गुवाहाटी: राज्य भर में स्कूलों के विलय की प्रक्रिया चल रही है. सरकार छात्रों की कमी का बहाना बनाकर एक के बाद एक सरकारी शिक्षण संस्थानों को बंद कर रही है. गौरतलब है कि एक तरफ सरकार ने सरकारी क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए गुणोत्सव, शिक्षा सेतु ऐप लागू करने समेत कई कदम उठाए हैं, वहीं दूसरी तरफ छात्रों की कमी के कारण स्कूल बंद हो रहे हैं.
सरकार प्राइमरी स्कूलों को प्रदेश के अन्य स्कूलों में मिलाकर उन्हें बंद करने जा रही है. शिक्षा विभाग ने छठी अनुसूची वाले क्षेत्रों को छोड़कर कुल 28 जिलों के 507 सरकारी और प्रांतीयकृत मातृभाषा वाले प्राथमिक विद्यालयों को 'शिक्षा क्षेत्र' योजना के तहत विलय करने की तैयारी पूरी कर ली है.
यूडीआईएसई 2022-23 के आंकड़ों के आधार पर, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने 30 से कम छात्रों वाले स्कूलों की एक सूची तैयार की है. सूची के अनुसार निदेशालय ने हाल ही में जिला शिक्षा अधिकारियों को बुनियादी ढांचे और प्रवेश की संख्या के आधार पर संविलियन का प्रस्ताव 10 दिसंबर तक प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है.
गौरतलब है कि इससे पहले राज्य में कम छात्र संख्या वाले 765 प्राथमिक विद्यालयों का विलय किया जा चुका है. अब शिक्षा विभाग ने 507 स्कूलों का विलय कर कुछ सरकारी स्कूलों को फिर से बंद करने की तैयारी पूरी कर ली है. विलय किए जाने वाले प्राथमिक स्कूलों में 411 असमिया माध्यम, 55 बंगाली माध्यम और दो मणिपुरी माध्यम स्कूल हैं.
इसके अलावा बोडो माध्यम के 17 स्कूल, बोडो और असमिया संयुक्त माध्यम के 4, हमार भाषा के 2, बंगाली और मणिपुरी दोनों माध्यम वाले 3 स्कूल, 1 अंग्रेजी माध्यम, 3 हिंदी माध्यम, 8 गारो माध्यम, असमिया और बांग्ला दोनों माध्यम वाले एक स्कूल शामिल हैं.
जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए अपने आदेश में विलय का प्रस्ताव मांगने वाले प्राथमिक शिक्षा निदेशकों की सूची में सबसे ज्यादा स्कूल लखीमपुर के हैं. जिले के 42 स्कूलों का विलय किया जाएगा. इसी तरह कामरूप में 34 और डिब्रूगढ़ में 28 स्कूलों का विलय किया जाएगा. वहीं, साउथ सलमारा में सिर्फ एक स्कूल बंद रहेगा. इस बीच विलय के कारण बजाली में पांच और धुबरी में चार स्कूल बंद हो जाएंगे.
एक समय राज्य की लगभग पूरी शिक्षा व्यवस्था सरकारी स्कूलों के जरिये चलती थी. लेकिन वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था अस्तित्वहीन होती जा रही है. दरअसल, राज्य सरकार की घोर लापरवाही और सद्भावना की कमी के कारण राज्य का सरकारी शिक्षा क्षेत्र धीरे-धीरे चरमरा रहा है.
सरकारी स्कूलों के जर्जर बुनियादी ढांचे और समय के साथ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होने के कारण छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है और परिणाम भी खराब हो रहे हैं. लेकिन लगता है सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. बल्कि सरकारी क्षेत्र के स्कूलों को धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है और इस क्षेत्र को खत्म किया जा रहा है. यदि सरकार वास्तविक रूप से मुद्दों का समाधान नहीं करती है तो यह सरकारी स्कूलों के विघटन का मार्ग प्रशस्त करेगी.