नई दिल्ली : विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को फ्रांस में अंतरराष्ट्रीय संबंध और रणनीतिक महानिदेशालय के महानिदेशक (डीजीआरआईएस) एलिस गुइटन के साथ एक उपयोगी बैठक की. दोनों नेताओं ने हिंद- प्रशांत क्षेत्र और समुद्री सुरक्षा, रक्षा साझेदारी और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग पर विस्तार से विचार-विमर्श किया.
अमेरिका के साथ 2 + 2 मंत्री स्तरीय सफल वार्ताकर भारत ने अमेरिका से रिश्ते मजबूत कर लिए हैं और अब इसकी नजर यूरोपीय संघ के देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर लगी है. इसी मकसद से विदेश सचिव द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने, आपसी हितों के मामलों पर चर्चा करने और अपने समकक्षों और अन्य प्रमुख वार्ताकारों के साथ भारतीय दृष्टिकोण को साझा करने के लिए यूरोपीय देशों की यात्रा पर गए हैं.
विश्लेषक मानते हैं कि पूरी दुनिया में वैश्विक रिश्तों के गठबंधन में बदलाव आया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए ऑबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन के उपाध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय और भारतीय आर्थिक नीति के विशेषज्ञ गौतम चिकरमने ने कहा कि जैसा कि हमने पिछले कुछ महीनों में देखा है अमेरिका ने यूरोप पर दबाव डालना शुरू कर दिया है. चीन की कंपनी हुआवेई के 5 जी नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाना उन भूमिकाओं में से एक है. यूरोप के 13 देशों ने हुआवेई पर प्रतिबंध लगा दिया है.
दुनिया के एशिया में प्रमुख विकास क्षेत्र में भारत और आसियान शामिल हैं. आसियान के लिए यूरोप में पूरी तरह से भू-राजनीतिक और रणनीति बदलाव किया गया है. उदाहरण के लिए जर्मनी ने पिछले महीने कहा था कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र उसकी रुचि का क्षेत्र है और उसने आश्वासन दिया कि जर्मनी वहां रहेगा. धीरे-धीरे भारत का यह भूगोल, हिंद-प्रशांत क्षेत्र, हिंद महासागर क्षेत्र और 'क्वाड' से बढ़ रहा संबंध अब नए अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को आकार दे रहा है. अगले दो वर्षों में जिसके परिणाम देखने को मिलेंगे.
चिकारमाने ने समझाया कि इस प्रक्रिया में अब भारत के लिए अनिवार्य है कि न केवल व्यापार की दृष्टि से बल्कि लोकतंत्र की दृष्टि से उपयोगिता की गहन और स्थाई साझेदारी तलाश करे. उन्होंने कहा कि अभी मैं जो देख रहा हूं वह महत्व के संबंधों का खेल है. इसलिए, महत्व में परिवर्तन एक साथ आ रहा है और भारत अपने भूगोल और लोकतंत्र के कारण एक महत्वपूर्ण भागीदार बनने जा रहा है. इसी तरह से भारत-यूरोपीय संघ का संबंध आगे बढ़ रहा है.
विदेश सचित की यह यात्रा ऐसे समय में हुई जब चीन से एहतियात बरतना यूरोप में एक प्रमुख विषय बन रहा है. श्रृंगला फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन इन तीनों देशों की यात्रा करने वाले हैं. इन तीनों ने चीनी कंपनियों को 5 जी उपकरण की आपूर्ति की अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया है. यह यात्रा तीसरे 2 + 2 भारत-अमेरिका वार्ता के तत्काल बाद हो रही है. उस वार्ता से भारत को अमेरिका के साथ सैन्य सूचना साझा करने के लिए नजदीक लाया.
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने के लिए गुरुवार को विदेश सचिव फ्रांस पहुंचे. फ्रांस स्थित भारतीय दूतावास ने एक ट्वीट में कहा है कि चुनौतीपूर्ण समय में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के साथ काम, विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला दो दिवसीय यात्रा पर पेरिस पहुंचे. फ्रांस के शीर्ष अधिकारियों, विचारकों और मीडिया हस्तियों के साथ बातचीत की. श्रृंगला फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन समेत यूरोपीय देशों की सात दिवसीय यात्रा पर है. चार नवंबर को उनकी यात्रा समाप्त होगी.
