नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में रिक्तियों पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि आज की स्थिति के अनुसार, एनजीटी में करीब 14 पद (सात न्यायिक सदस्यों के और सात तकनीकी सदस्यों के) रिक्त हैं.
पीठ ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण कानून के प्रावधान के बावजूद यह अधिकरण इस समय सिर्फ सात न्यायाधीशों (एक अध्यक्ष, तीन न्यायिक और तीन तकनीकी सदस्यों) के साथ ही काम कर रहा है. इस कानून में प्रावधान है कि यह सुनिश्चित किया जायेगा कि इसमें दस से कम सदस्य नहीं हों.
पीठ ने कहा कि यह राष्ट्रीय हरित अधिकरण जैसी प्रमुख संस्थान की चिंताजनक स्थिति है क्योंकि इसे पर्यावरण के मसलों को देखना होता है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह केन्द्र सरकार के जवाब के प्रति सचेत है जिसमें यह आवश्वासन दिया गया है कि नौ रिक्तियों को भरने के लिये जुलाई, 2020 तक अधिसूचना जारी की जा रही है.
पीठ ने कहा, 'हमारी राय में यह पर्याप्त नहीं है. हम केन्द्र सरकार को यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि वह एक ही बार में सारी मौजूदा रिक्तियों (न्यायिक और तकनीकी सदस्यों के सात सात पद) और अगले छह महीने में होने वाली संभावित रिक्तियों को अधिसूचित करे.'
पीठ ने कहा कि आज से दस दिन के भीतर यह अधिसूचना जारी की जाये और इसके बाद चयन तथा नियुक्ति की प्रक्रिया तेज की जाये.
शीर्ष अदालत ने एनजीटी बार एसोसिएशन (पश्चिमी क्षेत्र) की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिये. इस याचिका में अधिकरण में रिक्त स्थानों की स्थिति की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित करते हुये नियुक्ति की प्रक्रिया तेज करने का अनुरोध किया गया था.
इस समय न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष हैं.