नई दिल्ली : भारत के जनगणना 2021 की कवायद के लिये 8,754.23 करोड़ रूपये के खर्च को मंजूरी दी गई. वहीं, जनसंख्या रजिस्टर के उन्नयन के लिये 3,941.35 करोड़ रूपये की मंजूरी दी गई.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि जनगणना के लिये कोई लम्बा फॉर्म नहीं भरना होगा. यह स्वयं घोषित स्वरूप का होगा. इसके लिये किसी सबूत की जरूरत नहीं होगी और न ही कोई दस्तावेज देना होगा. इसके लिये एक मोबाइल एप भी बनाया गया है.
क्या है उद्देश्य
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के उद्देश्यों में कहा गया है कि एनपीआर देश के स्वाभाविक निवासियों का रजिस्टर है. यह नागरिकता संशोधन कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों के पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान कार्ड जारी) करने के नियम 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय स्तर पर (गांव/उप शहर), उप जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जायेगा.
असम को छोड़कर सभी राज्यों में होगा लागू
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, एनपीआर अप्रैल और सितंबर 2020 के बीच असम को छोड़कर देश के अन्य सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा. यह जनगणना कार्य के साथ होगा.
असम को इससे अलग इसलिये रखा गया है, क्योंकि वहां पहले ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी. का कार्य हो गया है.
क्या है एनपीआर का मकसद
एनपीआर का मकसद देश के स्वभाविक निवासियों की समग्र पहचान का डाटाबेस तैयार करना है. इसमें भौगोलिक और बायोमेट्रिक जानकारी उपलब्ध होगी.
एनपीआर के आंकड़े पिछली बार 2010 में घर की सूची तैयार करते समय लिये गये थे, जो 2011 की जनगणना से जुड़े थे. 2015 में घर घर जाकर इन आंकड़ों का उन्नयन किया गया था.
दूसरी ओर, जनगणना 2021 दो चरणों में होगी. इसमें पहले चरण में घर की सूची या घर संबंधी गणना होगी जो अप्रैल से सितंबर 2020 तक होगी. इसका दूसरा चरण नौ फरवरी से 28 फरवरी 2021 में होगा. इसकी संबद्धता तिथि 1 मार्च 2021 होगी.
बर्फ से प्रभावित जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में संबद्धता तिथि 1 अक्तूबर 2020 होगी.
दरअसल, NPR देश के नागरिकों की एक लिस्ट है, जिसके तहत नागरिक के मौजूदा पते की जानकारी अपडेट होनी है. कई राज्य NPR का भी विरोध कर रहे हैं, हालांकि सरकार जनसंख्या की गिनती के साथ-साथ NPR भी करने जा रही है. किसी भी भारतीय नागरिक के लिए NPR में रजिस्टर करना जरूरी होता है.
कैबिनेट ने और क्या लिए फैसले
कैबिनेट नेगुजरात में अटल भुजल योजना (ATAL JAL) को मंजूरी दी है, यह केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसमें गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पहचाने गए क्षेत्रों में 5 वर्षों की अवधि में 6,000 करोड़ रुपये का कुल परिव्यय लागू किया जाएगा.
इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने भारतीय रेलवे के संगठनात्मक पुनर्गठन को मंजूरी दी, जिसके तहत रेलवे की मौजूदा आठ समूह A सेवाओं को भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (IRMS) नामक एक केंद्रीय सेवा में पुनर्गठित किया जाएगा.
इसे भी पढ़ें- भाजपा सांसद का आरोप : CAB के समर्थन में वोट डालने पर मिली धमकी
आइए जानते हैं आखिर क्या है एनपीआर
- एनपीआर का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना है. इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी.देश के आम निवासियों का रजिस्टर है एनपीआर. इसे नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत बनाया जाएगा.
- नागरिकता (नागरिकों का रजिस्ट्रीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान पत्रों का जारी किया जाना) नियम, 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव/उपनगर), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है NPR.भारत के प्रत्येक आम निवासी के लिए एनपीआर के तहत पंजीकृत होना जरूरी है.
- एनपीआर के उद्देश्यों के लिए आम निवासी की परिभाषा एक ऐसे व्यक्ति के रूप में की गई है, जो किसी स्थानीय क्षेत्र में विगत छह महीने तक या अधिक समय तक रहा हो या जो उस क्षेत्र में अगले छह महीने या अधिक समय तक रहने का इरादा रखता हो.