श्रीगंगानगर : इस पानी से पिछले एक साल में सैकड़ों मवेशियों की मौत हो चुकी है. जिले भर में पशुधन अच्छी तादाद में है लेकिन लगातार दूषित पानी से मवेशी भी गंभीर बीमारियों में जकड़ रहे हैं.
डॉक्टर्स की मानें तो दूषित पानी पीने से पशुओं का डाइजेशन खराब हो जाता है. भूख तक नहीं लगती. जिसका असर ये होता है कि धीरे-धीरे मवेशी गंभीर बीमारियों के आगोश में आने लगते हैं. दूषित पानी पिलाने से दूधारू पशुओ के थन सिकुड़ने लगते हैं. ग्रामीणों की मानें तो गंदे पानी से जिलेभर में दुधारू पशु बड़ी संख्या में हर साल बीमार हो जाते हैं.
गंगनहर में आने वाला औधोगिक व केमिकल युक्त काला पानी लोगों के जी का जंजाल बन गया है. ग्रामीणों के साथ-साथ पशु भी अब इस पानी से बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. यही नहीं दूषित पानी के लगातार इस्तेमाल से दुधारू पशुओं में ना केवल दूध देने की क्षमता कम हो रही है बल्कि पशु बांझपन के भी शिकार हो रहे हैं.
दूषित पानी में घुले नाइट्रेट, फ्लोराइड, आर्सेनीक, क्रोमियम, मर्करी आदि की मात्रा अमृत रूपी जल को विश बना रही है. पशुओं के लिए अगर चारे को ऐसी भूमि में उगाया जाए जिसमें कार्बनिक तथा नाइट्रोजन तत्व अधिक हो और नाइट्रोजन और अधिक मात्रा में प्रयोग किए गए हो. अथवा जल्दी में यूरिया जैसे उर्वरक चारों और छिड़काव किया गया हो तो ऐसी स्थिति में चारे में नाइट्रेट विषाक्तता अधिक हो जाती है.
अनुसंधानो से विदित हुआ है कि गोबर एवं पेशाब के गड्ढों पर उगने वाली पारा घास में नाइट्रेट की मात्रा 4.73% तक हो सकती है. जिस चारे में 1.5 प्रतिशत से अधिक नाइट्रेट पोटेशियम नाइट्रेट के रूप में होता है उसको खाने पर पशुओं में विषाक्तता उत्पन्न हो सकती है. नाइट्रेट विषाक्तता पशुओं में जठर आंत्र शोध उत्पन्न करता है.
दूषित जल के सेवन से मवेशियों में तेज दर्द, लार गिरना, कभी-कभी पेट फूलना तथा बहू मूत्रता, थन मर जाना जैसे लक्षणों के साथ रोग का एकाएक प्रकोप होता है. गर्मियों के दिनों में नाइट्रेट और हेवी मेटल्स युक्त जल प्यासे पशु जब एक साथ अधिक मात्रा में पी लेते हैं तो उनमें नाइट्रेट विषाक्तता उत्पन्न हो जाती है. खासतौर पर दुधारू पशुओं में नाइट्रेट युक्त पानी पीने से दूध में कमी एवं गर्भपात भी देखे गए हैं. जिले भर में कितने मवेशी इस दूषित पानी का शिकार हुए हैं इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा तो नहीं लेकिन इसके प्रभाव पर रिसर्च जरूर होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके.