खंडेला (सीकर). कोरोना के चलते लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान भामाशाह और समाजसेवी जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचा रहे हैं. इसी कड़ी में भारती संस्थान के माध्यम से रोजाना 200 खाने के पैकेट जरूरतमंदों तक पहुंचाए जा रहे हैं.
व्यापार महासंघ अध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने बताया कि सेवा भारती संस्थान में मानदेय के आधार पर भोजन बनाने वाले नहीं लगाए गए हैं. केवल संगठन के कार्यकर्ता और पदाधिकारी ही बाजार से सब्जी लाने और खाना बनाने तक का पूरा कार्य हंसते-हंसते कर रहे हैं. इसी कड़ी में कस्बे के वार्ड नंबर 17 मोहल्ला गुवाड़ा निवासी ओम प्रकाश सैनी अपनी पत्नी सुमन देवी के साथ रोजाना जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन बनाने में अपना हाथ बटा रहे हैं.
ओमप्रकाश सैनी ने बताया कि वो और उनकी पत्नी सुमन देवी सुबह जल्दी उठकर अपने बच्चों के लिए भोजन बनाकर और घर के कामकाज निपटा कर सेवा भारती रसोई के लिए रवाना हो जाते हैं. जहां वो 6 अप्रैल से लगातार जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन बनाने में मदद करते हैं. कस्बे वासियों द्वारा इनके कार्यों की सराहना की जा रही है.
इटावा में मानव सेवा समिति जरूरतमंदों तक पहुंचा रही भोजन
कोटा के इटावा में लॉकडाउन के चलते कई परिवारों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है. जिसके चलते कई परिवार दो वक्त की रोटी को लेकर परेशान हैं. ऐसे में इन जरूरतमंदों के लिए मानव सेवा समिति इटावा मसीहा बनकर सामने आई है. समिति असहाय और जरूरतमंद परिवारों के लिए खाद्य सामग्री के किट पहुंचाने का कार्य कर रही है.
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समिति के अध्यक्ष रिंकू सोनी ने बताया कि पूर्व में भी हमारी संस्था द्वारा प्रतिदिन 600 भोजन के पैकेट तैयार कर जरूरतमंदों की मदद की गई थी. वहीं लॉकडाउन के बढ़ जाने के बाद समिति ने अब खाद्य सामग्री के किट तैयार कर जरूरतमंदों तक पहुंचाने का निर्णय लिया है. इटावा नगरपालिका के ईओ जितेंद्र पारस, जेईएन अनुराग शर्मा ने इस योजना की शुरुआत की.
आरएएस की तैयारी करने वाली कविता बना रही मास्क
आरएएस की तैयारी करने वाली सीकर निवासी कविता इन दिनों कोरोना से बचाव के लिए मास्क बनाने में जुटी हैं. लॉकडाउन के बाद वो जयपुर से सीकर आ गई थी. तभी से लगातार मास्क बना रही हैं. कविता का पूरा परिवार अब तक तक तीन हजार मास्क बनाकर कोरोना से जंग लड़ने वालों को बांट चुका है. कविता ने बताया कि हमारे देश की शान तिरंगा है इसलिए तीन रंग के मास्क बनाकर बांटने की मुहिम शुरू की है.
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कविता ने बताया कि इस काम में उनके पिता रामसरूप, बहन ममता और भाई मनीष भी पूरा साथ निभा रहे हैं. इन दिनों घर में 8 घंटे तक सिलाई मशीन चलती है. कभी पिता तो कभी वो खुद सिलाई करती हैं. उन्होंने बताया कि उनकी एक बहन और भाई मास्क को प्रेस व कटिंग करने का काम करते हैं. साथ ही वो रात को 4 से 5 घंटे आरएएस की तैयारी भी करती हैं.