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नगा समूहों ने पीएम मोदी से की पक्षकार को हटाने की मांग

नागा समूहों के प्रतिनिधि मंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अलग झंडे और संविधान की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा है. पढ़ें पूरी खबर...

नगा समूहों
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Published : Oct 1, 2020, 7:25 PM IST

Updated : Oct 1, 2020, 7:36 PM IST

नई दिल्ली : नगा समूहों के प्रतिनिधि मंडल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी से अलग ध्वज और संविधान की मान्यता के लिए अपनी मांग दोहराई है. इसके लिए नगा समूहों ने पीएम मोदी का एक ज्ञापन भी सौंपा है.

नगा मदर्स एसोसिएशन और ग्लोबल नगा फोरम के सदस्यों ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री मोदी को अपनी मांग के समर्थन में एक ज्ञापन सौंपा है.

नगा मदर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अबेयू मेरू ने कहा कि भारत और नगा राजनीतिक समूहों (NNPGS) के बीच चल रही राजनीतिक वार्ता से नगाओं को निपटारे का इंतजार है.

मेरु ने कहा कि अतीत के विभिन्न प्रयासों, समझौतों और व्यवस्थाओं के माध्यम से शांति स्थापित करने के असफल प्रयास हमें हतोत्साहित नहीं करते हैं. हालांकि, यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि इससे सरकार और नगाओं दोनों को कोई फायदा नहीं हुआ है.

नगा नेताओं सन्निहित पारंपरिक मातृभूमि के एकीकरण की भी मांग की. नगा नेताओं ने कहा कि नागों के अधिकारों और इतिहास की मान्यता नगालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और म्यांमार में होनी चाहिए.

नगा ध्वज के मुद्दे का जिक्र करते हुए नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ प्रतीकवाद नहीं है, बल्कि एक ऐसा बैनर है, जो सभी चीजों से ऊपर उठ कर नगा लोगों को एकजुट करता है.

नेताओं ने कहा कि यह नगा पहचान और संघर्ष के हमारे लंबे इतिहास का एक हिस्सा है. नगा ध्वज के लिए हजारों लोगों ने अपनी जान दी है. हम मांग करते हैं कि हमारे नगा ध्वज को मान्यता दी जाए.

एक अलग नगा संविधान के मुद्दे पर, प्रतिनिधियों ने कहा कि यह कानून की किताब नहीं है. नगा संविधान एक जीवित दस्तावेज होगा जो हमारे मूल्यों और दर्शन को दिखाएगा.

यह भी पढ़ें-नगा शांति समझौता खतरे में, पक्षकार ने कहा- अब युद्धविराम निरर्थक

यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि भारत सरकार ने नगाओं के लिए एक अलग झंडा और संविधान देने की संभावना को पहले ही खारिज कर दिया है. वास्तव में, यही दोनों कारक भारत-नगा राजनीतिक वार्ता के बाधा बन गया है.

सरकार और NSCN (IM) के बीच पिछले 23 वर्षों (1997) से बातचीत चल रही है. वह वार्ता पिछले साल होने वाली थी, लेकिन अलग झंडे और संविधान की मांग ने इसे बाधित कर दिया.

नगा समूहों (विशेष रूप से एनएससीएन-आईएम) ने सरकार के पक्षकार आर एन रवि को हटाने की भी मांग की है. नगा समूहों ने रवि द्वारा दिए गए कुछ बयानों पर अपनी आपत्ति जताई है.

आपको बता दें कि आर एन रवि नगालैंड के राज्यपाल भी हैं.

2015 में भारत सरकार और एनएससीएन (आईएम) के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद एक बार फिर उम्मीदें जागी थीं, लेकिन उसके बाद कोई वास्तविक प्रगति नहीं हुई है.

इसके बाद इस साल 14 फरवरी को, मणिपुर के उखरुल में, एनएससीएन (आईएम) के एक हॉटबेड में लगभग 2,000 नगा विद्रोहियों ने वुहान में कोरोना वायरस के संकट के खिलाफ चीन के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए एक संगीत समारोह का आयोजन किया.

