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Rakhi Special : इस गांव की बेटियां पेड़ों को भाई मानकर बांधती है राखी, असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी पहुंचे - पर्यावरण राखी महोत्सव राजसमंद की खबरें

देश में आज भाई बहन का पर्व रक्षाबंधन को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. उदयपुर में एक गांव ऐसा है जहां प्रकृति को बढ़ावा देने के लिए रक्षाबंधन का पर्व अनूठे अंदाज में मनाया जाता है. यहां महिलाएं एवं बेटियां पेड़ों को रक्षासुत्र बांधकर रक्षाबंधन मनाती हैं.

women and daughters tie rakhi in tree in Udaipur
बेटियों ने पेड़ों को भाई मानकर बांधी राखी
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 30, 2023, 10:10 AM IST

Updated : Aug 30, 2023, 10:47 AM IST

इस गांव की बेटियां पेड़ों को भाई मानकर बांधती है राखी

राजसमंद. देश में आज रक्षाबंधन का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. लेकिन राजस्थान के उदयपुर में एक गांव ऐसा है जहां प्रकृति को बढ़ावा देने के लिए रक्षाबंधन का पर्व अनूठे अंदाज में मनाया जाता है. यहां वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी पूरे विधि विधान के साथ पूरा किया जा रहा है. दरअसल राजसमंद जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर पिपलांत्री गांव यह गांव परिचय का मोहताज नहीं है. इस गांव की बहन बेटियों ने प्रकृति को संवारने का एक ऐसा अनूठा बीड़ा उठाया. जिसकी वजह से आज पूरा गांव हरियाली की चादर ओढ़े है. यहां बेटियां और महिलाएं पेड़ों को अपना भाई मानकर हर साल रक्षाबंधन के पर्व पर राखियां बांधती है. इस बार उत्सव में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी पहुंचे.

असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया पहुंचे पिपलांत्री गांव : असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया पिपलांत्री गांव पहुंचे. जहां हर वर्ष मनाए जाने वाली पर्यावरण संरक्षण रक्षाबंधन कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत किया. यहां पहुंचने पर गुलाबचंद कटारिया का पूर्व सरपंच व पदम श्री सम्मान से सम्मानित श्याम सुंदर पालीवाल ने उनका भव्य स्वागत किया. वहीं इस मौके पर कारगिल युद्ध के योद्धा योगेंद्र यादव भी इस मौके पर पहुंचे. उनका भी सम्मान किया गया.

पढ़ें Rakshabandhan special- भाई बहन के पर्व रक्षाबंधन पर इकबाल ने बनाई विश्व की सबसे छोटी राखी

सरपंच ने बदल दी गांव की तस्वीर : राजसमंद जिले के पिपलांत्री गांव पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य को लेकर देश ही नहीं विदेश में भी अपनी पहचान बनाई हुई है. पूर्व सरपंच व पदम श्री से सम्मानित श्याम सुंदर पालीवाल उनकी बेटी की आकस्मिक निधन के बाद उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया. इसके बाद वह गांव में बेटियां पैदा होने के बाद 111 पौधे लगाने का अभियान शुरू किया और अपने पंचायत क्षेत्र के बंजर भूमि को हरा-भरा कर दिया जो एक मॉडल के रूप में देश ही नहीं विश्व में उभर कर सामने आया है. यहां हर वर्ष बेटियों के जन्म पर 111 पौधे लगाए जाते हैं और वह परिवार पौधे से पेड़ बनने तक उसका देखभाल करते हैं. वहीं बेटियां यहां पेड़ पौधों को राखियां बांधकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है. ऐसे में इस कार्यक्रम में पहुंचे असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया का बेटियों ने रक्षा सूत्र बांधकर स्वागत किया. साथ ही इस मौके पर असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने पौधारोपण भी किया और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया. राज्यपाल कटारिया ने कहा कि पर्यावरण का जो महत्व है. वह पिपलांत्री मॉडल ने सबको समझाया है और बाकी पंचायतें भी इस तरह का कदम उठाए तो प्रदेश ही नहीं देश में लोगों को पर्यावरण का महत्व अच्छी तरह से समझ में आ जाएगा. वहीं राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने भी पर्यावरण प्रेमी श्याम सुंदर पालीवाल के इस कार्य की सराहना की.

