चक्रवात के कारण सबसे अधिक नुकसान हुआ है.

योगेंद्र यादव
योगेंद्र यादव
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Published : May 25, 2020, 10:30 AM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में आए चक्रवाती तूफान 'अम्फान' से 80 से अधिक लोगों की मौत हो गई और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. कोरोना महामारी और लॉक डाउन के कारण पहले ही बेरोजगारी और तंगी से जूझ रहे लोगों के सामने अब जो बचा था, उसे अम्फान ने छीन लिया. ऐसी परिस्थिति में उनके सामने आजीविका का बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव और महासचिव अविक साहा ने इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए कई ऐसे सुझाव सामने रखे हैं, जिनके माध्यम से लोगों को मदद की जा सकती है. बतौर अविक साहा बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र और बाकी प्रभावित क्षेत्रों के भी किसानों के सामने सबसे बड़ा संकट है, क्योंकि आने वाले तीन वर्षों तक खेती का काम प्रभावित हो सकता है.

तूफान के कारण खेतों और नदी तालाबों में समुद्री खाड़ा पानी जम चुका है, जो खेतों की उपज को प्रभावित करेगा. जमीन में नमक के प्रभाव से उसकी उर्वरक क्षमता बहुत कम हो जाएगी और खाड़े पानी के दुष्प्रभाव को जाने में समय लगेगा. आज किसानों के सामने बाढ़ की समस्या नहीं बल्कि दूषित पानी खेत में जमा होने की समस्या है, जो बिना सरकारी मदद के बाहर नहीं निकाला जा सकता.

अविक साहा का कहना है कि सरकार को किसानों के खेत से खारे पानी को बाहर निकालने का प्रबंध करना चाहिए अन्यथा सामान्य रूप से खेतों में उनकी वास्तविक उर्वरक क्षमता वापस आने में तीन साल से भी ज्यादा समय लग सकता है और इतने समय तक कृषि पर आधारित किसान नुकसान नहीं झेल पाएंगे. ऐसे में खेती किसानी बर्बाद हो जाएगी.

कुछ ऐसी ही तस्वीर मतस्य पालन पर आधारित किसानों की भी है. मीठे पानी में पलने वाली मछलियां नदियां और तालाबों में नमक युक्त पानी घुस जाने से मर रही हैं और ऐसी परिस्थिति में मछली पालन में लगे किसानों के हालात भी बदतर हो गई हैं. उन्हें तुरंत मदद की आवश्यकता है.

योगेंद्र यादव के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान कोलकाता में मौजूद अविक साहा ने ऐसे कई उदाहरण दिए, जिससे चक्रवाती तूफान के कारण हुए जान माल की क्षति को प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया जा सकता है.

पढ़ें- पश्चिम बंगाल : चक्रवात अम्फान में उखड़े पेड़ों को हटाने में जुटी सेना

साउथ 24 परगना क्षेत्र की रहने वाली महिला विभा रानी मंडल की कहानी भी इसका एक उदाहरण है. विभा के पती की मौत जंगलों से सामान लाने के दौरान एक घटना में हो गई थी. उनके बेटे को शेर उस समय उठा कर ले गया जब वह केकड़े चुनने के लिए गया था. उल्लेखनीय है कि तूफान ने उनके सर से छत भी छीन ली. विभा मंडल जैसे लाखों लोगों को इस समय सरकारों से मदद की आस है.

स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव और महासचिव अविक साहा ने लोगों से अपील की है कि वो ज्यादा से ज्यादा बंगाल के पीड़ित लोगों की मदद करें.

चर्चा के दौरान योगेंद्र यादव ने कहा कि बंगाल में प्रवासी मजदूरों की संख्या भी लाखों में है, ऐसे में इस विषम परिस्थिति में वो अपने घर पहुंचना चाहते हैं. उनके घर पहुंचने की व्यवस्था करना भी उनके लिए एक बड़ी मदद होगी.