नई दिल्ली : नगा समूहों के प्रतिनिधि मंडल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी से अलग ध्वज और संविधान की मान्यता के लिए अपनी मांग दोहराई है. इसके लिए नगा समूहों ने पीएम मोदी का एक ज्ञापन भी सौंपा है.

नगा मदर्स एसोसिएशन और ग्लोबल नगा फोरम के सदस्यों ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री मोदी को अपनी मांग के समर्थन में एक ज्ञापन सौंपा है.

नगा मदर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अबेयू मेरू ने कहा कि भारत और नगा राजनीतिक समूहों (NNPGS) के बीच चल रही राजनीतिक वार्ता से नगाओं को निपटारे का इंतजार है.

मेरु ने कहा कि अतीत के विभिन्न प्रयासों, समझौतों और व्यवस्थाओं के माध्यम से शांति स्थापित करने के असफल प्रयास हमें हतोत्साहित नहीं करते हैं. हालांकि, यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि इससे सरकार और नगाओं दोनों को कोई फायदा नहीं हुआ है.

नगा नेताओं सन्निहित पारंपरिक मातृभूमि के एकीकरण की भी मांग की. नगा नेताओं ने कहा कि नागों के अधिकारों और इतिहास की मान्यता नगालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और म्यांमार में होनी चाहिए.

नगा ध्वज के मुद्दे का जिक्र करते हुए नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ प्रतीकवाद नहीं है, बल्कि एक ऐसा बैनर है, जो सभी चीजों से ऊपर उठ कर नगा लोगों को एकजुट करता है.

नेताओं ने कहा कि यह नगा पहचान और संघर्ष के हमारे लंबे इतिहास का एक हिस्सा है. नगा ध्वज के लिए हजारों लोगों ने अपनी जान दी है. हम मांग करते हैं कि हमारे नगा ध्वज को मान्यता दी जाए.

एक अलग नगा संविधान के मुद्दे पर, प्रतिनिधियों ने कहा कि यह कानून की किताब नहीं है. नगा संविधान एक जीवित दस्तावेज होगा जो हमारे मूल्यों और दर्शन को दिखाएगा.

यह भी पढ़ें-नगा शांति समझौता खतरे में, पक्षकार ने कहा- अब युद्धविराम निरर्थक

यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि भारत सरकार ने नगाओं के लिए एक अलग झंडा और संविधान देने की संभावना को पहले ही खारिज कर दिया है. वास्तव में, यही दोनों कारक भारत-नगा राजनीतिक वार्ता के बाधा बन गया है.

सरकार और NSCN (IM) के बीच पिछले 23 वर्षों (1997) से बातचीत चल रही है. वह वार्ता पिछले साल होने वाली थी, लेकिन अलग झंडे और संविधान की मांग ने इसे बाधित कर दिया.

नगा समूहों (विशेष रूप से एनएससीएन-आईएम) ने सरकार के पक्षकार आर एन रवि को हटाने की भी मांग की है. नगा समूहों ने रवि द्वारा दिए गए कुछ बयानों पर अपनी आपत्ति जताई है.

आपको बता दें कि आर एन रवि नगालैंड के राज्यपाल भी हैं.

2015 में भारत सरकार और एनएससीएन (आईएम) के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद एक बार फिर उम्मीदें जागी थीं, लेकिन उसके बाद कोई वास्तविक प्रगति नहीं हुई है.

इसके बाद इस साल 14 फरवरी को, मणिपुर के उखरुल में, एनएससीएन (आईएम) के एक हॉटबेड में लगभग 2,000 नगा विद्रोहियों ने वुहान में कोरोना वायरस के संकट के खिलाफ चीन के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए एक संगीत समारोह का आयोजन किया.

Last Updated : Oct 1, 2020, 7:36 PM IST
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