पढ़ें पर्यावरण प्रेमी बुजुर्ग बना रहे हैं फूलों से दीपक, लौ खत्म होने के बाद दीया भी जलकर देता है खुशबू

डेनमार्क के स्कूलों में पढ़ाया जाता है पिपलांत्री मॉडल : डेनमार्क के स्कूलों में पिपलांत्री मॉडल को पढ़ाया जा रहा है. पालीवाल ने लोगों को खेती और पेड़ लगाने के प्रति जागरुक किया है. खेतों की सिंचाई के लिए 4500 चेक डेम बनवाए, सरकारी जमीनों को भू-माफियाओं से छुड़वाया. गांववालों को श्याम सुंदर पालीवाल ने एलोवेरा और आंवला की फसल का सुझाव दिया. गांव में प्लांट भी लगवाया, जिसमें एलोवेरा और आंवला का जूस और इसके साथ ही क्रीम बनाई जाती है, जिन्हें बाजारों में बेचा जाता है.

इस गांव की बेटियां पेड़ों को भाई मानकर बांधती है राखी

राजसमंद. देश में आज रक्षाबंधन का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. लेकिन राजस्थान के उदयपुर में एक गांव ऐसा है जहां प्रकृति को बढ़ावा देने के लिए रक्षाबंधन का पर्व अनूठे अंदाज में मनाया जाता है. यहां वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी पूरे विधि विधान के साथ पूरा किया जा रहा है. दरअसल राजसमंद जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर पिपलांत्री गांव यह गांव परिचय का मोहताज नहीं है. इस गांव की बहन बेटियों ने प्रकृति को संवारने का एक ऐसा अनूठा बीड़ा उठाया. जिसकी वजह से आज पूरा गांव हरियाली की चादर ओढ़े है. यहां बेटियां और महिलाएं पेड़ों को अपना भाई मानकर हर साल रक्षाबंधन के पर्व पर राखियां बांधती है. इस बार उत्सव में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी पहुंचे.

असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया पहुंचे पिपलांत्री गांव : असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया पिपलांत्री गांव पहुंचे. जहां हर वर्ष मनाए जाने वाली पर्यावरण संरक्षण रक्षाबंधन कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत किया. यहां पहुंचने पर गुलाबचंद कटारिया का पूर्व सरपंच व पदम श्री सम्मान से सम्मानित श्याम सुंदर पालीवाल ने उनका भव्य स्वागत किया. वहीं इस मौके पर कारगिल युद्ध के योद्धा योगेंद्र यादव भी इस मौके पर पहुंचे. उनका भी सम्मान किया गया.

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सरपंच ने बदल दी गांव की तस्वीर : राजसमंद जिले के पिपलांत्री गांव पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य को लेकर देश ही नहीं विदेश में भी अपनी पहचान बनाई हुई है. पूर्व सरपंच व पदम श्री से सम्मानित श्याम सुंदर पालीवाल उनकी बेटी की आकस्मिक निधन के बाद उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया. इसके बाद वह गांव में बेटियां पैदा होने के बाद 111 पौधे लगाने का अभियान शुरू किया और अपने पंचायत क्षेत्र के बंजर भूमि को हरा-भरा कर दिया जो एक मॉडल के रूप में देश ही नहीं विश्व में उभर कर सामने आया है. यहां हर वर्ष बेटियों के जन्म पर 111 पौधे लगाए जाते हैं और वह परिवार पौधे से पेड़ बनने तक उसका देखभाल करते हैं. वहीं बेटियां यहां पेड़ पौधों को राखियां बांधकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है. ऐसे में इस कार्यक्रम में पहुंचे असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया का बेटियों ने रक्षा सूत्र बांधकर स्वागत किया. साथ ही इस मौके पर असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने पौधारोपण भी किया और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया. राज्यपाल कटारिया ने कहा कि पर्यावरण का जो महत्व है. वह पिपलांत्री मॉडल ने सबको समझाया है और बाकी पंचायतें भी इस तरह का कदम उठाए तो प्रदेश ही नहीं देश में लोगों को पर्यावरण का महत्व अच्छी तरह से समझ में आ जाएगा. वहीं राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने भी पर्यावरण प्रेमी श्याम सुंदर पालीवाल के इस कार्य की सराहना की.

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डेनमार्क के स्कूलों में पढ़ाया जाता है पिपलांत्री मॉडल : डेनमार्क के स्कूलों में पिपलांत्री मॉडल को पढ़ाया जा रहा है. पालीवाल ने लोगों को खेती और पेड़ लगाने के प्रति जागरुक किया है. खेतों की सिंचाई के लिए 4500 चेक डेम बनवाए, सरकारी जमीनों को भू-माफियाओं से छुड़वाया. गांववालों को श्याम सुंदर पालीवाल ने एलोवेरा और आंवला की फसल का सुझाव दिया. गांव में प्लांट भी लगवाया, जिसमें एलोवेरा और आंवला का जूस और इसके साथ ही क्रीम बनाई जाती है, जिन्हें बाजारों में बेचा जाता है.

Last Updated : Aug 30, 2023, 10:47 AM IST
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