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अन्नदाता पर दोहरी मार, आर्थिक संकट के बाद अब डीजल ने किया बदहाल - Rajasthan Agriculture News

आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे किसान डीजल के भाव बढ़ने से दोहरी मार झेल रहे हैं, लगातार बढ़ रहे भावों ने अन्नदाता की कमर तोड़ रखी है. प्रदेश में मानसून प्रवेश के साथ खेतों में खरीफ की फसल की बुवाई शुरू हो चुकी है. किसानों की मानें तो डीजल के दाम प्रत्यक्ष रूप से फसल उत्पादन लागत को प्रभावित करते है, ऐसे में डीजल के बढ़े दामों से किसानों का आर्थिक बजट बिगड़ा है.

Rajasthan Agriculture News, राजस्थान किसान न्यूज
अन्नदाता पर दोहरी मार
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Published : Jul 2, 2020, 10:20 PM IST

देवली (टोंक). पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ रही पेट्रोल और डीजल की कीमतों से अन्नदाता परेशान है. 1 जून से लगातार आए दिन पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी के चलते हर चीज के भावों में इजाफा हुआ है. कोरोना काल में जहां लोगों को बेरोजगारी से रूबरू होना पड़ रहा है, वहीं महंगाई के कारण कई परिवारों के समक्ष दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में किसान भी इन दिनों डीजल के भाव लगातार बढ़ने से परेशानी में आ गए हैं.

अन्नदाता पर दोहरी मार

कई किसान जो कर्जा लेकर खेती करते हैं, उनके सामने तो बड़ी समस्या खड़ी हो गई. प्रदेश का किसान वैसे ही पहले से आर्थिक रूप से कमजोर है और ऐसे में डीजल-पेट्रोल के लगातार दाम बढ़ने से किसानों की कमर टूट गई है. किसान लगातार सरकार से डीजल के भावों में छूट देने की मांग कर रहे हैं, फिलहाल उनकी सुनवाई होती दिखाई नहीं दे रही.

पढ़ें- जालोर: मोक्षधाम में फर्जी विकास कार्य दिखाकर 3 लाख रुपए का घोटाला, शिकायत के बाद जागा प्रशासन

इधर, राज्य में मानसून दस्तक दे चुका है, किसानों ने खरीफ की बुवाई करना शुरू कर दिया है. इस बार महंगाई के बावजूद ट्रैक्टरों से जुताई और बुवाई 10 से 20 प्रतिशत बढ़ चुकी है. किराए पर ट्रैक्टर बुलाकर खेती करने वाले किसानों पर पहले के मुकाबले अधिक किराया वसूले जाने की वजह से किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. किसानों की मानें तो डीजल के दाम प्रत्यक्ष रूप से फसल उत्पादन लागत को प्रभावित करते है. ऐसे में डीजल के बढ़े दामों से किसानों का आर्थिक बजट बिगड़ा है. सरकार को इस बारे में स्थाई नीति बनाकर किसानों को राहत दी जानी चाहिए.

देवली (टोंक). पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ रही पेट्रोल और डीजल की कीमतों से अन्नदाता परेशान है. 1 जून से लगातार आए दिन पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी के चलते हर चीज के भावों में इजाफा हुआ है. कोरोना काल में जहां लोगों को बेरोजगारी से रूबरू होना पड़ रहा है, वहीं महंगाई के कारण कई परिवारों के समक्ष दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में किसान भी इन दिनों डीजल के भाव लगातार बढ़ने से परेशानी में आ गए हैं.

अन्नदाता पर दोहरी मार

कई किसान जो कर्जा लेकर खेती करते हैं, उनके सामने तो बड़ी समस्या खड़ी हो गई. प्रदेश का किसान वैसे ही पहले से आर्थिक रूप से कमजोर है और ऐसे में डीजल-पेट्रोल के लगातार दाम बढ़ने से किसानों की कमर टूट गई है. किसान लगातार सरकार से डीजल के भावों में छूट देने की मांग कर रहे हैं, फिलहाल उनकी सुनवाई होती दिखाई नहीं दे रही.

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इधर, राज्य में मानसून दस्तक दे चुका है, किसानों ने खरीफ की बुवाई करना शुरू कर दिया है. इस बार महंगाई के बावजूद ट्रैक्टरों से जुताई और बुवाई 10 से 20 प्रतिशत बढ़ चुकी है. किराए पर ट्रैक्टर बुलाकर खेती करने वाले किसानों पर पहले के मुकाबले अधिक किराया वसूले जाने की वजह से किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. किसानों की मानें तो डीजल के दाम प्रत्यक्ष रूप से फसल उत्पादन लागत को प्रभावित करते है. ऐसे में डीजल के बढ़े दामों से किसानों का आर्थिक बजट बिगड़ा है. सरकार को इस बारे में स्थाई नीति बनाकर किसानों को राहत दी जानी चाहिए.

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