नई दिल्ली: बलात्कार के एक मामले में आरोपी छात्र नेता की जमानत का स्वागत करते हुए "भैया इज बैक" लिखे पोस्टर और होर्डिंग्स लिए एक समुह ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को काफी परेशान किया. मध्य प्रदेश की महिला ने जमानत को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें आरोप लगाया था कि आरोपी ने शादी के झूठे वादे पर उसके साथ कई बार बलात्कार किया. यहां तक कि उसे एक बच्चे का गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया गया. वहाँ एक होर्डिंग है 'भैया वापस आ गया है'. आप क्या मना रहे हैं?" मुख्य नयायाधीश एनवी रमना ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली से पूछा जो तीन-सदस्यीय पीठ का हिस्सा थीं. "यह क्या है 'भैया इज बैक'?" मुख्य न्यायाधीश का प्रश्न अदालत में गुंजा.
जिसके बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश ने आरोपी के वकील से कहा, "अपने भैया से इस एक सप्ताह सावधान रहने के लिए कहें." आरोपी शुभांग गोंटिया जाहिर तौर पर भाजपा के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा एबीवीपी का नेता है. पोस्टरों की जानकारी महिला की जमानत के खिलाफ याचिका का हिस्सा थी. कोर्ट ने आरोपी शुभांग गोंटिया को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनकी जमानत रद्द कर दी जाए. कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से भी जवाब मांगा है. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने नवंबर में शुभांग गोंटिया को जमानत दी थी. अपनी याचिका में महिला ने दावा किया कि उच्च न्यायालय ने मामले के तथ्यों और गंभीरता पर विचार ही नहीं किया.
सोमवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत को बताया गया कि आरोपी ने एक निजी समारोह में महिला के माथे पर सिंदूर लगाया और गले में मंगलसूत्र पहनाया था लेकिन सार्वजनिक रूप से उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया. यह भी आरोप लगा कि जब वह गर्भवती हुई तो उसका जबरन गर्भपात कराया गया. इसके बाद महिला ने जबलपुर महिला थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया. उन्होंने आरोप लगाया कि मामला दर्ज होते ही गोंटिया भाग गया. आरोपी के खिलाफ जून 2021 में दुष्कर्म के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी और पुलिस ने ₹5,000 के इनाम की घोषणा की थी.
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