सवाई माधोपुर/जयपुर. राजधानी जयपुर से 150 किलोमीटर दूर सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले के अंदर एक विश्व विख्यात गणेश मंदिर है, जो चमत्कारी त्रिनेत्र गणेश मंदिर के रुप में अपनी पहचान रखता है. जैसा कि नाम से प्रतीत होता है बिल्कुल वैसे ही मंदिर में भगवान श्रीगणेश जी की तीन आंखें हैं.
यह पहला मंदिर है, जिसमें भगवान की दोनों पत्नी रिद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ के साथ उनका पूरा परिवार विराजमान हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है. यहां के श्रीगणेश को भारत का प्रथम गणेश कहते हैं.
पढ़ें- गणेश चतुर्थी विशेषः विभीषण के डर से इस पहाड़ी पर छिपे थे 'विनायक'
मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां आने वाले पत्र हैं. देशभर से भक्त अपने घर में होने वाले हर मंगल कार्य का पहला निमंत्रण यहां भगवान गणेश के लिए भेजते हैं.
![Trinetra Ganesh Temple Ranthambore, World first Ganesh temple, Story of Trinetra Ganesh Temple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8555322_jai2.jpg)
भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ जानिए मंदिर का प्रसंग
अगर मंदिर के इतिहास पर नजर डालें तो एक मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण का विवाह रूकमणी से हुआ था. इस विवाह में वे गणेशजी को बुलाना भूल गए. गणेशजी के वाहन मूषकों ने कृष्ण के रथ के आगे-पीछे सब जगह खोद दिया. कृष्ण को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गणेशजी को मनाया. तभी से गणेशजी हर मंगल कार्य करने से पहले पूजे जाते हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने जहां गणेशजी को मनाया, वह स्थान रणथंभौर ही था. यही कारण है कि रणथंभौर गणेश को भारत का प्रथम गणेश कहते हैं.
![Trinetra Ganesh Temple Ranthambore, World first Ganesh temple, Story of Trinetra Ganesh Temple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8555322_jai1.jpg)
पढ़ें- Special : कोरोना की भेंट चढ़ा करौली का ऐतिहासिक गणेश मेला, भक्तों में छाई मायूसी
कहा जाता है कि भगवान राम ने लंका कूच से पहले गणेश जी के इसी रूप का अभिषेक किया था. मान्यता है कि विक्रमादित्य भी हर बुधवार को यहां पूजा करने आते थे.
एक पौराणिक कहानी ये भी...
साथ ही एक पौराणिक कहानी ये भी कि महाराजा हमीरदेव और अलाउद्दीन खिलजी के बीच सन 1299-1301 को रणथंभौर में युद्ध हुआ था. उस समय दिल्ली का शासक अलाउद्दीन खिलजी के सैनिकों ने दुर्ग को चारों ओर से घेर लिया. ऐसे में महाराजा को सपने में भगवान श्रीगणेश ने कहा कि मेरी पूजा करो तो सभी समस्याएं दूर हो जाएगी. इसके ठीक अगले ही दिन किले की दीवार पर त्रिनेत्र गणेश की मूर्ति इंगित हो गई और उसके बाद हमीरदेव ने उसी जगह भव्य मंदिर का निर्माण करवाया. इसके बाद कई सालों से चला आ रहा युद्ध भी समाप्त हो गया.
![Trinetra Ganesh Temple Ranthambore, World first Ganesh temple, Story of Trinetra Ganesh Temple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8555322_jai3.jpg)
डाक से भगवान को भेजी जाती है चिट्ठियां
त्रिनेत्र गणेश मंदिर की सबसे खास बात यह है कि बप्पा के भक्त पत्र लिखकर अपनी मनोकामना पूरी कराने के लिए अर्जी लगाते हैं. पोस्टमैन डाक लेकर पहुंचता है. डाक पर लिखा होता है 'श्री गणेश जी, रणथंभौर का किला, जिला-सवाई माधोपुर, राजस्थान.' जहां भक्तों की ओर से भेजे गए पत्रों को पुजारी ससम्मान त्रिनेत्र गणेश के श्रीचरणों में रख देते हैं.
कैसे पहुंचे त्रिनेत्र गणेश मंदिर
त्रिनेत्र गणेश मंदिर सवाई माधोपुर से 13 किलोमीटर दूर स्थित है. यह मंदिर विश्व धरोहर में शामिल रणथंभौर दुर्ग के भीतर बना हुआ है. यहां जाने के लिए रेल सेवा सबसे अच्छा साधन है. यहां बस से भी जाया जा सकता है. हवाई सेवा से यहां जाने के लिए पहले जयपुर जाना होगा. इसके बाद बस से सवाई माधोपुर जाना होगा. यहां से हर समय मंदिर जाने के लिए वाहन उपलब्ध है.
![Trinetra Ganesh Temple Ranthambore, World first Ganesh temple, Story of Trinetra Ganesh Temple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8555322_jai4.jpg)
पढ़ें- क्या है चमत्कारी त्रिनेत्र गणेश जी की सच्ची कहानी...दर्शन से दूर होते हैं सारे कष्ट
विश्व का पहला गणेश मंदिर
गणेशजी का यह मंदिर कई मामलों में अनूठा है. देश में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते हैं, जिनमें रणथंभौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम हैं. इस मंदिर के अलावा सिद्दपुर गणेश मंदिर (गुजरात), अवंतिका गणेश मंदिर (उज्जैन) और सिद्दपुर सिहोर मंदिर (मध्यप्रदेश) में स्थित है. इसलिए इस मंदिर को भारतवर्ष का ही नहीं विश्व का पहला गणेश मंदिर माना जाता है.