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आजादी 'काले पानी' से : पंजाब से आ रहा दूषित व काला पानी मवेशियों को भी ले रहा चपेट में....

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Published : Aug 12, 2019, 11:50 PM IST

पंजाब की नदियों से राजस्थान की नहरो में बहकर आ रहा केमिकल युक्त व दूषित काला पानी मनुष्य जीवन और कृषि भूमि को तो नुकसान पहुंचा ही रहा है, लेकिन इस गंदे पानी का असर मवेशियों और जानवरों पर भी पड़ रहा है. हमने अपने पिछले एपिसोड के जरिए बताया था कि कैसे जहरीला पानी मनुष्य जीवन के साथ साथ फसलों के लिए खतरा साबित हो रहा है...

आजादी काले पानी से, azadi kale pani se

श्रीगंगानगर : इस पानी से पिछले एक साल में सैकड़ों मवेशियों की मौत हो चुकी है. जिले भर में पशुधन अच्छी तादाद में है लेकिन लगातार दूषित पानी से मवेशी भी गंभीर बीमारियों में जकड़ रहे हैं.

आजादी 'काले पानी' ,पंजाब से आ रहा दूषित व काला पानी

डॉक्टर्स की मानें तो दूषित पानी पीने से पशुओं का डाइजेशन खराब हो जाता है. भूख तक नहीं लगती. जिसका असर ये होता है कि धीरे-धीरे मवेशी गंभीर बीमारियों के आगोश में आने लगते हैं. दूषित पानी पिलाने से दूधारू पशुओ के थन सिकुड़ने लगते हैं. ग्रामीणों की मानें तो गंदे पानी से जिलेभर में दुधारू पशु बड़ी संख्या में हर साल बीमार हो जाते हैं.

गंगनहर में आने वाला औधोगिक व केमिकल युक्त काला पानी लोगों के जी का जंजाल बन गया है. ग्रामीणों के साथ-साथ पशु भी अब इस पानी से बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. यही नहीं दूषित पानी के लगातार इस्तेमाल से दुधारू पशुओं में ना केवल दूध देने की क्षमता कम हो रही है बल्कि पशु बांझपन के भी शिकार हो रहे हैं.

पढ़ेंः आजादी 'काले पानी' से : स्कूली बच्चे भी जुड़े ईटीवी भारत की मुहिम से....पेंटिंग्स के जरिए किया उकेरा लाखों का दर्द

दूषित पानी में घुले नाइट्रेट, फ्लोराइड, आर्सेनीक, क्रोमियम, मर्करी आदि की मात्रा अमृत रूपी जल को विश बना रही है. पशुओं के लिए अगर चारे को ऐसी भूमि में उगाया जाए जिसमें कार्बनिक तथा नाइट्रोजन तत्व अधिक हो और नाइट्रोजन और अधिक मात्रा में प्रयोग किए गए हो. अथवा जल्दी में यूरिया जैसे उर्वरक चारों और छिड़काव किया गया हो तो ऐसी स्थिति में चारे में नाइट्रेट विषाक्तता अधिक हो जाती है.

अनुसंधानो से विदित हुआ है कि गोबर एवं पेशाब के गड्ढों पर उगने वाली पारा घास में नाइट्रेट की मात्रा 4.73% तक हो सकती है. जिस चारे में 1.5 प्रतिशत से अधिक नाइट्रेट पोटेशियम नाइट्रेट के रूप में होता है उसको खाने पर पशुओं में विषाक्तता उत्पन्न हो सकती है. नाइट्रेट विषाक्तता पशुओं में जठर आंत्र शोध उत्पन्न करता है.

पढ़ेंः आजादी 'काले पानी' से : राजस्थान ही नहीं पंजाब में भी नासूर बन चुका है 'काला जहर'...देखें ग्राउंड रिपोर्ट

दूषित जल के सेवन से मवेशियों में तेज दर्द, लार गिरना, कभी-कभी पेट फूलना तथा बहू मूत्रता, थन मर जाना जैसे लक्षणों के साथ रोग का एकाएक प्रकोप होता है. गर्मियों के दिनों में नाइट्रेट और हेवी मेटल्स युक्त जल प्यासे पशु जब एक साथ अधिक मात्रा में पी लेते हैं तो उनमें नाइट्रेट विषाक्तता उत्पन्न हो जाती है. खासतौर पर दुधारू पशुओं में नाइट्रेट युक्त पानी पीने से दूध में कमी एवं गर्भपात भी देखे गए हैं. जिले भर में कितने मवेशी इस दूषित पानी का शिकार हुए हैं इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा तो नहीं लेकिन इसके प्रभाव पर रिसर्च जरूर होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके.