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की मार से जूझ रहे जिन राज्यों पर भी अम्फान तूफान की मुसीबत टूटी है. उनके सामने व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है. ऐसे में दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई है कि राज्य व केंद्र सरकार को राजनीतिक विवाद में पड़ने की बजाय लोगों के पुनर्वास के लिए मिल कर काम करना चाहिए.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में आए चक्रवाती तूफान 'अम्फान' से 80 से अधिक लोगों की मौत हो गई और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. कोरोना महामारी और लॉक डाउन के कारण पहले ही बेरोजगारी और तंगी से जूझ रहे लोगों के सामने अब जो बचा था, उसे अम्फान ने छीन लिया. ऐसी परिस्थिति में उनके सामने आजीविका का बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव और महासचिव अविक साहा ने इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए कई ऐसे सुझाव सामने रखे हैं, जिनके माध्यम से लोगों को मदद की जा सकती है. बतौर अविक साहा बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र और बाकी प्रभावित क्षेत्रों के भी किसानों के सामने सबसे बड़ा संकट है, क्योंकि आने वाले तीन वर्षों तक खेती का काम प्रभावित हो सकता है.

तूफान के कारण खेतों और नदी तालाबों में समुद्री खाड़ा पानी जम चुका है, जो खेतों की उपज को प्रभावित करेगा. जमीन में नमक के प्रभाव से उसकी उर्वरक क्षमता बहुत कम हो जाएगी और खाड़े पानी के दुष्प्रभाव को जाने में समय लगेगा. आज किसानों के सामने बाढ़ की समस्या नहीं बल्कि दूषित पानी खेत में जमा होने की समस्या है, जो बिना सरकारी मदद के बाहर नहीं निकाला जा सकता.

अविक साहा का कहना है कि सरकार को किसानों के खेत से खारे पानी को बाहर निकालने का प्रबंध करना चाहिए अन्यथा सामान्य रूप से खेतों में उनकी वास्तविक उर्वरक क्षमता वापस आने में तीन साल से भी ज्यादा समय लग सकता है और इतने समय तक कृषि पर आधारित किसान नुकसान नहीं झेल पाएंगे. ऐसे में खेती किसानी बर्बाद हो जाएगी.

कुछ ऐसी ही तस्वीर मतस्य पालन पर आधारित किसानों की भी है. मीठे पानी में पलने वाली मछलियां नदियां और तालाबों में नमक युक्त पानी घुस जाने से मर रही हैं और ऐसी परिस्थिति में मछली पालन में लगे किसानों के हालात भी बदतर हो गई हैं. उन्हें तुरंत मदद की आवश्यकता है.

योगेंद्र यादव के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान कोलकाता में मौजूद अविक साहा ने ऐसे कई उदाहरण दिए, जिससे चक्रवाती तूफान के कारण हुए जान माल की क्षति को प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया जा सकता है.

पढ़ें- पश्चिम बंगाल : चक्रवात अम्फान में उखड़े पेड़ों को हटाने में जुटी सेना

साउथ 24 परगना क्षेत्र की रहने वाली महिला विभा रानी मंडल की कहानी भी इसका एक उदाहरण है. विभा के पती की मौत जंगलों से सामान लाने के दौरान एक घटना में हो गई थी. उनके बेटे को शेर उस समय उठा कर ले गया जब वह केकड़े चुनने के लिए गया था. उल्लेखनीय है कि तूफान ने उनके सर से छत भी छीन ली. विभा मंडल जैसे लाखों लोगों को इस समय सरकारों से मदद की आस है.

स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव और महासचिव अविक साहा ने लोगों से अपील की है कि वो ज्यादा से ज्यादा बंगाल के पीड़ित लोगों की मदद करें.

चर्चा के दौरान योगेंद्र यादव ने कहा कि बंगाल में प्रवासी मजदूरों की संख्या भी लाखों में है, ऐसे में इस विषम परिस्थिति में वो अपने घर पहुंचना चाहते हैं. उनके घर पहुंचने की व्यवस्था करना भी उनके लिए एक बड़ी मदद होगी.

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की मार से जूझ रहे जिन राज्यों पर भी अम्फान तूफान की मुसीबत टूटी है. उनके सामने व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है. ऐसे में दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई है कि राज्य व केंद्र सरकार को राजनीतिक विवाद में पड़ने की बजाय लोगों के पुनर्वास के लिए मिल कर काम करना चाहिए.

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