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'प्रकृति और पूर्वजों ने बहुत दिया, उसे संभालने की दरकार' उदयपुर बर्ड फेस्टिवल के समापन में बोले कटारिया

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 14, 2024, 8:03 PM IST

रविवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय परिसर में उदयपुर बर्ड फेस्टिवल का समापन समारोह आयोजित हुआ. इसमें असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रकृति और पूर्वजों ने बहुत कुछ दिया है, बस उसे संभालने की दरकार है.

Udaipur Bird Festival
Udaipur Bird Festival

उदयपुर. उदयपुर में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि प्रकृति और पूर्वजों ने मेवाड़ को बहुत कुछ दिया है. अगर हम उसे ही संभाल लें तो उदयपुर प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता और हेरिटेज के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा डेस्टिनेशन बन जाएगा.

दरअसल, कटारिया रविवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय परिसर स्थित बप्पा रावल सभागार में उदयपुर बर्ड फेस्टिवल के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रकृति ने पहाड़ियां, हरियाली, नदी-तालाब दिए, पूर्वजों ने पीढ़ियों की सोच रखते हुए हर गांव में जलाशयों का निर्माण कराया. राजसमंद और जयसमंद झील तत्कालीन शासकों की पीढ़ी-दर-पीढ़ी जल आवश्यकता को लेकर रखी गई दूरदृष्टि का उदाहरण है. प्राकृतिक समृद्धता के कारण ही यहां जैव विविधता भी है. हजारों किलोमीटर दूर से प्रवासी पक्षी यहां आते हैं. उन्होंने कहा कि मेनार वासियों को प्रकृति और पक्षियों से प्रेम बहुत पहले से रहा है, तभी तो मेनार पक्षी विलेज के रूप में विश्व में ख्याति प्राप्त कर चुका है.

पढ़ें. Bird park in Udaipur : विलुप्त होती ग्रीन मुनिया चिड़िया ने 4 बच्चों को दिया जन्म

संसार और पर्यावरण के प्रति जुड़ाव बढ़ा : कटारिया ने कहा कि इन विरासतों को संरक्षित करने के लिए युवा पीढ़ी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है, जब तक युवा इनका महत्व नहीं समझेंगे, इन्हें बचाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि उदयपुर बर्ड फेस्टिवल जैसे आयोजन और उनसे युवाओं का जुड़ाव सुखद भविष्य का परिचायक है. मुख्य वन संरक्षक आरके जैन ने उदयपुर बर्ड फेस्टिवल प्रारंभ होने से लेकर इस वर्ष आयोजित उसके 10वें संस्करण तक की यात्रा की संक्षिप्त जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आयोजन से आमजन की पक्षियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी है और उनके संरक्षण में मदद मिल रही है. बच्चों और युवाओं का पक्षियों के सुंदर संसार और पर्यावरण के प्रति जुड़ाव बढ़ा है.

प्रतिभाओं को किया सम्मानित : समारोह में बर्ड फेस्टिवल के दौरान आयोजित विविध प्रतियोगिताओं के विजेता छात्रों को सम्मानित किया गया. इसमें प्रश्नोत्तरी स्पर्धा अंग्रेजी माध्यम जूनियर वर्ग में आराध्या चौधरी, पार्थ नंदवाना व नीर जैन और सीनियर वर्ग में यशस्वी माहेश्वरी, प्रियांश जैन और गोविन्द पारीक क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहे. हिन्दी माध्यम में जूनियर वर्ग में खुशी कुंवर, भूमिका सुथार व विधि सुथार, सीनियर वर्ग में गोविन्द पारीक, निशा गुप्ता और कालूलाल मीणा अव्वल रहे. स्पॉट पेंटिंग (हिन्दी) जूनियर वर्ग में हिमांशी प्रजापत प्रथम, खुशबू डामोर द्वितीय और कनिष्का जैन तृतीय रहे.

पढ़ें. Bharatpur Birding Week : घटती संख्या पर जताई चिंता, आज 200 से अधिक देशों के बर्ड वॉचर एक साथ करेंगे पक्षी गणना

सीनियर वर्ग में कशिश कुंवर प्रथम और सेजल कुंवर द्वितीय रहीं. अंग्रेजी माध्यम जूनियर वर्ग में वेमाक्षी झाला प्रथम, जानवी जैन द्वितीय और कनिष्का जैन व ऐश्नी गुप्ता तृतीय रहीं. सीनियर वर्ग में रिया वैष्णव प्रथम, कात्यायनी पंडित द्वितीय और भाविक व अली असगर तृतीय रहे. समारोह में बर्ड फेस्टिवल के दौरान विभिन्न गतिविधियों में सहयोग करने वालों का भी अभिनंदन किया गया.

