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नशा मुक्ति केंद्र बने यातना केंद्र, 'जहर' से बचाने के नाम पर किया जा रहा प्रताड़ित ! - Sriganganagar Drug Addiction Center case

श्रीगंगानगर के आशा नशा मुक्ति केंद्र में युवक की मौत के मामले का खुलासा होने के बाद एक और नशा मुक्ति केंद्र का मामला सामने आया है. जहां केंद्र में भर्ती युवक को नशा छुड़वाने के नाम पर यातनाएं दी गई थी.

Sriganganagar Drug Addiction Center case
नशा मुक्ति केंद्र बने यातना केंद्र
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Published : Aug 20, 2020, 7:27 PM IST

श्रीगंगानगर : नशे की जद में फंसे लोगों का नशा छुड़वाने के नाम पर जिले के नशा मुक्ति केंद्रों में किस तरह की दरिंदगी होती है, इसका नजारा आशा नशा मुक्ति केंद्र का वीडियो वायरल होने के बाद सभी ने देखा है. नशा छुड़वाने के लिए परिजनों द्वारा युवक को भर्ती कराने के बाद नशा मुक्ति केंद्र में उसके साथ जिस तरह से मारपीट की गई, उससे साफ जाहिर होता है कि नशा मुक्ति केंद्र अब बदमाशों के अड्डे बन चुके हैं.

नशा मुक्ति केंद्र बने यातना केंद्र

जिले में धड़ल्ले से चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों में जिस प्रकार का आलम है, उससे पता चलता है कि इन केंद्रों में नशा छुड़वाने के नाम पर केवल यातनाएं दी जाती हैं. आशा नशा मुक्ति केंद्र में युवक की मौत के मामले का खुलासा होने के बाद एक और नशा मुक्ति केंद्र का मामला सामने आया है. जहां केंद्र में भर्ती युवक को नशा छुड़वाने के नाम पर यातनाएं दी गईं.

यह युवक हनुमागढ़ जिले का रहने वाला है. नशे की लत लगने के बाद युवक को उसके परिजनों ने निम्मावाली में संचालित महादेव नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाया था. नशा छुड़वाने के लिए भर्ती किए गए युवक के साथ महादेव नशा मुक्ति केंद्र में भी दरिंदगी की गई.

यह भी पढ़ें : श्रीगंगानगर: नशा मुक्ति संचालक के खिलाफ कार्रवाई में देरी से पुलिस पर उठे सवाल

केंद्रों में भर्ती लोगों को जिस प्रकार से यातनाएं दी जाती हैं, उसमें काफी हद तक पुलिस की मौन स्वीकृति भी नजर आ रही है. यही कारण है की केंद्रों के खिलाफ शिकायत आने के बाद भी पुलिस कार्रवाई नहीं करती है. इसका सबसे बड़ा उदारहण युवक के साथ हुए मारपीट का मामला है.

महादेव नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती युवक के साथ दरिंदगी का मामला सदर पुलिस थाना में 3 जुलाई को दर्ज होने के बाद भी आज तक तीनों संचालको के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन जब आशा नशा मुक्ति केंद्र में युवक की पिटाई के बाद मौत का मामला उजागर हुआ तो अब पुलिस ने इस युवक को भी फोन करके थाने बुलाया और कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.

दरअसल, महादेव नशा मुक्ति केंद्र संचालक और उसके सहयोगियों पर सदर थाना में 3 जुलाई को मुकदमा दर्ज हुआ था. मुकदमें में परिवादी हनुमानगढ़ के बशीर गांव निवासी पीड़ित ने आरोप लगाए थे कि निम्मावाली स्थित महादेव नशा मुक्ति केंद्र संचालक विक्रम बेनीवाल, कल्याण सिंह, राजेंद्र गोदारा और अन्य ने परिवादी युवक को नशा मुक्ति केंद्र में प्रताड़ित किया और बंधक बनाकर काम करवाया.

आरोपियों ने पीड़ित को जंजीरों से बांधकर रखा. उससे कई बार मारपीट की. उसके कपड़े उतरवाकर मानसिक वेदना दी गई और बेइज्जत किया गया. परिवादी को आरोपी केंद्र में ना तो दवा देते थे और ना ही अच्छा खाना देते थे. यहां तक की नशा मुक्ति केंद्र में रहने की व्यवस्था नहीं है.

यह भी पढ़ें : DGP की भी नहीं सुन रहे श्रीगंगानगर SP, युवक की पिटाई से मौत के मामले में अब तक FIR दर्ज नहीं

पीड़ित ने बताया कि नशा छुड़वाने के नाम पर भर्ती किया गया था, लेकिन नशा मुक्ति केंद्र में उसे रोज प्रताड़ना दी जाती थी. यही नहीं पीड़ित के परिजनों द्वारा उसके लिए घर से देसी घी, काजू बादाम जैसे ड्राई फूड देकर जाते थे, लेकिन केंद्र संचालक उसे खुद ही खा जाते थे. आरोपी खुद केंद्र में नशा करते हैं और रोजाना शराब आदि का सेवन करते हैं

निम्मावाली स्थित महादेव नशा मुक्ति केंद्र का ये नजारा तमाम नशा मुक्ति केंद्रों की पोल खोलता है. वहीं मामला दर्ज होने के बाद भी केंद्र के खिलाफ कारवाई नहीं करना पुलिस पर भी कई सवाल खड़े करता है.