श्रीगंगानगर : इस पानी से पिछले एक साल में सैकड़ों मवेशियों की मौत हो चुकी है. जिले भर में पशुधन अच्छी तादाद में है लेकिन लगातार दूषित पानी से मवेशी भी गंभीर बीमारियों में जकड़ रहे हैं.

आजादी 'काले पानी' ,पंजाब से आ रहा दूषित व काला पानी

डॉक्टर्स की मानें तो दूषित पानी पीने से पशुओं का डाइजेशन खराब हो जाता है. भूख तक नहीं लगती. जिसका असर ये होता है कि धीरे-धीरे मवेशी गंभीर बीमारियों के आगोश में आने लगते हैं. दूषित पानी पिलाने से दूधारू पशुओ के थन सिकुड़ने लगते हैं. ग्रामीणों की मानें तो गंदे पानी से जिलेभर में दुधारू पशु बड़ी संख्या में हर साल बीमार हो जाते हैं.

गंगनहर में आने वाला औधोगिक व केमिकल युक्त काला पानी लोगों के जी का जंजाल बन गया है. ग्रामीणों के साथ-साथ पशु भी अब इस पानी से बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. यही नहीं दूषित पानी के लगातार इस्तेमाल से दुधारू पशुओं में ना केवल दूध देने की क्षमता कम हो रही है बल्कि पशु बांझपन के भी शिकार हो रहे हैं.

पढ़ेंः आजादी 'काले पानी' से : स्कूली बच्चे भी जुड़े ईटीवी भारत की मुहिम से....पेंटिंग्स के जरिए किया उकेरा लाखों का दर्द

दूषित पानी में घुले नाइट्रेट, फ्लोराइड, आर्सेनीक, क्रोमियम, मर्करी आदि की मात्रा अमृत रूपी जल को विश बना रही है. पशुओं के लिए अगर चारे को ऐसी भूमि में उगाया जाए जिसमें कार्बनिक तथा नाइट्रोजन तत्व अधिक हो और नाइट्रोजन और अधिक मात्रा में प्रयोग किए गए हो. अथवा जल्दी में यूरिया जैसे उर्वरक चारों और छिड़काव किया गया हो तो ऐसी स्थिति में चारे में नाइट्रेट विषाक्तता अधिक हो जाती है.

अनुसंधानो से विदित हुआ है कि गोबर एवं पेशाब के गड्ढों पर उगने वाली पारा घास में नाइट्रेट की मात्रा 4.73% तक हो सकती है. जिस चारे में 1.5 प्रतिशत से अधिक नाइट्रेट पोटेशियम नाइट्रेट के रूप में होता है उसको खाने पर पशुओं में विषाक्तता उत्पन्न हो सकती है. नाइट्रेट विषाक्तता पशुओं में जठर आंत्र शोध उत्पन्न करता है.

पढ़ेंः आजादी 'काले पानी' से : राजस्थान ही नहीं पंजाब में भी नासूर बन चुका है 'काला जहर'...देखें ग्राउंड रिपोर्ट

दूषित जल के सेवन से मवेशियों में तेज दर्द, लार गिरना, कभी-कभी पेट फूलना तथा बहू मूत्रता, थन मर जाना जैसे लक्षणों के साथ रोग का एकाएक प्रकोप होता है. गर्मियों के दिनों में नाइट्रेट और हेवी मेटल्स युक्त जल प्यासे पशु जब एक साथ अधिक मात्रा में पी लेते हैं तो उनमें नाइट्रेट विषाक्तता उत्पन्न हो जाती है. खासतौर पर दुधारू पशुओं में नाइट्रेट युक्त पानी पीने से दूध में कमी एवं गर्भपात भी देखे गए हैं. जिले भर में कितने मवेशी इस दूषित पानी का शिकार हुए हैं इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा तो नहीं लेकिन इसके प्रभाव पर रिसर्च जरूर होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके.

