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छत्तीसगढ़ : 'मालवा की मदर टेरेसा' को पद्मश्री से किया जाएगा सम्मानित

'मालवा की मदर टेरेसा' को 2015 में महिला और बाल विकास विभाग द्वारा देश की 100 प्रभावी महिलाओं में शामिल किया गया था. पढ़ें पूरी खबर...

मालवा की मदर टेरेसा
मालवा की मदर टेरेसा
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Published : Mar 3, 2020, 7:43 AM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में 'मालवा की मदर टेरेसा' इसी नाम से मशहूर हैं रतलाम की डॉक्टर लीला जोशी. वह पिछले 22 साल से आदिवासी अंचलों की महिलाओं में खून की कमी यानी कि एनीमिया को लेकर अभियान चला रही हैं. लीला जोशी एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को न सिर्फ मुफ्त इलाज मुहैया करा रही हैं बल्कि 82 साल की उम्र में भी अभियान के जरिए जागरूकता भी फैला रही हैं. समाज के प्रति उनके एक कार्य के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री पुरस्कार देने का फैसला किया है.

ईटीवी भारत से खास बात में लीला जोशी ने महिलाओं के स्वास्थ्य, योजनाओं और अपनी आगे की प्लानिंग पर चर्चा की, वहीं हेल्दी रहने के लिए भी बहुत जरुरी बात कही है.

मालवा की मदर टेरेसा की कहानी.

चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान
1997 में डॉक्टर लीला जोशी की मुलाकात मदर टेरेसा से हुई थी, जिनसे प्रभावित होकर उन्होंने आदिवासी अंचलों में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं का शिविर लगाकर निशुल्क उपचार शुरू किया था. डॉक्टर लीला जोशी के चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान और सेवा के अथक प्रयासों के ही कारण साल 2015 में उन्हें महिला और बाल विकास विभाग द्वारा देश की 100 प्रभावी महिलाओं में शामिल किया गया था. जिसके बाद उनका चयन 2020 के पद्मश्री अवार्ड के लिए किया गया है.

'सरकार योजनाएं बनाए तो क्रियान्वयन भी अच्छा हो'
डॉक्टर लीला जोशी स्त्री रोग विशेषज्ञ और रेलवे के चीफ मेडिकल डायरेक्टर के पद से रिटायर हैं. वह कहती हैं कि सरकारें योजनाएं तो लेकर आती हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन जैसा होना चाहिए, वैसा हो नहीं पाता. डॉक्टर जोशी कहती हैं कि इसके लिए सरकार को रिजल्ट ओरिएंटेड योजनाएं लाना चाहिए, साथ ही समाज के सक्षम वर्ग को भी अपनी भागीदारी सेवा कार्यों में देना चाहिए.

'महिलाएं करें अपने स्वास्थ्य की देखभाल'
महिलाओं के लिए विशेष संदेश में उन्होंने कहा कि महिलाएं परिवार के साथ अपने स्वयं के स्वास्थ्य की देखभाल भी आवश्यक तौर पर करें और अपनी बच्चियों को अच्छा पोषण देकर उनका भविष्य की स्वस्थ और सुरक्षित बनाएं.

रायपुर : छत्तीसगढ़ में 'मालवा की मदर टेरेसा' इसी नाम से मशहूर हैं रतलाम की डॉक्टर लीला जोशी. वह पिछले 22 साल से आदिवासी अंचलों की महिलाओं में खून की कमी यानी कि एनीमिया को लेकर अभियान चला रही हैं. लीला जोशी एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को न सिर्फ मुफ्त इलाज मुहैया करा रही हैं बल्कि 82 साल की उम्र में भी अभियान के जरिए जागरूकता भी फैला रही हैं. समाज के प्रति उनके एक कार्य के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री पुरस्कार देने का फैसला किया है.

ईटीवी भारत से खास बात में लीला जोशी ने महिलाओं के स्वास्थ्य, योजनाओं और अपनी आगे की प्लानिंग पर चर्चा की, वहीं हेल्दी रहने के लिए भी बहुत जरुरी बात कही है.

मालवा की मदर टेरेसा की कहानी.

चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान
1997 में डॉक्टर लीला जोशी की मुलाकात मदर टेरेसा से हुई थी, जिनसे प्रभावित होकर उन्होंने आदिवासी अंचलों में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं का शिविर लगाकर निशुल्क उपचार शुरू किया था. डॉक्टर लीला जोशी के चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान और सेवा के अथक प्रयासों के ही कारण साल 2015 में उन्हें महिला और बाल विकास विभाग द्वारा देश की 100 प्रभावी महिलाओं में शामिल किया गया था. जिसके बाद उनका चयन 2020 के पद्मश्री अवार्ड के लिए किया गया है.

'सरकार योजनाएं बनाए तो क्रियान्वयन भी अच्छा हो'
डॉक्टर लीला जोशी स्त्री रोग विशेषज्ञ और रेलवे के चीफ मेडिकल डायरेक्टर के पद से रिटायर हैं. वह कहती हैं कि सरकारें योजनाएं तो लेकर आती हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन जैसा होना चाहिए, वैसा हो नहीं पाता. डॉक्टर जोशी कहती हैं कि इसके लिए सरकार को रिजल्ट ओरिएंटेड योजनाएं लाना चाहिए, साथ ही समाज के सक्षम वर्ग को भी अपनी भागीदारी सेवा कार्यों में देना चाहिए.

'महिलाएं करें अपने स्वास्थ्य की देखभाल'
महिलाओं के लिए विशेष संदेश में उन्होंने कहा कि महिलाएं परिवार के साथ अपने स्वयं के स्वास्थ्य की देखभाल भी आवश्यक तौर पर करें और अपनी बच्चियों को अच्छा पोषण देकर उनका भविष्य की स्वस्थ और सुरक्षित बनाएं.

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