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चिकित्सकों की कमी और सुविधाओं के अभाव में टोंक के सरकारी अस्पताल का बुरा हाल - टोंक

उपमुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाली के कारण निजी अस्पतालों में इलाज के लिए मजबूर हैं मरीज.

टोंक के मुख्य सरकारी अस्पताल का हाल
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Published : May 20, 2019, 8:12 PM IST

टोंक. सूबे के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक शहर में स्वास्थ्य सेवाएं हांफती हुई प्रतीत हो रही है. यहां स्थित जिले के मुख्य सरकारी अस्पताल सहादत में आने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 270 बेड वाले इस अस्पताल का आउटडोर प्रतिदिन एक हजार से अधिक मरीजों का होता है. लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों की कमी प्रमुख समस्या है. यहां वर्तमान में 63 डॉक्टरों के मुकाबले लगभग डेढ़ दर्जन डॉक्टरों की कमी है.

सराकारी अस्पताल का बुरा हाल

वहीं अन्य स्टाफ के भी लगभग 20 पद खाली है. वहीं यहां ट्रोमा सेन्टर की लंबे समय से उठ रही मांग का भी अब तक कोई निस्तारण नहीं हो सका है. जबकि मुफ्त दवा योजना का क्रियान्वयन भी यहां ठीक प्रकार से नहीं हो पा रहा है. जिले मुख्य सरकारी अस्पताल में सुविधाओं की कमी का सीधा असर गरीब मरीजों पर पड़ रहा है. मजबूरी में मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ रहा है.

टोंक. सूबे के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक शहर में स्वास्थ्य सेवाएं हांफती हुई प्रतीत हो रही है. यहां स्थित जिले के मुख्य सरकारी अस्पताल सहादत में आने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 270 बेड वाले इस अस्पताल का आउटडोर प्रतिदिन एक हजार से अधिक मरीजों का होता है. लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों की कमी प्रमुख समस्या है. यहां वर्तमान में 63 डॉक्टरों के मुकाबले लगभग डेढ़ दर्जन डॉक्टरों की कमी है.

सराकारी अस्पताल का बुरा हाल

वहीं अन्य स्टाफ के भी लगभग 20 पद खाली है. वहीं यहां ट्रोमा सेन्टर की लंबे समय से उठ रही मांग का भी अब तक कोई निस्तारण नहीं हो सका है. जबकि मुफ्त दवा योजना का क्रियान्वयन भी यहां ठीक प्रकार से नहीं हो पा रहा है. जिले मुख्य सरकारी अस्पताल में सुविधाओं की कमी का सीधा असर गरीब मरीजों पर पड़ रहा है. मजबूरी में मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ रहा है.

Intro:
हॉस्पिटल में सुविधाओं का अभाव।

एंकर : डॉक्टरों ओर स्टाफ की कमी के साथ ही लेब्रोरेटी ओर जांच की सुविधाओं का अभाव टोंक की जनता की जेब पर भारी पड़ता नजर आता है यही कारण है कि यंहा आकर मरीज खुद को ठगा सा महसूस करता है और इलाज के अभाव में मजबूर होकर निजी अस्पतालों में इलाज करवाने पर मजबूर होता है यह हकीकत है टोंक के सआदत अस्पताल की जिसके भवन का निर्माण रियासत काल मे टोंक के तत्कालीन नवाब सआदत अली ने करवाया था पर आज यह अस्पताल खुद अपने ही मर्ज की दवा को तरसता नजर आता है तो खामियाजा भुगत रही है टोंक जिले की गरीब जनता।


Body:वीओ 01 :- कहने को टोंक के सरकारी असप्ताल मे 270 बेड है और यंहा का आउटडोर लगभग प्रतिदिन 1से डेढ़ हजार मरीजो का होता है लेकिन राजस्थान के उपमुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र के जिला मुख्यालय पर उस अस्पताल में डॉक्टरों की कमी जग जाहिर है यंहा वर्तमान में भी जंहा 63 डॉक्टरो के मुकाबले लगभग डेढ़ दर्जन डॉक्टरों की कमी है वही अन्य स्टाफ के नाम पर भी लगभग 20 पड़ पद खाली पड़े है वही नेशनल हाइवे 12 पर दुर्धटनाओ की भरमार ओर ट्रोमा अस्पताल नही होने के चलते मरीजो को जयपुर रैफर किया जाता है तो सरकार बदलने के साथ ही पिछली सरकार की मुफ्त दवा योजना भी खटाई में नजर आ रही है अस्पताल के हालात ऐसे है कि मरीज यंहा आकर सुविधाओ को तरसता नजर आता है।

बाइट :- महावीर ,परिजन


Conclusion:वीओ 02 सरकारी अस्पताल में सुविधाओं और मुफ्त इलाज के लिए आने वाले गरीबो की संख्या ज्यादा होती है पर सुविधाओ के नाम पर जब कुछ नही मिलता ओर डॉक्टरों की कमी के चलते कई मामलों में इलाज नही मिलता तो परिजनों को टोंक शहर में घर घर मे चल रहे किलिनीक और निजी हॉस्पिटल में जाकर शरण लेनी पड़ती है जिनका इलाज जंहा लूट खसोट पर आधारित होता है पर मजबूरी के चलते वह मजबूर होते है ,पर गरीब जनता की सुनने वाला कोई नजर नही आता है टोंक विधायक सचिन पायलट से टोंक की जनता को जीतने के बाद बड़ी उम्मीदें थी विकास के साथ हॉस्पिटल में सुविधाओं के विकास की पर वह उम्मीदे आज धरातल पर गायब है ऐसी सूरत में बड़ा सवाल यह कि आखिर टोंक की जनता की सुध कोंन लेगा।
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