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Election Commission Conference: लोकतंत्र की मजबूती में निर्वाचन आयोग की प्रभावी भूमिका-कलराज मिश्र

राजस्थान के सिरोही में राज्यों के चुनाव आयोग के सम्मेलन का सोमवार को आगाज हुआ है. दो दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन का राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित शुभारंभ किया. इसमें 23-24 प्रदेशों के चुनाव से जुड़े अधिकारी भाग ले रहे हैं.

sirohi election commission conference
लोकतंत्र की मजबूती में निर्वाचन आयोग की प्रभावी भूमिका-कलराज मिश्र
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Published : Jun 5, 2023, 3:41 PM IST

सिरोही. सोमवार को माउंट आबू के सीआरपीएफ कांफ्रेस हॉल में राज्यों के चुनाव आयोग की दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ. सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलन राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया. इस दौरान मिश्र ने कहा है कि लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं में आमजन के विश्वास को मजबूत करने में निर्वाचन आयोग की प्रभावी भूमिका है. उन्होंने मतदान के प्रति लोगों को जागरूक कर चुनाव प्रक्रिया में नागरिकों की अधिकाधिक सहभागिता सुनिश्चित किए जाने का आह्वान भी किया है. उन्होंने कहा कि वही लोकतांत्रिक संस्थाए सुदृढ़ होती हैं, जहां नागरिकों की अधिकाधिक सहभागिता होती है और स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव ही इसका आधार है.

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मतदान प्रतिशत बढ़ाने की जरूरतः चुनाव कराने की प्रक्रिया जितनी महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्व मतदान में अधिकाधिक भागीदारी का भी है. इसे देखते हुए मतदान प्रतिशत बढ़ाने और सजग एवं जिम्मेदार नागरिकों को चुनाव लड़कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी के लिए प्रेरित करने की दिशा में भी कार्य करने की जरूरत है. राज्य निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है और संविधान ही चुनाव आयोग की शक्तियों की रक्षा करता है. संविधान प्रदत्त अधिकारों और शक्तियों का समुचित उपयोग करते हुए पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों की चुनाव प्रक्रिया का प्रभावी संचालन कर निर्वाचन आयोग लोकतंत्र को मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं.

sirohi election commission conference
मतदान प्रतिशत बढ़ाने की जरूरत

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चुनावी व्यय में कमी लाने के लिए चर्चा का सुझावः राज्यपाल मिश्र ने चुनावी व्यय में कमी लाने के उपायों पर सम्मेलन में चर्चा किए जाने का सुझाव दिया. लोगों को संविधान से जुड़ी संस्कृति के प्रति जागरूक करना सदैव उनकी प्राथमिकता रही है. इसी उद्देश्य से राज्य वित पोषित विश्वविद्यालयों और जयपुर स्थित राजभवन में संविधान उद्यान के निर्माण सहित विभिन्न पहल की गई हैं. राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने कहा कि संवैधानिक संस्था के रूप राज्य निर्वाचन आयोगों को भी वही शक्तियां, स्वतंत्रता और स्वायत्तता प्रदान किए जाने की जरूरत है, जो वर्ष 1994 के बाद भारत निर्वाचन आयोग को दी गई हैं. उन्होंने अपने संबोधन में चुनाव प्रक्रिया में सूचना प्रौद्योगिकी और तकनीक के प्रभाव, स्थानीय निकाय चुनावों और पंचायत चुनावों में फंडिंग, चुनाव प्रक्रिया का व्यय घटाने के लिए ईवीएम सहित संसाधनों के बेहतर उपयोग सहित विभिन्न पहलुओं की चर्चा की.

सम्मेलन में 24 प्रदेशों के अधिकारी रहे मौजूदः आंध्र प्रदेश की राज्य निर्वाचन आयुक्त नीलम साहनी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि राज्य चुनाव आयोगों के बेहतर प्रबंधन पर विचार-विमर्श की दृष्टि से यह सम्मेलन महत्वपूर्ण साबित होगा. सम्मेलन में राज्य निर्वावन आयोग के पूर्ण स्वतंत्र और समेकित बजट, आईटी के प्रभावी उपयोग, मतदाता जागरूकता के लिए नवाचार आदि मुद्दों पर प्रभावी रूप से चर्चा की गई. आरम्भ में राज्यपाल श्री मिश्र ने संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्त्तव्यों का वाचन किया. सम्मेलन में महाराष्ट्र के राज्य निर्वाचन आयुक्त उरविन्दर पाल सिंह मदान सहित विभिन्न राज्यों के चुनाव आयुक्त सहित 23-24 प्रदेशों के चुनाव से जुड़े अधिकारी उपस्थित रहे.

