श्रीगंगानगर. भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे श्रीगंगानगर जिले की पहचान यहां की लाल सुर्ख गाजर से भी है. जिले में गाजर की बंपर पैदावार होती है. यहां की गाजर दूरदराज तक काफी प्रसिद्ध है और देश के अलग-अलग कोनों में जाती है. लेकिन, इस बार लाल मीठी गाजर के भावों ने किसानों के चेहरे को फीका कर दिया है. इस बार गाजर की बंपर पैदावार तो हुई, लेकिन गाजर के भावों में जोरदार गिरावट आई है. देखें ये खास रिपोर्ट...
इस बार किसानों को गाजर की बंपर पैदावार के चलते भाव नहीं मिल रहे. अच्छी गुणवत्ता के बावजूद किसानों की परेशानी यह है कि उन्हें गाजर का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा. पिछले साल पूरे सीजन में गाजर के भाव ठीक मिलने के कारण किसानों ने गाजर का रकबा बढ़ाया, लेकिन अब भाव नहीं मिलने से किसान मायूस है. गाजर के भाव 3 से 5 रुपये प्रति किलो हो गए हैं, जो लागत मूल्य की आधे से भी कम दर है.
लागत से भी कम भाव...
किसानों का कहना है कि खेतों की गहरी जुताई, खुदाई, मशीन से धुलाई, मजदूरी, पैकिंग व मजदूरी सहित 8 से 10 रुपये किलो की लागत आ जाती है. पिछले 10 सालों से क्षेत्र के साधुवाली, कालूवाला, ख्यालीवाला, 4 जेड ग्राम पंचायत एरिया में गाजर का रकबा बढ़ा है. यहां की गाजर ने देश भर में अपनी विशेष पहचान बना रखी है. जिले में गाजर उपज और बिक्री का काम करीब 3 महीने चलता है. इसके 15 दिन पहले और बाद के 15 दिन तक साधुवाली एरिया में गंग नहर पर गाजर मंडी लगती है. गाजर की बंपर फसल दिसंबर से 20 फरवरी तक आती है.
बढ़ता उत्पादन, घटते भाव...
गाजर उत्पादन के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है. अधिक उत्पादन के चलते भाव में भी गिरावट आ रही है. जिले में पहले मात्र 500 बीघा में इसकी बुआई होती थी, लेकिन अब 2020 में 800 बीघा तक गाजर की बुवाई हुई है. इस बार गाजर के भाव 3 से 5 रुपये प्रति किलो रह गए हैं. हालांकि, शहर में गाजर के खुदरा भाव 10 से 20 रुपये किलो तक चल रहे हैं. व्यापारी किसानों के खेतों से गाजर 3 से 5 रुपये प्रति किलो के भाव से उठा रहे हैं. इसमें भी भुगतान के लिए व्यापारी किसानों को चक्कर लगवाते है. किसानों की कड़ी मेहनत व लागत मूल्य के बावजूद गाजर का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में किसानों को लागत निकालने के लिए भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
2500 एमटी अधिक उत्पादन...
जिले में गाजर का इस बार बंपर उत्पादन हुआ है. गत वर्ष 840 हेक्टेयर गाजर का बुवाई क्षेत्र था और उत्पादन 18,525 एमटी हुआ था. इस बार किसानों ने 800 हेक्टेयर में गाजर की बुवाई की, जो गत वर्ष से 40 हेक्टेयर कम है. लेकिन, इस बार उत्पादन गत वर्ष से 2000 से 2500 एमटी अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है. इस बार गाजर का उत्पादन 20,500 एमटी से 21,000 एमटी तक होने की उम्मीद है. अन्य राज्यों में गंगानगरी गाजर नियमित रूप से जा रही है, लेकिन भाव गत वर्ष की अपेक्षा कम हैं. पिछले साल सीजन में जहां गाजर के थोक मंडी के भाव 15 से 20 रुपये प्रति किलो थे, वहीं इस बार 3 से 10 रुपये किलो हैं. कोरोना काल के कारण इस बार गाजर ज्यूस का उपयोग घटा है, इस कारण भी भाव गिरे हैं.
देश भर मे फेमस गंगानगरी गाजर...
गाजर में मिठास के बारे में किसानों का मानना है कि यहां नहरी पानी भरपूर मिलता है. सर्दियों के कारण भूमि में नमी अधिक रहती है. ठंड से गाजर में मिठास अच्छी आती है. यहां की मिट्टी में पर्याप्त सूक्ष्म तत्व मौजूद हैं, इसलिए यहां की गाजर ने उत्तर भारत में विशिष्ट पहचान बना रखी है. गाजर में मिठास भी पूरी है और क्वालिटी भी बेहतर है. वर्तमान में गाजर का पीक सीजन चल रहा है. साधुवाली गाजर मंडी में नियमित रूप से 5,000 थैले गाजर की आवक हो रही है. यहां से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश व राजस्थान की विभिन्न मंडियों में गाजर बिकने के लिए जाती है.
गाजर बुआई व उत्पादन...
वर्ष | हेक्टेयर | एमटी उत्पादन | ||
2016-17 | 750 | 18,200 | ||
2017-18 | 760 | 17,500 | ||
2018-19 | 790 | 18,120 | ||
2019-20 | 840 | 18,525 | ||
2020-21 | 800 | 21,000 ( Expected) |