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स्पेशल रिपोर्ट: अन्नदाता से दो रुपए किलो में लिया, अब 60 से 80 में बिक रहा प्याज

इन दिनों पूरे देश में प्याज की कीमत सभी लोगों को रुला रहा है. ऐसे में सीकर जिले के मीठे प्याज अपनी पहचान के साथ-साथ बड़े स्तर पर उत्पादन भी करता है. इतना प्याज उगाने के बाद भी किसानों को कोई भी फायदा नही मिल पाता है. प्याज को रखने के लिए कोई भी सुविधा नहीं होने के कारण उन्हे तुरंत प्याज बेचनी पड़ती है.

sikar news, सीकर न्यूज
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Published : Sep 27, 2019, 3:05 PM IST

सीकर. प्रदेश के प्याज उत्पादक जिलों में सीकर का नाम सबसे ऊपर आता है. यहां का मीठा प्याज अपनी विशेष पहचान रखता है. ऐसे में जिले में हर साल प्याज का बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है, लेकिन इतने बड़े स्तर पर प्याज उगाने के बाद भी यहां के किसानों को धोखे के सिवाय कुछ नहीं मिलता है.

किसानो को रुला रहा प्याज

आज हालात यह हैं कि यहां के किसान खून के आंसू रोने को मजबूर है. आलम यह है कि यहां किसानो से 2 से 4 रुपए किलो तक में प्याज खरीदा गया था और अब यहां 60 से 80 रुपए किलो तक में प्याज बिक रहा है. इसमें काफी मात्रा में वह प्याज भी शामिल है जो सीकर के किसानों से खरीदा गया था.

पढ़ें: विश्व पर्यटन दिवस: स्वर्णनगरी को पर्यटन ने बहुत कुछ दिया, अब इसको हमारी जरूरत

जानकारी के मुताबिक सीकर जिला प्याज उत्पदान के मामले में प्रदेश में अव्वल है और यहां इस साल करीब 15 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पदान हुआ था. वैसे तो हर साल की तरह इस साल भी यहां प्याज की बंपर पैदावर हुई, लेकिन किसानों को अपना प्याज महज 2 से 4 रुपए किलो तक में बेचना पड़ा. सीकर का प्याज मीठा प्याज होने की वजह से इसकी मांग भी सबसे ज्यादा रहती है. लेकिन सरकार की बेरुखी की वजह से जिन किसानो ने अपना प्याज इतने कम भाव में बेचा अब वहीं प्याज इतना महंगा बिक रहा है.

फरवरी मार्च में आता है प्याज
सीकर जिले में रबी की फसल में प्याज की बुवाई होती है और फरवरी और मार्च के महीने में यहां प्याज बाजार में दस्तक दे जाता है. उस वक्त बंपर आवक की वजह से प्याज के उचिस भाव नहीं मिल पाते हैं और किसानों को सस्ते दामों में बेचना पड़ता है. वहीं जुलाई आते-आते तक प्याज के भाव बढ़ने लगते हैं. इस बार तो प्याज के भाव आसमान छू रहे हैं, लेकिन किसानो के पास तो अब प्याज बचा नहीं है.

पढ़ें: विश्व पर्यटन दिवस: स्वर्णनगरी में ढोल-नगाड़ों से पावणों का स्वागत, पर्यटन दिवस की धूम

प्याज मंडी शुरू नहीं, कोल्ड स्टोरेज भी नहीं
सीकर के किसान जिस प्याज की बुवाई करते हैं, वह ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिकता है. इसलिए यहां कोल्डस्टोरेज की जरुरत पड़ती है. सरकार ने कई बार घोषणा भी कि लेकिन जिले में अभी तक कहीं भी कोल्डस्टोरेज नहीं बन पाया है. ऐसे में किसानो को तुरंत प्याज बेचना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर जिले में प्याज मंडी बनकर तैयार है, अफसोस अभी तक वह भी शुरू नहीं हो पाया है.

सीकर. प्रदेश के प्याज उत्पादक जिलों में सीकर का नाम सबसे ऊपर आता है. यहां का मीठा प्याज अपनी विशेष पहचान रखता है. ऐसे में जिले में हर साल प्याज का बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है, लेकिन इतने बड़े स्तर पर प्याज उगाने के बाद भी यहां के किसानों को धोखे के सिवाय कुछ नहीं मिलता है.

किसानो को रुला रहा प्याज

आज हालात यह हैं कि यहां के किसान खून के आंसू रोने को मजबूर है. आलम यह है कि यहां किसानो से 2 से 4 रुपए किलो तक में प्याज खरीदा गया था और अब यहां 60 से 80 रुपए किलो तक में प्याज बिक रहा है. इसमें काफी मात्रा में वह प्याज भी शामिल है जो सीकर के किसानों से खरीदा गया था.

