नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में सावरकर जयंती पर कहा कि दशकों से और अब भी कुछ लोग सावरकर को गांधी का हत्यारा मानते थे, लेकिन सच्चाई यह है कि उन्होंने गांधी को नहीं मारा और न ही ऐसा करने वालों का समर्थन किया. और, डॉ. अम्बेडकर की मदद से ही यह बात सामने आई थी कि सावरकर ने गांधी को नहीं मारा था. कानून मंत्री ने कहा कि उस समय माहौल बेहद तनावपूर्ण और अराजक था. वीर सावरकर ने अपना पूरा जीवन इस देश के लोगों के लिए कुर्बान कर दिया. सावरकर के बलिदान, साहस और निर्भीकता के बारे में हमें उनकी जेल की उस कोठरी पर एक नज़र डालनी चाहिए जहाँ उन्हें एक दशक तक अंग्रेजों ने कैद रखा था. लेकिन इसके बावजूद उनकी मृत्यु के बाद भी उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. ब्रिटिश राज से अपनी जान की गुहार लगाने पर लोगों ने उन्हें कायर कहा.
वह आगे कहते हैं कि बाबासाहब की मदद से ही सच सबके सामने आ सका. गांधी की हत्या में कथित भूमिका के लिए सावरकर का नाम प्राथमिकी में जोड़ा गया था. लेकिन डॉ. अम्बेडकर ने एक दिन सावरकर के वकील को मिलने के लिए बुलाया. उस बैठक के दौरान, अम्बेडकर ने सावरकर के वकील को कुछ नोट पेश किए और उनसे इन नोटों का उपयोग करके मुकदमा लड़ने का आग्रह किया और उन्होंने ऐसा ही किया. और, उसके परिणामस्वरूप, गांधी की हत्या के एक साल बाद, अदालत ने घोषणा की कि उनकी हत्या में सावरकर की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन कोई भी इस बारे में बात नहीं करता है.
उन्होंने उन सभी दावों को खारिज कर दिया जो कहते हैं कि सावरकर ने नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी को मारने के लिए बंदूक खोजने में मदद की और इसे सावरकर को बदनाम करने के लिए प्रचार कहा. कानून मंत्री ने आगे कहा कि कहा जाता है कि सावरकर इसलिए कायर थे क्योंकि उन्होंने जेल में रहते हुए अंग्रेजों से माफी मांगी थी और उन्हें आजाद करने की गुहार लगाई थी. लेकिन सच तो यह है कि उस अर्जी का प्रारूप ही ऐसा था और लोगों ने झूठ फैलाया कि सावरकर अंग्रेजों के आगे झुक गए. जवाहरलाल नेहरू को मुक्त करने का अनुरोध करने वाले मोतीलाल नेहरू के अंग्रेजों को लिखे पत्र के बारे में क्या?
मंत्री ने आगे कहा कि हमारे देश के आजाद होने के बाद (अंडमान की जेल में) जेल की सजा काट रहे सभी लोग हैरान भी थे और परेशान भी. उन्होंने सोचा कि दशकों तक यहां सेवा करने के बाद वे अपने घर कैसे लौटेंगे क्योंकि उन्हें लगा कि उनकी संपत्ति छीन ली गई होगी. लेकिन यह सावरकर ही थे जिन्होंने उनकी मदद की. चूंकि वहां के लोग अलग-अलग राज्यों से आए थे और अलग-अलग भाषाएं बोलते थे, इसलिए संचार की समस्या थी. इसलिए सावरकर ने उन सभी कैदियों को हिंदी सिखाई. उन्होंने उन कैदियों से सेल के भीतर शादी करने का आग्रह किया और इससे वहां एक नए समाज का जन्म हुआ.
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