सीकर. प्रदेश के प्याज उत्पादक जिलों में सीकर का नाम सबसे ऊपर आता है. यहां का मीठा प्याज अपनी विशेष पहचान रखता है. ऐसे में जिले में हर साल प्याज का बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है, लेकिन इतने बड़े स्तर पर प्याज उगाने के बाद भी यहां के किसानों को धोखे के सिवाय कुछ नहीं मिलता है.
आज हालात यह हैं कि यहां के किसान खून के आंसू रोने को मजबूर है. आलम यह है कि यहां किसानो से 2 से 4 रुपए किलो तक में प्याज खरीदा गया था और अब यहां 60 से 80 रुपए किलो तक में प्याज बिक रहा है. इसमें काफी मात्रा में वह प्याज भी शामिल है जो सीकर के किसानों से खरीदा गया था.
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जानकारी के मुताबिक सीकर जिला प्याज उत्पदान के मामले में प्रदेश में अव्वल है और यहां इस साल करीब 15 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पदान हुआ था. वैसे तो हर साल की तरह इस साल भी यहां प्याज की बंपर पैदावर हुई, लेकिन किसानों को अपना प्याज महज 2 से 4 रुपए किलो तक में बेचना पड़ा. सीकर का प्याज मीठा प्याज होने की वजह से इसकी मांग भी सबसे ज्यादा रहती है. लेकिन सरकार की बेरुखी की वजह से जिन किसानो ने अपना प्याज इतने कम भाव में बेचा अब वहीं प्याज इतना महंगा बिक रहा है.
फरवरी मार्च में आता है प्याज
सीकर जिले में रबी की फसल में प्याज की बुवाई होती है और फरवरी और मार्च के महीने में यहां प्याज बाजार में दस्तक दे जाता है. उस वक्त बंपर आवक की वजह से प्याज के उचिस भाव नहीं मिल पाते हैं और किसानों को सस्ते दामों में बेचना पड़ता है. वहीं जुलाई आते-आते तक प्याज के भाव बढ़ने लगते हैं. इस बार तो प्याज के भाव आसमान छू रहे हैं, लेकिन किसानो के पास तो अब प्याज बचा नहीं है.
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प्याज मंडी शुरू नहीं, कोल्ड स्टोरेज भी नहीं
सीकर के किसान जिस प्याज की बुवाई करते हैं, वह ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिकता है. इसलिए यहां कोल्डस्टोरेज की जरुरत पड़ती है. सरकार ने कई बार घोषणा भी कि लेकिन जिले में अभी तक कहीं भी कोल्डस्टोरेज नहीं बन पाया है. ऐसे में किसानो को तुरंत प्याज बेचना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर जिले में प्याज मंडी बनकर तैयार है, अफसोस अभी तक वह भी शुरू नहीं हो पाया है.