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जानकारी के मुताबिक सीकर जिला प्याज उत्पदान के मामले में प्रदेश में अव्वल है और यहां इस साल करीब 15 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पदान हुआ था. वैसे तो हर साल की तरह इस साल भी यहां प्याज की बंपर पैदावर हुई, लेकिन किसानों को अपना प्याज महज 2 से 4 रुपए किलो तक में बेचना पड़ा. सीकर का प्याज मीठा प्याज होने की वजह से इसकी मांग भी सबसे ज्यादा रहती है. लेकिन सरकार की बेरुखी की वजह से जिन किसानो ने अपना प्याज इतने कम भाव में बेचा अब वहीं प्याज इतना महंगा बिक रहा है.

फरवरी मार्च में आता है प्याज
सीकर जिले में रबी की फसल में प्याज की बुवाई होती है और फरवरी और मार्च के महीने में यहां प्याज बाजार में दस्तक दे जाता है. उस वक्त बंपर आवक की वजह से प्याज के उचिस भाव नहीं मिल पाते हैं और किसानों को सस्ते दामों में बेचना पड़ता है. वहीं जुलाई आते-आते तक प्याज के भाव बढ़ने लगते हैं. इस बार तो प्याज के भाव आसमान छू रहे हैं, लेकिन किसानो के पास तो अब प्याज बचा नहीं है.

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प्याज मंडी शुरू नहीं, कोल्ड स्टोरेज भी नहीं
सीकर के किसान जिस प्याज की बुवाई करते हैं, वह ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिकता है. इसलिए यहां कोल्डस्टोरेज की जरुरत पड़ती है. सरकार ने कई बार घोषणा भी कि लेकिन जिले में अभी तक कहीं भी कोल्डस्टोरेज नहीं बन पाया है. ऐसे में किसानो को तुरंत प्याज बेचना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर जिले में प्याज मंडी बनकर तैयार है, अफसोस अभी तक वह भी शुरू नहीं हो पाया है.

Intro:सीकर 

प्रदेश के प्याज उत्पादक जिलों में सीकर का नाम सबसे ऊपर आता है। यहां का मीठा प्याज अपनी विशेष पहचान रखता है। जिले में हर साल प्याज का बड़े स्तर पर उत्पादन होता है लेकिन इसके बाद भी यहां के किसानों को धोखे के सिवाय कुछ नहीं मिलता है। आज हालात यह हैं कि यहां के किसानो से 2 से 4 रुपए किलो तक में प्याज खरीदा गया था और अब यहां 60 से 80 रुपए किलो तक में प्याज बिक रहा है। इसमें काफी मात्रा में वह प्याज भी शामिल है जो सीकर के किसानों से खरीदा गया था। 




Body:जानकारी के मुताबिक सीकर जिला प्याज उत्पदान के मामले में प्रदेश में अव्वल है और यहां इस साल करीब 15 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पदान हुआ था। प्याज की बंपर पैदावर हुई लेकिन किसानों को अपना प्याज महज 2 से 4 रुपए किलो तक में बेचना पड़ा। सीकर का प्याज मीठा प्याज होने की वजह से इसकी मांग भी सबसे ज्यादा रहती है। लेकिन सरकार की बेरुखी की वजह से जिन किसानो ने अपना प्याज कौडिय़ों भाव बेचा अब वही प्याज इतना महंगा बिक रहा है। 


फरवरी मार्च में आता है प्याज 

सीकर जिले में रबी की फसल में प्याज की बुवाई होती है और फरवरी व मार्च के महीने में यहां प्याज बाजार में आ जाता है। उस वक्त बंपर आवक की वजह से प्याज के भाव नहीं मिलते हैं और किसानों को सस्ता बेचना पड़ता है। इसके बाद जुलाई तक आते आते प्याज के भाव बढऩे लगते हैं। इस बार तो भाव आसमान छू रहे हैं लेकिन किसानो के पास तो अब प्याज बचा नहीं है। 


प्याज मंडी शुरू नहीं, कोल्डस्टोरेज भी नहीं 

सीकर के किसान जिस प्याज की बुवाई करते हैं वह ज्यादा लंबे समय नहीं टिकता है। इसलिए यहां कोल्डस्टोरेज की जरुरत है। सरकार ने कई बार घोषणा भी कि लेकिन जिले में कहीं भी कोल्डस्टोरेज नहीं बन पाया। इसी वजह से किसानो को तुरंत प्याज बेचना पड़ा।  जिले में प्याज मंडी बनकर तैयार है लेकिन वह भी शुरू नहीं हो पाई है। 








Conclusion:बाईट: 

1 रतन सैनी : प्याज व्यापारी 

2 सोहन सिंह: किसान 

3 सुरेश शर्मा: किसान  
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