सिरोही. देश और दुनिया में अध्यात्म जगत में बड़ी शख्सियत दादी हृदयमोहिनी का पार्थिव शरीर शनिवार को ब्रह्माकुमारीज संस्थान अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय आबूरोड स्थित शांतिवन में पंचतत्व में विलिन हो गया. दादी हृदयमोहिनी ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका थी. 94 वर्षीय राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी का देवलोकगमन 11 मार्च को मुंबई के सैफी अस्पताल में हुआ था और वे कुछ समय से अस्वस्थ थीं.
बता दें कि मुंबई से ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका पार्थिव शरीर एयर एंबुलेंस के माध्यम से ब्रह्माकुमारीज संस्थान का अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय आबूरोड लाया गया, जहां उनका पार्थिव शरीर शांतिवन परिसर में दादी के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. हृदयमोहिनी दादी के निधन की खबर के बाद ही देश और दुनिया से आये प्रमुख भाई बहनों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राजस्थान सीएम अशोक गहलोत समेत कई नेताओं के शोक संदेश पढ़कर सुनाए गए.
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संस्थान के सदस्यों ने दी मुखाग्नि
इसके बाद शनिवार 10 बजे मुखाग्नि दी गयी. जब दादी को अंतिम विदायी और मुखाग्नि दी जा रही थी तो उस समय पूरा माहौल भाव विह्ल हो गया. संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी, महासचिव बीके निर्वेर, कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय और दादी की निजी सचिव रही बीके नीलू ने उन्हें मुखाग्नि दी.
सैकड़ों लोगों ने योग साधना कर आत्मा की शांति की कामना की
एक तरफ दादी का अंतिम संस्कार चल रहा था तो वहीं दूसरी ओर संस्थान के परिसर में स्थित डायमंड हाॅल में सैकड़ों लोग योग साधना में जुटे थे. दादी अपने 8 दशक से भी लंबे आध्यात्मिक सफर के दौरान संस्थान में अलग-अलग पदों पर रही और लाखों लोगों को आध्यात्म की तरफ मोड़ा. दादी हृदयमोहिनी के नेतृत्व में परमात्मा एक है और सभी उसी की संतान है, विश्व शांति का यह संदेश देश और दुनिया में पहुंचाने में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभायी. मनुष्य के आत्म स्वरुप का ज्ञान और परमात्मा से कैसे रिश्ता जोड़कर शक्ति प्राप्त कर जीवन को आध्यात्मिकता के कैसे सुन्दर बनाया जाए, ये कला सिखायी. देश और दुनिया की तमाम नामचीन हस्तियां दादी की आध्यात्मिक विराटता से अभिभूत थी.
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140 देशों में ब्रह्माकुमारीज संस्थान पढ़ा रही आध्यात्मिकता का पाठ
आज 140 देशों में ब्रह्माकुमारीज संस्थान आध्यात्मिकता का अलख जगा और रही है और दुनिया भर में लाखों लोग राजयोग, मेडिटेशन और आध्यात्मिक जीवन को अपना रहे हैं. 85 साल पुरानी इस आध्यात्मिक संस्था की फाउंडर मेम्बर में से एक थी. संस्थान का कहना है कि दादी ने जो शिक्षा और ईश्वरीय अनुभूति का ज्ञान दिया है, वो हमेशा लोगों को श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए प्रेरित करता रहेगा. दादी को दिव्य दृष्टि का वरदान था और परमात्मा की संदेशवाहक भी थी.