उदयपुर. उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक ब्लास्ट मामले (udaipur ahmedabad track blast case) में एटीएस ने खुलासा कर दिया है लेकिन अभी भी कई सवाल अनसुलझे हैं. जिस तरह रेलवे ट्रैक को उड़ाने की साजिश रची गई इसके पीछे कितने लोगों का हाथ है. एटीएस फिलहाल आरोपियों को घटनास्थल पर लेकर गई और जानकारी (ATS reached spot with accused) जुटाई. रेलवे ट्रैक उड़ाने के मामले में दो आरोपियों को एटीएस के अधिकारी उदयपुर जिला एवं सेशन न्यायालय लेकर पहुंचे जहां आरोपियों की पेशी हुई. इस दौरान एटीएस के अधिकारियों ने आरोपियों की 7 दिन की रिमांड मांगी लेकिन कोर्ट ने आरोपियों को 5 दिन की ही रिमांड दी.
शुक्रवार सुबह अनंत कुमार के नेतृत्व में एटीएस आरोपियों को लेकर घटनास्थल पर पहुंची जहां मौका तस्दीक की गई. आरोपी जिस रास्ते से ट्रैक पर आए और जहां रुककर ट्रैक उड़ाने की प्लानिंग की उन सभी जगहों पर आरोपियों को ले जाया गया. मुख्य आरोपी धूलचंद ने भी एटीएस के अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर पूरी प्लानिंग के बारे में बताया है.
पुलिस को इस मामले में चार दिन तक कोई बड़ी लीड नहीं मिली थी लेकिन पांचवे दिन आरोपियों को पकड़ लिया गया. गिरफ्तारी के दूसरे दिन एटीएस के अधिकारी आरोपियों को मौके पर लेकर पहुंचे. एटीएस की टीमें करीब आधे घण्टे तक मौके पर रुकी. आरोपी धूल चंद ने बताया कि वारदात वाले दिन सुबह आकर ट्रैक के पास बनी पहाड़ियों पर डेटोनेटर छुपाए थे. उसके बाद रात को अपने अन्य साथियों के साथ पुलिया पर पहुंचा और ब्लास्ट कर दिया.
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इस पूरे मामले को लेकर उदयपुर एसपी विकास शर्मा ने बताया कि करीब 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी इस पूरे मामले की जांच करने में जुटे थे. आरोपी ने रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट करने के लिए बारूद लगाया था लेकिन ट्रैक के दूसरी तरफ ब्लास्ट नहीं हो पाया. इस घटना को अंजाम देकर आरोपी आसपास के इलाकों में ही भटकते रहे. इसके बाद मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने इन लोगों से पूछताछ की. सख्ती के बाद दोनों आरोपियों ने पूरे मामले का पटाक्षेप किया.
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जमीन को लेकर नहीं सुनी किसी ने फरियाद तो उड़ा दिया ट्रक को...
प्राथमिक तौर पर सामने आया कि इस वारदात को अंजाम देने वाला मुख्य आरोपी फूलचंद मीणा का जमीन का विवाद था. वर्ष 1975 में उसकी जमीन रेलवे और हिंदुस्तान जिंक की ओर से अधिकृत करने के बाद उसे मुआवजे के रूप में कुछ नहीं मिला. इस दौरान न उसको हिंदुस्तान जिंक की ओर से नौकरी दी गई. इस पूरे मामले में सामने आया कि आरोपी व्यक्ति ने अपने पूरे मामले को लेकर सरकार मंत्री और अधिकारियों को भी अवगत कराया था. इस पूरे मामले को लेकर उदयपुर एसपी विकास शर्मा के नेतृत्व में 4 दिनों में क्षेत्र में एक्टिव मोबाइल नंबर को भी खंगाला गया है.
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फिलहाल जानकारी में सामने आया कि 12 नवंबर को धूल चंद अपने साथी प्रकाश और एक नाबालिग के साथ घटनास्थल पर पहुंचा. इसमें प्रकाश ने उसकी बाइक चलाई और धूल चंद और बाल अपचारी दोनों पीछे बैठे थे. इस दौरान शाम को उदयपुर अहमदाबाद ट्रेन के पूल से निकलने के बाद तीनों पुल पर गए. इस दौरान पुल पर दोनों ट्रैक पर डेटोनेटर और जिलेटिन की छड़ें लगा दीं जिसके बाद धमाका हुआ. इससे पटरी पर क्रेक आ गया. घटना को अंजाम देकर आरोपी मौके से फरार हो गए. इस घटना को अंजाम देकर आरोपी अपने इलाके में रूटीन की तरह रहने लगे थे.
कोर्ट में पेशी
रेलवे ट्रैक उड़ाने के मामले में दो आरोपियों को एटीएस के अधिकारी उदयपुर जिला एवं सेशन न्यायालय लेकर पहुंचे जहां आरोपियों की पेशी हुई. इस दौरान एटीएस के अधिकारियों ने आरोपियों की 7 दिन की रिमांड मांगी लेकिन कोर्ट ने आरोपियों को 5 दिन की ही रिमांड दी. एटीएस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनंत कुमार के साथ कई अधिकारी मौजूद रहे. मुख्य आरोपी के चेहरे पर इस पूरी वारदात को अंजाम देने के बाद शिकन तक नजर नहीं आई. आरोपी फूलचंद हंसता हुआ नजर आया. लिफ्ट से मुख्य आरोपी फूलचंद को जब कोर्ट परिसर में ले जाया जा रहा था तो आरोपी हाथ हिला कर मुस्कुराता दिखा. हालांकि इस मामले का नाबालिग आरोपी को कड़ी सुरक्षा के बीच किशोर न्यायालय में पेश किया गया.