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तालिबान से संबंधों पर बोले नटवर सिंह, पहले ही करना चाहिए था संवाद - रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने तालिबान से बेहतर संबंधों की वकालत की है. उन्होंने कहा कि भारत को पहले ही तालिबान के साथ सार्वजनिक रूप से संवाद करना चाहिए था.

नटवर सिंह
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Published : Aug 18, 2021, 7:49 PM IST

Updated : Aug 18, 2021, 8:09 PM IST

नई दिल्ली : पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर बुधवार को कहा कि भारत सरकार को तालिबान के कब्जा करने से पहले ही उसके साथ खुले तौर पर संपर्क स्थापित करना चाहिए था.

उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में एक जिम्मेदार सरकार की तरह काम करता है तो फिर भारत को उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना चाहिए.

संप्रग की पहली सरकार में विदेश मंत्री और अतीत में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे 92 वर्षीय सिंह का कहना है कि फिलहाल भारत को 'प्रतीक्षा करने और नजर रखने' की रणनीति पर अमल करना चाहिए, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दिनों अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाला तालिबान 20 साल पहले के तालिबान के मुकाबले बेहतर दिखाई देता है.

उनके मुताबिक, अफगानिस्तान से 'भाग चुके' राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ भारत के नजदीकी रिश्ते थे, लेकिन हालात अब बहुत ज्यादा बदल चुके हैं.

सिंह ने कहा कि हालात 'विपरीत नही' हैं, यहां तक कि सांकेतिक मित्रता भी नहीं है, यही वजह है कि भारत सरकार बहुत सावधान है.

उनका कहना है कि अमेरिका को बहुत सारी जिम्मेदारी लेनी होगी क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने सैनिकों को हटाकर तालिबान के लिए वहां आना आसान कर दिया.

नटवर सिंह ने ये टिप्पणियां उस वक्त की हैं, जब अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गिर जाने और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ देने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने 11 सितंबर के हमलों के बाद अमेरिका नीत सेना के अफगानिस्तान में आने के 20 साल बाद फिर से देश पर कब्जा कर लिया है.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को तालिबान के साथ पहले ही संपर्क करना चाहिए था तो सिंह ने इसका जवाब हां में दिया और तालिबान के साथ अमेरिका के बातचीत करने का हवाला दिया.

उन्होंने कहा, 'अगर मैं विदेश मंत्री होता तो मैं उनके साथ संपर्क करता. मैं अपने तरीके से आगे बढ़ा होता और अपनी खुफिया एजेंसी से कहता कि चुपचाप संपर्क किया जाए.'

पूर्व विदेश मंत्र ने गुआंतानामे में क्यूबा के साथ अमेरिका के संपर्क किये जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत को तालिबान के साथ संपर्क करना चाहिए था क्योंकि 'हम पाकिस्तान और चीन के लिए खुला मैदान नहीं छोड़ सकते.'

इस सवाल पर कि क्या भारत को भी चीन की तरह तालिबान के साथ सार्वजनिक रूप से संपर्क करना चाहिए था तो सिंह ने कहा कि कम से कम विदेश सचिव के स्तर पर भारत को तालिबान के साथ खुले तौर पर संपर्क रखना चाहिए था.

उनके मुताबिक, मौजूद तालिबान पहले के तालिबान से बेहतर नजर आता है क्योंकि वो लोग खुलेआम 'हिंदू विरोधी' थे. ये अभी भी पाकिस्तान के ज्यादा नजदीक हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इस्लामाबाद उन्हें अपनी शर्तों पर चला सके.

सिंह ने इसका उल्लेख भी किया कि भारत ने अफगानिस्तान में तीन अरब डॉलर का निवेश किया है.

इससे पहले एक अहम घटनाक्रम में यह बात सामने आई कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी गिरफ्तार (Ashraf Ghani Arrest) किए जा सकते हैं. रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी (Defense Minister Bismillah Khan Mohammadi) ने बुधवार को गनी को गिरफ्तार करने के लिए इंटरपोल (Interpol arrest ghani) से अपील की है. अफगान रक्षा मंत्री मोहम्मदी (Afghan Defence Minister Mohammadi) ने बुधवार को इंटरपोल से कहा कि गनी को 'मातृभूमि को बेचने' (selling out the motherland) और अफगानिस्तान से भागने के आरोप में गिरफ्तार किया जाए.

यह भी पढ़ें- अशरफ गनी पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी, अफगान रक्षा मंत्री ने इंटरपोल से की अपील

अफगान रक्षा मंत्री मोहम्मदी ने ट्विटर पर अशरफ गनी की गिरफ्तारी (Ashraf Ghani Arresting) का जिक्र करते हुए हैशटैग #InterpolArrestGhani भी लिखा.

अफगान रक्षा मंत्री ने लिखा कि अपनी मातृभूमि का व्यापार करने और बेचने वालों को दंडित किया जाना चाहिए और गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद 24 अगस्त को अफगानिस्तान मुद्दे पर करेगी चर्चा

यह भी पढ़ें- सालेह ने खुद को घोषित किया अफगानिस्तान का राष्ट्रपति

यह भी पढ़ें- अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी नकदी से भरे हेलीकॉप्टर में काबुल से भागे : मीडिया रिपोर्ट

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बता दें कि अफगानिस्तान-तालिबान संकट के बीच भारत में पीएम मोदी ने कल एक उच्चस्तरीय बैठक की थी. अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक की थी. प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर हुई इस अहम बैठक के बाद अधिकारियों को यह निर्देश दिए.

