श्रीनगर : जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक दलों के नेता नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के आवास पर एक ऑल पार्टी मीटिंग के लिए इकट्ठा हुए. फारूक अब्दुल्ला का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण यह बैठक उनके आवास पर हुई. यह बैठक पहले यह बैठक पहले महबूबा मुफ्ती के घर पर होने वाली थी. इस बैठक में घाटी की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की गई.
फारूक अब्दुल्ला ने बैठक में स्वीकार किये गए प्रस्ताव के हवाले से कहा कि अनुच्छेद 370 और 35 ए को रद्द करने की किसी कोशिश के परिणामों से केंद्र सरकार को अवगत कराया जाएगा.
उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है.
भारत-पाक के बीच न बढ़े तनाव
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया गया कि सभी राजनीतिक पार्टियां जम्मू कश्मीर की पहचान, उसकी स्वायत्तता और विशेष दर्जे को किसी भी प्रकार के हमले से बचाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करेगी. वह बदलाव, अनुच्छेद 35 ए और 370 को खत्म करना, असंवैधानिक परिसीमन और राज्य को तीन हिस्सों जम्मू , कश्मीर और लद्दाख में बांटना लोगों के खिलाफ आक्रमण होगा.' उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान से अपील करता हूं कि कोई ऐसा कदम न उठाए जिससे तनाव बढ़े.
संसद में मामला उठाने की अपील
इससे पहले पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के राज्य सभा सांसद नजीर अहमद लावे ने राज्य सभा सांसदों को एक पत्र लिखा. इसमें लावे ने कश्मीर के मौजूदा हालात का मुद्दा संसद में उठाने की मांग की है.
बता दें कि यह बैठक ऐसे समय हुई है जब आतंकवादी हमले की आशंका और नियंत्रण रेखा पर तनातनी बढ़ने के बीच हालात संवेदनशील हैं.
कश्मीर घाटी में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाए जाने के साथ स्थिति तनावपूर्ण है.
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बैठक में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला, ताज मोहीउद्दीन (कांग्रेस), मुजफ्फर बेग (पीडीपी), सज्जाद लोन और इमरान अंसारी (पीपुल्स कांफ्रेंस) , शाह फैसल (जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट) और एम वाई तारिगामी (माकपा) भी शामिल हुए.
बैठक के प्रस्ताव का नाम 'गुपकर घोषणा' दिया गया, क्योंकि यह बैठक श्रीनगर के गुपकर इलाके में अब्दुल्ला के निवास पर हुई.
गौरतलब है कि सुरक्षा कारणों को लेकर जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा बीच में ही रोक दी और तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों से यथाशीघ्र घाटी छोड़ने को कहा था.