तीन दिवसीय बर्ड फेस्टिवल के दौरान बर्ड वॉचर : विद्यार्थियों की 6 टीमें बनाकर जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में पक्षी दर्शन के लिए भेजी गई थी. इन टीमों ने समारोह के दौरान अपने अनुभव साझा किए. इसमें उन्होंने क्षेत्र में दिखे दुर्लभ श्रेणी के पक्षियों की विशेषताओं, संबंधित क्षेत्र की जैव विविधता और पर्यावरणीय परिस्थितियों के बारे में जानकारी दी.

उदयपुर. उदयपुर में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि प्रकृति और पूर्वजों ने मेवाड़ को बहुत कुछ दिया है. अगर हम उसे ही संभाल लें तो उदयपुर प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता और हेरिटेज के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा डेस्टिनेशन बन जाएगा.

दरअसल, कटारिया रविवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय परिसर स्थित बप्पा रावल सभागार में उदयपुर बर्ड फेस्टिवल के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रकृति ने पहाड़ियां, हरियाली, नदी-तालाब दिए, पूर्वजों ने पीढ़ियों की सोच रखते हुए हर गांव में जलाशयों का निर्माण कराया. राजसमंद और जयसमंद झील तत्कालीन शासकों की पीढ़ी-दर-पीढ़ी जल आवश्यकता को लेकर रखी गई दूरदृष्टि का उदाहरण है. प्राकृतिक समृद्धता के कारण ही यहां जैव विविधता भी है. हजारों किलोमीटर दूर से प्रवासी पक्षी यहां आते हैं. उन्होंने कहा कि मेनार वासियों को प्रकृति और पक्षियों से प्रेम बहुत पहले से रहा है, तभी तो मेनार पक्षी विलेज के रूप में विश्व में ख्याति प्राप्त कर चुका है.

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संसार और पर्यावरण के प्रति जुड़ाव बढ़ा : कटारिया ने कहा कि इन विरासतों को संरक्षित करने के लिए युवा पीढ़ी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है, जब तक युवा इनका महत्व नहीं समझेंगे, इन्हें बचाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि उदयपुर बर्ड फेस्टिवल जैसे आयोजन और उनसे युवाओं का जुड़ाव सुखद भविष्य का परिचायक है. मुख्य वन संरक्षक आरके जैन ने उदयपुर बर्ड फेस्टिवल प्रारंभ होने से लेकर इस वर्ष आयोजित उसके 10वें संस्करण तक की यात्रा की संक्षिप्त जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आयोजन से आमजन की पक्षियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी है और उनके संरक्षण में मदद मिल रही है. बच्चों और युवाओं का पक्षियों के सुंदर संसार और पर्यावरण के प्रति जुड़ाव बढ़ा है.

प्रतिभाओं को किया सम्मानित : समारोह में बर्ड फेस्टिवल के दौरान आयोजित विविध प्रतियोगिताओं के विजेता छात्रों को सम्मानित किया गया. इसमें प्रश्नोत्तरी स्पर्धा अंग्रेजी माध्यम जूनियर वर्ग में आराध्या चौधरी, पार्थ नंदवाना व नीर जैन और सीनियर वर्ग में यशस्वी माहेश्वरी, प्रियांश जैन और गोविन्द पारीक क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहे. हिन्दी माध्यम में जूनियर वर्ग में खुशी कुंवर, भूमिका सुथार व विधि सुथार, सीनियर वर्ग में गोविन्द पारीक, निशा गुप्ता और कालूलाल मीणा अव्वल रहे. स्पॉट पेंटिंग (हिन्दी) जूनियर वर्ग में हिमांशी प्रजापत प्रथम, खुशबू डामोर द्वितीय और कनिष्का जैन तृतीय रहे.

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सीनियर वर्ग में कशिश कुंवर प्रथम और सेजल कुंवर द्वितीय रहीं. अंग्रेजी माध्यम जूनियर वर्ग में वेमाक्षी झाला प्रथम, जानवी जैन द्वितीय और कनिष्का जैन व ऐश्नी गुप्ता तृतीय रहीं. सीनियर वर्ग में रिया वैष्णव प्रथम, कात्यायनी पंडित द्वितीय और भाविक व अली असगर तृतीय रहे. समारोह में बर्ड फेस्टिवल के दौरान विभिन्न गतिविधियों में सहयोग करने वालों का भी अभिनंदन किया गया.

तीन दिवसीय बर्ड फेस्टिवल के दौरान बर्ड वॉचर : विद्यार्थियों की 6 टीमें बनाकर जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में पक्षी दर्शन के लिए भेजी गई थी. इन टीमों ने समारोह के दौरान अपने अनुभव साझा किए. इसमें उन्होंने क्षेत्र में दिखे दुर्लभ श्रेणी के पक्षियों की विशेषताओं, संबंधित क्षेत्र की जैव विविधता और पर्यावरणीय परिस्थितियों के बारे में जानकारी दी.

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