नई दिल्ली : कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने सोमवार को यहां एक अहम बैठक की, जिसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों और कई विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा के बाद पैदा हुए हालात, आर्थिक मंदी तथा कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई.
बैठक में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार ने नफरत फैलाई और लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की कोशिश की है.
सोनिया ने कहा, 'प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने लोगों को गुमराह किया. उन्होंने केवल हफ्तों पहले दिए गए अपने खुद के बयानों का खंडन किया और अपने उत्तेजक बयान जारी रखे.
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि संविधान को कमजोर किया जा रहा है और शासन का दुरुपयोग हो रहा है. देशभर में युवा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. तत्काल कारण सीएए और एनआरसी है, लेकिन यह व्यापक निराशा और क्रोध को दिखाता है. यूपी और दिल्ली में पुलिस की प्रतिक्रिया पक्षपातपूर्ण और क्रूर है.
बता दें कि कांग्रेस द्वारा बुलाई गई इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राकांपा प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद, भाकपा के डी, राजा, रालोद के अजित सिंह तथा कई अन्य नेता शामिल हुए.
बैठक से दूर रहीं छह प्रमुख विपक्षी पार्टियां
हालांकि देखा जाए तो इस बैठक को लेकर विपक्षी दलों में एकजुटता नहीं दिखी. मसलन, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने किनारा कर लिया. इसके अलावा आम आदमी पार्टी, शिवसेना, समाजवादी पार्टी और डीएमके भी सोनिया गांधी के नेतृत्व में हुई इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया.
सोनिया गांधी ने यह बैठक नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर विपक्ष की एकजुटता का संदेश देने के लिए बुलाई थी. केंद्र में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता की कोशिशों को दोहरा झटका लगा.
बसपा सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के साथ बसपा के मतभेद के कारण ही इस बैठक के बहिष्कार का फैसला किया गया.
मायावती ने ट्वीट कर कहा, 'जैसा कि विदित है कि राजस्थान में कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिए जाने पर भी इन्होंने दूसरी बार वहां के बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है यह पूर्णतया विश्वासघात है.'
दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, 'ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा. इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी.'
मायावती ने तीसरे ट्वीट में कहा, 'वैसे भी बीएसपी सीएए, एनआरसी आदि के विरोध में है. केन्द्र सरकार से पुन: अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले. साथ ही, जेएनयू व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण.'
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बता दें कि इसके पूर्व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस की इस बैठक में न जाने की बात कही थी. ममता ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वामपंथी दलों की ओर से हिंसा भड़काने के कारण वह 13 जनवरी की बैठक का हिस्सा नहीं बनेंगी.
सीएए के खिलाफ जब विपक्षी दल राष्ट्रपति के पास गए थे, उस वक्त भी बसपा उनके साथ नहीं थी. हालांकि पार्टी ने बाद में इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भेंट की थी.