आगरा: आगरा और मथुरा आने वाले पर्यटक जल्द ही 'उड़नखटोले' यानी हेलीकॉप्टर से 'हवाई दर्शन' कर सकेंगे. योगी सरकार की कैबिनेट ने आगरा और मथुरा के हेलीपोर्ट से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर हेलीकॉप्टर के संचालन की उत्तराखंड की एक फर्म को हरी झंडी दी है. कैबिनेट के हेलीकॉप्टर संचालन के टेंडर को मंजूरी देने से पर्यटन कारोबारियों में खुशी की लहर है. क्योंकि, जहां सैलानी हेलीकाॅप्टर से आगरा किला, ताजमहल, मथुरा और वृंदावन के मंदिरों का हवाई दर्शन कर सकेंगे. वहीं, आगरा और मथुरा का पर्यटन कारोबार भी उड़ान भरेगा. इस बारे में योगी सरकार के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि आगरा में 5 एकड़ जमीन और मथुरा-वृंदावन में 11 एकड़ जमीन पर हेलीपोर्ट बना है. अब इस परियोजना से सरकार पर कोई व्यय भार नहीं पड़ेगा. जबकि, हेलीकॉप्टर सेवा का संचालन करने वाली कंपनी सालाना 25 लाख रुपये पर्यटन विभाग को देगी.
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बता दें कि आगरा और मथुरा में हेलीकाॅप्टर के संचालन के टेंडर पर कैबिनेट की मुहर लगते ही आगरा के पर्यटन कारोबारी बेहद खुश हैं. कारोबारियों का कहना है कि इससे ताजनगरी और कान्हा की नगरी के पर्यटन कारोबार में बढ़ावा होगा. जो सैलानी ताजमहल, आगरा किला, मथुरा और वृंदावन के मंदिरों का हवाई दर्शन करेंगे, उनका रोमांच दोगुना होगा.
पीडब्ल्यूडी को मिली थी हेलीपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी
योगी सरकार ने आगरा और मथुरा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पहली बार सन् 2017-18 में आगरा को लेकर हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट तैयार किया था. इसके लिए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और इनर रिंग रोड (यमुना एक्सप्रेस-वे) के पास गांव मदरा में 5 एकड़ से ज्यादा जमीन अधिकृत की गई. इसके बाद तब 4.95 करोड़ रुपये में हेलीपैड बनाने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी विभाग को दी गई.
सन 2019 में पीएम मोदी ने किया था शिलान्यास
पीएम मोदी ने 9 जनवरी 2019 को कोठी मीना बाजार मैदान की जनसभा से हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट का विधिवत शिलान्यास किया था. तब अक्टूबर 2020 में हेलीपोर्ट बनकर तैयार होना था. 2021 में नया एस्टीमेट 4.95 करोड़ रुपये से बढ़कर 7.9 करोड़ का भेजा गया था. कोरोना संक्रमण के चलते हेलीपोर्ट बनाने का काम रुक गया. फिर विभाग ने बजट मांगा था तो फिर योगी सरकार ने आगरा हेलीपोर्ट और मथुरा के वृंदावन में हेलीपैड से हेलीकॉप्टर सेवा का संचालन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल करने की प्लानिंग की. अभी आगरा हेलीपैड का काम पूरा नहीं हुआ है. अब जो फ़र्म हेलीकॉप्टर का संचालन करेगी, उसे ही अधूरा काम पूरा करना है.
डीजीसीए का अनुमति पत्र जरूरी
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्रा बताते हैं कि आगरा और मथुरा में हेलीकॉप्टर सेवा संचालन के लिए टेंडर की प्रक्रिया को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. उत्तराखंड की एक फर्म को टेंडर मिला है. उत्तराखंड की फर्म अब पीपीपी मोड पर हेलीकॉप्टर सेवा संचालित करेगी. फर्म को हवाई दर्शन की अनुमति संबंधित सभी प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी. इसमें हेलीकॉप्टर की उड़ान को डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन डीजीसीए की अनुमति भी शामिल है.
30 साल का हुआ कंपनी संग करार
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि हेलीपोर्ट पर पुलिस थाना और चौकी के लिए भूमि की निशुल्क व्यवस्था संबंधित फर्म को करनी है. इसके साथ ही हेलीपोर्ट की सुरक्षा में तैनात पुलिस बल का खर्च भी पीपीपी मॉडल पर हेलीकॉप्टर सेवा संचालित करने वाली फर्म को देना होगा. अभी फर्म के साथ हेलीपोर्ट को 30 साल के लिए लीज पर देने का करार हुआ है. करार को फिर से 30 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. करार के तहत फर्म को पहले एकमुश्त दो करोड़ रुपये देना है. इसके साथ ही फर्म को सालाना 25 लाख रुपये पर्यटन विभाग को देना है. फिर सालाना शुल्क में प्रतिवर्ष 5% की वृद्धि की जाएगी. इसके अगले चरण में प्रदेश की अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों पर हेलीपोर्ट संचालन करने का प्रस्ताव है.
एक नजर आगरा के हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट पर
5 एकड़ से ज्यादा जमीन पर बनाया जा रहा है हेलीपोर्ट. 4.5 करोड रुपए का बजट अब तक जारी किया गया है. 7.9 करोड़ रुपये का रिवाइज्ड एस्टीमेट बनाकर भेजा था. एक हेलीपैड व हेलीकॉप्टर खड़े करने के लिए दो हैंगर बने. एडीए और यूपीडा ने हेलीपोर्ट बनाने के लिए जमीन दी है.
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