नई दिल्ली : सीबीएसई ने 12वीं कक्षा की पूरक परीक्षायें स्थगित करने के लिये दायर याचिका का शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में विरोध किया. ये परीक्षायें इसी महीने होने वाली हैं. बोर्ड ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर छात्रों की सुरक्षा के लिये सभी आवश्यक कदम उठाये गये हैं.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से जानना चाहा कि क्या परीक्षा स्थगित करने से छात्रों को मदद मिलेगी.
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने जानना चाहा, 'परीक्षा के बगैर आप की स्थिति क्या होगी. क्या सीबीएसई ने कोई अन्य तरीका सोचा है.'
सीबीएसई के वकील ने कहा कि बोर्ड ने पूरक परीक्षा के लिये केन्द्रों की संख्या 575 से बढ़ाकर 1278 कर दी है.
उन्होंने कहा, 'हमने फैसला लिया हे कि जिस कक्षा में 40 छात्र बैठ सकते थे वहां सिर्फ 12 छात्र बैठेंगे और हम हर तरह की सावधानी बरत रहे हैं. इसके बारे में शीघ्र ही अधिसूचना जारी किये जाने की उम्मीद है. ये परीक्षायें सितंबर महीने में होंगी.'
पीठ ने सीबीएसई को अनिका संवेदी की याचिका पर संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देने के साथ ही इस मामले को 10 सितंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया.
इस याचिका में 12वीं कक्षा की पूरक परीक्षायें आयोजित करने के सीबीएसई के फैसले को चुनौती देते हुये कहा गया है कि यह परीक्षार्थिंयों की सेहत के लिये नुकसानदेह होगा.
न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील से याचिका में मांगी गयी राहत के प्रति आश्वस्त होने के लिये कहा क्योंकि उन्होंने कहा था कि अगर सितंबर के अंत तक पूरक परीक्षायें नहीं हुयी तो छात्रों को फेल माना जायेगा.
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न्यायालय में यह दलील भी दी गयी कि पूरक परीक्षायें संपन्न होने तक विश्वविद्यालों में प्रवेश बंद हो जायेंगे और छात्र उच्च शिक्षा के लिये आवेदन नहीं कर पायेंगे.
सीबीएसई ने कहा कि एक ओर याचिकाकर्ता चाहता है कि परीक्षा रद्द हो लेकिन दूसरी ओर वह विश्वविद्यालयों में प्रवेश का मुद्दा भी उठा रहा है.