राजसमंद. जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर तासोल गांव को आदर्श गांव बनाने का जिम्मा दिवंगत सांसद हरिओम सिंह राठौड़ ने उठाया था. लेकिन उनके निधन के बाद इसकी जिम्मेदारी मौजूदा सांसद दीया कुमारी के हाथ में है. उन्होंने हाल ही में गांव के लिए 10 लाख रुपए की घोषणा की थी. ईटीवी भारत ने भी प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन बीत जाने के बाद सांसद आदर्श गांव की जमीनी हकीकत जानी.
हमें जिला मुख्यालय से आदर्श गांव तासोल तक पहुंचने के लिए टूटी सड़कों से होकर गुजरना पड़ा. सबसे पहले हम पहुंचे सांसद आदर्श गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र. गांव वालों ने बताया कि ये केन्द्र पिछले 8 महीने से बंद पड़ा हुआ है. जिसके कारण यहां के बाशिंदों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. गांव की सरपंच अनुराधा ने बताया कि कई बार चिकित्सा अधिकारियों को इस समस्या के लिए अवगत कराया गया है. लेकिन उनके द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा.
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गांव में पशुओं के पीने के पानी के लिए बनाई गई खेली की हालत भी बदतर दिखाई दी. पूरी खेडी में घास फूस भरा हुआ था. पीने योग्य पानी भी साफ नहीं दिखाई दिया. तासोल गांव के बाशिंदों का कहना है कि गांव का विकास और स्वच्छता के कागजों में ही दिखाई देता है. नालियां टूटी हुई है. सड़कें क्षतिग्रस्त दिखाई देती हैं. नालियों का गंदा पानी सड़कों पर पसर जाता है. जो प्रधानमंत्री मोदी की स्वच्छता मुहिम को आईना दिखाता हुआ दिखाई दिया.
आदर्श गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं. स्कूल में बच्चों की संख्या के अनुसार कमरों की संख्या कम है. साथ ही स्कूल में स्टाफ की भी कमी है. स्कूल प्राचार्य सुनीता ने बताया कि संस्कृत और विज्ञान संकाय के लेक्चरर का पद लंबे समय से रिक्त है. वही चतुर्थ श्रेणी स्टाफ में भी 2 पद रिक्त हैं.
मूलभूत सुविधाओं से जूझते इस सांसद आदर्श गांव तोसाल में अवैध खनन का कारोबार भी धडल्ले से चल रहा है. हालांकि बजरी खनन व्यक्ति विशेष के खेत में हो रहा है. लेकिन अवैध बजरी खनन के ट्रैक्टर ट्रॉली धड़ल्ले से रोड पर दौड़ते हुए दिखाई दिए. जिसके चलते खेतों में गड्डों की भरमार मिली. तासोल को जब सांसद ने गोद लिया था तो उन्हें उम्मीदें थीं कि उनका जीवन स्तर भी ऊंचा होगा. बहुत सी चीजें गांव में बदलेंगी. लेकिन उनकी यह आस गांव की बदहाल सड़कों में कहीं दफन सी हो रही है.