उदयपुर. पूरे देश में धूमधाम से विजयदशमी का पर्व मनाया जा रहा है. झीलों की नगरी उदयपुर में भी बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक इस महापर्व को अलग-अलग तरीके से मनाया जा रहा ( Sindhi celebrated Vijayadashami in Udaipur) है. लेकिन इस बीच बुधवार को नगर के सिंधी समाज के लोगों ने वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया. यहां सिंधी समाज में वर्षों से विजयदशमी के मौके पर मुंडन संस्कार की (Mundan ceremony of Sindhi society) परंपरा चली आ रही है. जिसके तहत विजयदशमी से पहले जन्मे बच्चों का इसी दिन मुंडन संस्कार किया जाता है. मान्यता है कि रावण वध के बाद अयोध्या लौटे भगवान राम ने इस परंपरा की शुरुआत की थी.
सिंधी समाज के लोगों का कहना है कि रावण भगवान शिव के आराध्य भक्त (Killing of Shiva devotee Ravana) थे. लेकिन उनकी एक बुराई ने उनके ज्ञान रूपी सागर को अहंकार में बदल दिया था. विजयदशमी के मौके पर समाज के लोग नवजात बच्चों का मुंडन संस्कार कराकर बालों को रावण को समर्पित (Offering hair to Ravana) करते हैं. स्थानीय मनोहर ने बताया कि यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है.
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मुंडन संस्कार के पीछे की वजह को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि रावण के वध के बाद उनको बाल सुपुर्द करने की परंपरा है. हिंदू रीति-रिवाज के तहत किसी का निधन होने पर परिवार के लोग मुंडन करवाते हैं. समाज के लोगों का मानना है कि विजयदशमी के दिन इन छोटे-छोटे नवजात बच्चों का मुंडन कराने से उनका भविष्य उज्ज्वल होता है.
उन्होंने बताया कि इस परंपरा का निर्वहन देश विभाजन के पहले से ही होता चला आ रहा है. वहीं, बुधवार को शहर के शक्ति नगर स्थित सनातन मंदिर में करीब 30 से 35 बच्चों का मुंडन संस्कार किया गया. आयोजन के संयोजक मनोज कटारिया ने बताया कि सालों से हम विजयदशमी के मौके पर मुंडन संस्कार का आयोजन करते हैं.