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान संकट पर पीएम मोदी का बड़ा बयान, हिंदुओं-सिखों को देंगे शरण

इसी बीच सूत्रों ने कहा है कि भारत इंतजार करेगा और देखेगा कि सरकार का गठन कितना समावेशी होगा और तालिबान कैसे आचरण करेगा. सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने कश्मीर पर भी अपना रुख स्पष्ट किया है. इसके मुताबिक तालिबान कश्मीर को एक द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है. पीएम ने कहा कि हिंदुओं और सिखों को देंगे शरण.

नई दिल्ली : पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर बुधवार को कहा कि भारत सरकार को तालिबान के कब्जा करने से पहले ही उसके साथ खुले तौर पर संपर्क स्थापित करना चाहिए था.

उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में एक जिम्मेदार सरकार की तरह काम करता है तो फिर भारत को उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना चाहिए.

संप्रग की पहली सरकार में विदेश मंत्री और अतीत में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे 92 वर्षीय सिंह का कहना है कि फिलहाल भारत को 'प्रतीक्षा करने और नजर रखने' की रणनीति पर अमल करना चाहिए, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दिनों अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाला तालिबान 20 साल पहले के तालिबान के मुकाबले बेहतर दिखाई देता है.

उनके मुताबिक, अफगानिस्तान से 'भाग चुके' राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ भारत के नजदीकी रिश्ते थे, लेकिन हालात अब बहुत ज्यादा बदल चुके हैं.

सिंह ने कहा कि हालात 'विपरीत नही' हैं, यहां तक कि सांकेतिक मित्रता भी नहीं है, यही वजह है कि भारत सरकार बहुत सावधान है.

उनका कहना है कि अमेरिका को बहुत सारी जिम्मेदारी लेनी होगी क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने सैनिकों को हटाकर तालिबान के लिए वहां आना आसान कर दिया.

नटवर सिंह ने ये टिप्पणियां उस वक्त की हैं, जब अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गिर जाने और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ देने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने 11 सितंबर के हमलों के बाद अमेरिका नीत सेना के अफगानिस्तान में आने के 20 साल बाद फिर से देश पर कब्जा कर लिया है.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को तालिबान के साथ पहले ही संपर्क करना चाहिए था तो सिंह ने इसका जवाब हां में दिया और तालिबान के साथ अमेरिका के बातचीत करने का हवाला दिया.

उन्होंने कहा, 'अगर मैं विदेश मंत्री होता तो मैं उनके साथ संपर्क करता. मैं अपने तरीके से आगे बढ़ा होता और अपनी खुफिया एजेंसी से कहता कि चुपचाप संपर्क किया जाए.'

पूर्व विदेश मंत्र ने गुआंतानामे में क्यूबा के साथ अमेरिका के संपर्क किये जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत को तालिबान के साथ संपर्क करना चाहिए था क्योंकि 'हम पाकिस्तान और चीन के लिए खुला मैदान नहीं छोड़ सकते.'

इस सवाल पर कि क्या भारत को भी चीन की तरह तालिबान के साथ सार्वजनिक रूप से संपर्क करना चाहिए था तो सिंह ने कहा कि कम से कम विदेश सचिव के स्तर पर भारत को तालिबान के साथ खुले तौर पर संपर्क रखना चाहिए था.

उनके मुताबिक, मौजूद तालिबान पहले के तालिबान से बेहतर नजर आता है क्योंकि वो लोग खुलेआम 'हिंदू विरोधी' थे. ये अभी भी पाकिस्तान के ज्यादा नजदीक हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इस्लामाबाद उन्हें अपनी शर्तों पर चला सके.

सिंह ने इसका उल्लेख भी किया कि भारत ने अफगानिस्तान में तीन अरब डॉलर का निवेश किया है.

इससे पहले एक अहम घटनाक्रम में यह बात सामने आई कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी गिरफ्तार (Ashraf Ghani Arrest) किए जा सकते हैं. रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी (Defense Minister Bismillah Khan Mohammadi) ने बुधवार को गनी को गिरफ्तार करने के लिए इंटरपोल (Interpol arrest ghani) से अपील की है. अफगान रक्षा मंत्री मोहम्मदी (Afghan Defence Minister Mohammadi) ने बुधवार को इंटरपोल से कहा कि गनी को 'मातृभूमि को बेचने' (selling out the motherland) और अफगानिस्तान से भागने के आरोप में गिरफ्तार किया जाए.

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बता दें कि अफगानिस्तान-तालिबान संकट के बीच भारत में पीएम मोदी ने कल एक उच्चस्तरीय बैठक की थी. अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक की थी. प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर हुई इस अहम बैठक के बाद अधिकारियों को यह निर्देश दिए.

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Last Updated : Aug 18, 2021, 8:09 PM IST
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