श्रीगंगानगर : नशे की जद में फंसे लोगों का नशा छुड़वाने के नाम पर जिले के नशा मुक्ति केंद्रों में किस तरह की दरिंदगी होती है, इसका नजारा आशा नशा मुक्ति केंद्र का वीडियो वायरल होने के बाद सभी ने देखा है. नशा छुड़वाने के लिए परिजनों द्वारा युवक को भर्ती कराने के बाद नशा मुक्ति केंद्र में उसके साथ जिस तरह से मारपीट की गई, उससे साफ जाहिर होता है कि नशा मुक्ति केंद्र अब बदमाशों के अड्डे बन चुके हैं.

नशा मुक्ति केंद्र बने यातना केंद्र

जिले में धड़ल्ले से चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों में जिस प्रकार का आलम है, उससे पता चलता है कि इन केंद्रों में नशा छुड़वाने के नाम पर केवल यातनाएं दी जाती हैं. आशा नशा मुक्ति केंद्र में युवक की मौत के मामले का खुलासा होने के बाद एक और नशा मुक्ति केंद्र का मामला सामने आया है. जहां केंद्र में भर्ती युवक को नशा छुड़वाने के नाम पर यातनाएं दी गईं.

यह युवक हनुमागढ़ जिले का रहने वाला है. नशे की लत लगने के बाद युवक को उसके परिजनों ने निम्मावाली में संचालित महादेव नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाया था. नशा छुड़वाने के लिए भर्ती किए गए युवक के साथ महादेव नशा मुक्ति केंद्र में भी दरिंदगी की गई.

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केंद्रों में भर्ती लोगों को जिस प्रकार से यातनाएं दी जाती हैं, उसमें काफी हद तक पुलिस की मौन स्वीकृति भी नजर आ रही है. यही कारण है की केंद्रों के खिलाफ शिकायत आने के बाद भी पुलिस कार्रवाई नहीं करती है. इसका सबसे बड़ा उदारहण युवक के साथ हुए मारपीट का मामला है.

महादेव नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती युवक के साथ दरिंदगी का मामला सदर पुलिस थाना में 3 जुलाई को दर्ज होने के बाद भी आज तक तीनों संचालको के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन जब आशा नशा मुक्ति केंद्र में युवक की पिटाई के बाद मौत का मामला उजागर हुआ तो अब पुलिस ने इस युवक को भी फोन करके थाने बुलाया और कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.

दरअसल, महादेव नशा मुक्ति केंद्र संचालक और उसके सहयोगियों पर सदर थाना में 3 जुलाई को मुकदमा दर्ज हुआ था. मुकदमें में परिवादी हनुमानगढ़ के बशीर गांव निवासी पीड़ित ने आरोप लगाए थे कि निम्मावाली स्थित महादेव नशा मुक्ति केंद्र संचालक विक्रम बेनीवाल, कल्याण सिंह, राजेंद्र गोदारा और अन्य ने परिवादी युवक को नशा मुक्ति केंद्र में प्रताड़ित किया और बंधक बनाकर काम करवाया.

आरोपियों ने पीड़ित को जंजीरों से बांधकर रखा. उससे कई बार मारपीट की. उसके कपड़े उतरवाकर मानसिक वेदना दी गई और बेइज्जत किया गया. परिवादी को आरोपी केंद्र में ना तो दवा देते थे और ना ही अच्छा खाना देते थे. यहां तक की नशा मुक्ति केंद्र में रहने की व्यवस्था नहीं है.

यह भी पढ़ें : DGP की भी नहीं सुन रहे श्रीगंगानगर SP, युवक की पिटाई से मौत के मामले में अब तक FIR दर्ज नहीं

पीड़ित ने बताया कि नशा छुड़वाने के नाम पर भर्ती किया गया था, लेकिन नशा मुक्ति केंद्र में उसे रोज प्रताड़ना दी जाती थी. यही नहीं पीड़ित के परिजनों द्वारा उसके लिए घर से देसी घी, काजू बादाम जैसे ड्राई फूड देकर जाते थे, लेकिन केंद्र संचालक उसे खुद ही खा जाते थे. आरोपी खुद केंद्र में नशा करते हैं और रोजाना शराब आदि का सेवन करते हैं

निम्मावाली स्थित महादेव नशा मुक्ति केंद्र का ये नजारा तमाम नशा मुक्ति केंद्रों की पोल खोलता है. वहीं मामला दर्ज होने के बाद भी केंद्र के खिलाफ कारवाई नहीं करना पुलिस पर भी कई सवाल खड़े करता है.

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