श्रृंगला ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कूटनीतिक सलाहकार इमैनुएल बोने से भी मुलाकात की और फ्रांस में हुए आतंकी हमलों पर अपनी और भारत सरकार की ओर से संवेदना जताई. उन्होंने प्रधानमंत्री के संदेश को भी पहुंचाया जिसमें कहा गया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ खड़ा है. इंस्टीट्यूट पेरिस फ्रैंकिस डेस रिलेशंस इंटरनेशनल, पेरिस में भी श्रृंगला ने कहा कि भारत ने सीमा पर चीन के साथ दशकों से सबसे खराब संकट से 'दृढ़ता और परिपक्वता’ से निपटा है, यहां तक कि उसने हिंद- प्रशांत क्षेत्र के लिए एक खुली और समावेशी संरचना के निर्माण के लिए साझेदारों के साथ काम किया है.
इसके अलावा कोविड की दुनिया में भारत की विदेश नीति विषय पर बोलते हुए श्रृंगला ने भारत के कार्यों को दोहराया, क्योंकि यह विश्व के उभरते हुए भारत के कामों के लिए खुद को तैयार कर रहा है, क्योंकि यह महामारी के बीच उभरती हुई विश्व व्यवस्था के लिए तैयार हो रहा है. यह किसी देश को निशाना बनाना या किसी को छोड़ना नहीं चाहता बल्कि ऐसा वातावरण बनाना चाहता है जिसमें सभी देश दूसरों की संप्रभुता के लिए सम्मान के साथ काम कर सकें.
उन्होंने फ्रांस में हाल के आतंकवादी हमलों की निंदा की, जिसमें एक नीस में भी शामिल है. इसके साथ ही आतंकवाद और उग्रवाद का सामना करने में भारतीय लोगों की एकजुटता को व्यक्त किया. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि फ्रांस में हाल ही में हुई दो आतंकवादी घटनाओं में से एक की जड़ें पाकिस्तान से जुड़ी हैं.
नई दिल्ली का एक सहयोगात्मक और समावेशी दृष्टिकोण है जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सागर विजन या 'क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ में रखा गया है. भारत ने दक्षिण पूर्व एशिया में भी धीरे-धीरे अपनी कूटनीतिक और सुरक्षा को लगातार बढ़ाया है. यह देखते हुए कि महामारी ने मुख्य रूप से चीन और अमेरिका के भूराजनीतिक पुनर्स्थापन का नेतृत्व किया है , श्रृंगला ने कहा कि त्वरित वैश्विक संक्रमण काल के चार प्रमुख परिणाम थे और कोविड के कारण भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और तनाव में बढ़ोतरी हुई.
उन्होंने कहा कि ये घटनाक्रम अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ, जापान और आसियान जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत वचनबद्धता की प्रकृति और शर्तों को आकार देंगे. उन्होंने कहा कि लचीली आपूर्ति चेन को लेकर वैश्विक स्तर पर अधिक बातचीत की जरूरत है. यह ध्यान देने योग्य है कि भारत में यूरोपीय देशों के साथ व्यापार और वाणिज्यिक संबंध बहुत ज्यादा हैं और निवेश का बड़ा प्रवाह हैं. भारत विभिन्न मुद्दों पर बहुपक्षीय मंचों पर इन देशों के साथ मिलकर काम करता है. विशेषज्ञ का कहना है कि फ्रांस ने समुद्री घटनाओं के साथ अपने पारंपरिक पूर्वव्यस्तता के अलावा हिंद और प्रशांत महासागर क्षेत्र में रुचि लेना शुरू कर दिया है. जर्मनी भी हिंद-प्रशांत में बढ़ रहे टकराव में गहरी रुचि ले रहा है, जबकि ब्रिटेन दबाव डालने और खुफिया कार्यों के लिए अमेरिका का एक पारंपरिक सहयोगी रहा है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के साथ भारत के संबंध साझा लोकतांत्रिक मूल्यों की बुनियाद पर बने हैं और टिकाऊ विकास और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों में रुचि की समानता से अवगत हैं.