Intro:श्रीगंगानगर : पंजाब से राजस्थान के 8 जिलों में नहरो के द्वारा बहकर आ रहा केमिकल युक्त व दूषित काला पानी मनुष्य जीवन और कृषि भूमि को तो नुकसान पहुंचा ही रहा है,लेकिन इस गंदे पानी से अब पशु-पक्षी भी मरने लगे हैं। दूषित व काला पानी पीने से पिछले एक साल में करीब सैकड़ों मवेशियों की मौत हो चुकी है। गंदे पानी पीने से मवेशियों की मौत होने के बाद ग्रामीणों ने सरकार प्रशासन को गुहार भी लगाई लेकिन किसी ने नहीं सुनी। डॉक्टर्स की मानें तो दूषित पानी पीने से पशुओं का डाइजेशन खराब हो जाता है। पशुओं को भूख नहीं लगती और धीरे-धीरे मौत का ग्रास बन जाते हैं। वही पशुओं को गंदा पानी पिलाने से उनके थनो व मुंह में बीमारियां आ जाती है।गन्दे पानी से दूधारू पशुओ के थन सिकुड़ने भी लगते हैं। ग्रामीणों की मानें तो गंदे पानी से जिले में दुधारू पशु बड़ी संख्या में हर साल बीमार हो जाते हैं।


Body:पंजाब से श्रीगंगानगर जिले की गंगनहर में आने वाला औधोगिक व केमिकल युक्त काला पानी लोगों के जी का जंजाल बन गया है। ग्रामीणों के साथ-साथ पशु भी अब इस पानी से बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। यही नहीं दूषित पानी के लगातार इस्तेमाल से दुधारू पशुओं में ना केवल दूध देने की क्षमता कम हो रही है बल्कि पशु बांझपन के भी शिकार हो रहे हैं। पंजाब से आ रहे दूषित व हेवी मेटल्स युक्त पानी में नाइट्रेट,फ्लोराइड,आर्सेनीक, क्रोमियम,मर्करी आदि की मात्रा अमृत रूपी जल को विश बना रही है। पशुओं के लिए अगर चारे को ऐसी भूमि में उगाया जाए जिसमें कार्बनिक तथा नाइट्रोजन तत्व अधिक हो और नाइट्रोजन और अधिक मात्रा में प्रयोग किए गए हो। अथवा जल्दी में यूरिया जैसे उर्वरक चारों और छिड़काव किया गया हो तो ऐसी स्थिति में इन चारों में नाइट्रेट विषाक्तता अधिक हो जाती है।

अनुसंधानो से विदित हुआ है कि गोबर एवं पेशाब के गड्ढों पर उगने वाली पारा घास में नाइट्रेट विश की मात्रा 4.73% तक हो सकती है.जिस चारे में 1.5 प्रतिशत से अधिक नाइट्रेट पोटेशियम नाइट्रेट के रूप में होता है उसको खाने पर पशुओं में विषाक्तता उत्पन्न हो सकती है.नाइट्रेट विषाक्तता पशुओं में जठर आंत्र शोध उत्पन्न करता है। चारागाह में चरते हुए पशुओं की इस कारण अचानक मृत्यु भी देखी गई है। तेज दर्द,लार गिरना,कभी-कभी पेट फूलना तथा बहू मूत्रता जैसे लक्षणों के साथ रोग का एकाएक प्रकोप होता है। इससे शीघ्र ही निराशा,कमजोरी व अवसन्नता के लक्षण प्रकट हो जाते हैं। नाइट्रेट युक्त जल गर्मियों के दिनों में प्यासे पशु जब एक साथ अधिक पानी पी लेते हैं तो उनमें नाइट्रेट विषाक्तता उत्पन्न हो जाती है जो कभी-कभी उनकी मृत्यु का कारण भी बन जाती है। कई दुधारू पशुओं में नाइट्रेट युक्त पानी पीने से दूध में कमी एवं गर्भपात भी देखे गए हैं।

बाइट : गुरबलपाल सिंह,आन्दोलनकारी नेता
बाइट : विजय चौहान,किसान
बाइट : राज मेहरा,ग्रामीण
बाइट : डॉक्टर पीयूष राजवंशी


Conclusion:दूषित व काला पानी पशुओं पर डालने लगा असर।
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