सिरोही. सोमवार को माउंट आबू के सीआरपीएफ कांफ्रेस हॉल में राज्यों के चुनाव आयोग की दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ. सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलन राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया. इस दौरान मिश्र ने कहा है कि लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं में आमजन के विश्वास को मजबूत करने में निर्वाचन आयोग की प्रभावी भूमिका है. उन्होंने मतदान के प्रति लोगों को जागरूक कर चुनाव प्रक्रिया में नागरिकों की अधिकाधिक सहभागिता सुनिश्चित किए जाने का आह्वान भी किया है. उन्होंने कहा कि वही लोकतांत्रिक संस्थाए सुदृढ़ होती हैं, जहां नागरिकों की अधिकाधिक सहभागिता होती है और स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव ही इसका आधार है.

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मतदान प्रतिशत बढ़ाने की जरूरतः चुनाव कराने की प्रक्रिया जितनी महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्व मतदान में अधिकाधिक भागीदारी का भी है. इसे देखते हुए मतदान प्रतिशत बढ़ाने और सजग एवं जिम्मेदार नागरिकों को चुनाव लड़कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी के लिए प्रेरित करने की दिशा में भी कार्य करने की जरूरत है. राज्य निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है और संविधान ही चुनाव आयोग की शक्तियों की रक्षा करता है. संविधान प्रदत्त अधिकारों और शक्तियों का समुचित उपयोग करते हुए पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों की चुनाव प्रक्रिया का प्रभावी संचालन कर निर्वाचन आयोग लोकतंत्र को मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं.

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मतदान प्रतिशत बढ़ाने की जरूरत

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चुनावी व्यय में कमी लाने के लिए चर्चा का सुझावः राज्यपाल मिश्र ने चुनावी व्यय में कमी लाने के उपायों पर सम्मेलन में चर्चा किए जाने का सुझाव दिया. लोगों को संविधान से जुड़ी संस्कृति के प्रति जागरूक करना सदैव उनकी प्राथमिकता रही है. इसी उद्देश्य से राज्य वित पोषित विश्वविद्यालयों और जयपुर स्थित राजभवन में संविधान उद्यान के निर्माण सहित विभिन्न पहल की गई हैं. राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने कहा कि संवैधानिक संस्था के रूप राज्य निर्वाचन आयोगों को भी वही शक्तियां, स्वतंत्रता और स्वायत्तता प्रदान किए जाने की जरूरत है, जो वर्ष 1994 के बाद भारत निर्वाचन आयोग को दी गई हैं. उन्होंने अपने संबोधन में चुनाव प्रक्रिया में सूचना प्रौद्योगिकी और तकनीक के प्रभाव, स्थानीय निकाय चुनावों और पंचायत चुनावों में फंडिंग, चुनाव प्रक्रिया का व्यय घटाने के लिए ईवीएम सहित संसाधनों के बेहतर उपयोग सहित विभिन्न पहलुओं की चर्चा की.

सम्मेलन में 24 प्रदेशों के अधिकारी रहे मौजूदः आंध्र प्रदेश की राज्य निर्वाचन आयुक्त नीलम साहनी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि राज्य चुनाव आयोगों के बेहतर प्रबंधन पर विचार-विमर्श की दृष्टि से यह सम्मेलन महत्वपूर्ण साबित होगा. सम्मेलन में राज्य निर्वावन आयोग के पूर्ण स्वतंत्र और समेकित बजट, आईटी के प्रभावी उपयोग, मतदाता जागरूकता के लिए नवाचार आदि मुद्दों पर प्रभावी रूप से चर्चा की गई. आरम्भ में राज्यपाल श्री मिश्र ने संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्त्तव्यों का वाचन किया. सम्मेलन में महाराष्ट्र के राज्य निर्वाचन आयुक्त उरविन्दर पाल सिंह मदान सहित विभिन्न राज्यों के चुनाव आयुक्त सहित 23-24 प्रदेशों के चुनाव से जुड़े अधिकारी उपस्थित रहे.

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